ठोस इरादों और इच्छा ‘शक्ति’ से पदक पर निशाने साध रहीं दिल्ली की ‘भक्ति’, थाईलैंड में जीता पहला अंतरराष्ट्रीय पदक
भक्ति ने हाल ही में थाईलैंड के नाखोन रत्चासिमा शहर में आयोजित वर्ल्ड एबिलिटी गेम्स में दस मीटर एयर पिस्टल प्रतिस्पर्धा के एसएच-1 वर्ग में स्वर्ण पर निशाना साधते हुए अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता। भक्ति का चयन रविवार से शुरू होने वाले खेलो इंडिया पैरा गेम्स में भी हो चुका है। पैरों की मांसपेशियां इतनी कमजोर हैं कि ठीक से खड़ी भी नहीं हो सकती हैं।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Sun, 10 Dec 2023 09:45 AM (IST)
निखिल पाठक, पूर्वी दिल्ली। पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है... यमुनापार की घोंडा निवासी पैरा निशानेबाज भक्ति शर्मा बचपन से ही सुन और बोल नहीं सकती हैं।
पैरों की मांसपेशियां कमजोर होने से खड़े होने में भी परेशानी
पैरों की मांसपेशियां इतनी कमजोर हैं कि ठीक से खड़ी भी नहीं हो सकती हैं, लेकिन अपने मजबूत इच्छा शक्ति के दम पर दिव्यांगता को मात देते हुए वह पदक पर निशाना साधकर देश का नाम रोशन कर रही हैं।
खेलो इंडिया पैरा गेम्स में भी बना चुकी हैं जगह
भक्ति ने हाल ही में थाईलैंड के नाखोन रत्चासिमा शहर में आयोजित वर्ल्ड एबिलिटी गेम्स में दस मीटर एयर पिस्टल प्रतिस्पर्धा के एसएच-1 वर्ग में स्वर्ण पर निशाना साधते हुए अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता। भक्ति का चयन रविवार से शुरू होने वाले खेलो इंडिया पैरा गेम्स में भी हो चुका है।17 वर्षीय भक्ति फिलहाल कड़कड़डूमा स्थित अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ती हैं। पिता योगेंद्र कुमार ने बताया कि उनकी बेटी को बचपन से ही निशानेबाजी में काफी रुची थी। उन्होंने वर्ष 2017 में उनको अभ्यास कराना शुरू किया। अपनी मेहनत, लगन और इच्छाशक्ति के दम पर भक्ति ने मुझे कभी निराश नहीं किया है।
वह जिस चैंपियनशिप में गई हैं, वहीं पर पदक जीतकर लौटी हैं। उन्होंने पिछले महीने तुगलकाबाद स्थित डा. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में चौथी पैरा राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में जूनियर व सीनियर वर्ग में दो स्वर्ण पदक जीते थे।
इसी क्रम में पिछले वर्ष द्वितीय राष्ट्रीय पैरा शूटिंग चैंपियनशिप में दस मीटर में बेहतर प्रदर्शन कर स्वर्ण और कांस्य पदक अपने नाम किया था। वर्तमान में वह बाबरपुर स्थित जगदीश नारायण शूटिंग अकादमी में अपने गुरु अमित यादव के नेतृत्व में अभ्यास करती हैं।
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- योगेंद्र कुमार, पिता
हमने अपनी बेटी को कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि वह दिव्यांग है। परिवार व दोस्तों ने उसको भरपूर समर्थन दिया है।
- दीपाली शर्मा, माता
सुनने व बोलने में अक्षम होने के बावजूद वह सक्षम खिलाड़ियों के मुकाबले बेहतर करने का हमेशा प्रयास करती हैं।
- अमित यादव, कोच