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गैस चैंबर बनी दिल्ली, स्वस्थ लोगों को भी सांस लेने में हो रही परेशानी; कई इलाकों में AQI 400 के पार

दिल्ली में हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है। हालत यह है कि राजधानी के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार चला गया है। इससे स्वस्थ लोगों को भी सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बड़ी संख्या में लोग अचानक सांस की बीमारी से पीड़ित हुए और जिस वर्ष प्रदूषण कम रहा है तब ऐसे मरीज कम देखे गए।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Sun, 05 Nov 2023 02:01 PM (IST)
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Delhi Air Pollution: गैस चैंबर बनी दिल्ली, स्वस्थ लोगों को भी सांस लेने में हो रही परेशानी

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी अभी चार दिनों से गैस चैंबर में तब्दील है। यदि इस प्रदूषण भरे वातावरण में अब भी बेधड़क घूम रहें तो सतर्क हो जाइए।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल की रिपोर्ट इस बात की तरफ इशारा करती है कि राजधानी जब-जब गैस चैंबर में तब्दील हुई है तब तक स्वस्थ लोगों की सांसें भी उखड़ने लगी है और बड़ी संख्या में लोग अचानक सांस की बीमारी से पीड़ित हुए और जिस वर्ष प्रदूषण कम रहा है तब ऐसे मरीज कम देखे गए।

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  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल की रिपोर्ट के अनुसार 12 वर्ष पहले वर्ष 2011 दिल्ली में एक्यूट सांस की बीमारी से एक लाख 98 हजार 541 लोग पीड़ित हुए थे।

    तब इस बीमारी से 102 मौतें हुई थीं। इसके बाद सांस के मरीज बढ़ते चले गए। स्थिति यह है कि वर्ष 2018 में दिल्ली जब गैस चैंबर में तब्दील थी तब उस वर्ष दिल्ली में चार लाख 21 हजार से अधिक लोग एक्यूटर सांस की बीमारी से पीड़ित हुए थे और 492 मौतें हुई थीं।

    2020 में कम था प्रदूषण

    कोरोना का संक्रमण शुरू होन पर वर्ष 2020 में लॉकडाउन और इसके बाद भी सड़कों पर वाहनों का दबाव कम होने के प्रदूषण कम रहा था। तब एक्यूट सांस के मरीज घट गए।

    उस वर्ष इस बीमारी से सवा लाख से भी कम लोग पीड़ित हुए थे। इसके बाद मामले फिर बढ़ गए। इस बार प्रदूषण अधिक है। ऐसे में एक्यूट सांस की बीमारी होने का खतरा ज्यादा।

    क्या है एक्यूट सांस की बीमारी?

    इससे पीड़ित मरीज को पहले से अस्थमा, सीओपीडी (क्रोनिक आब्सट्रक्टिव डिजीज), ब्रोंकाइटिस या कोई अन्य सांस की बीमारी पहले से नहीं होती। प्रदूषण या किसी संक्रमण के कारण अचानक ही सांस की परेशानी शुरू हो जाती है।

    वर्ष मामले मौतें
    2011 1,98,541 102
    2017 2,61,963 357
    2018 4,21,467 492
    2019 2,79,423 359
    2020 1,17,579 490
    2021 2,28,408 ---

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