दिल्ली BJP को जल्द मिलेगा नया अध्यक्ष, गौतम गंभीर और विजेंद्र गुप्ता समेत कई हैं दावेदार
दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कई सांसद व अन्य नेता शामिल हैं। अगले सप्ताह तक नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 18 Mar 2020 08:26 AM (IST)
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली भाजपा को जल्द ही नया अध्यक्ष मिल सकता है और इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इस बाबत प्रदेश की कमान किसे सौंपी जाए? इसके लिए रायशुमारी कराई जा रही है। इस कड़ी में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री मुरलीधर राव और भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष विजया राहटकर ने दिल्ली के नेताओं के साथ बैठक करके उनसे सुझाव भी लिए। प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कई सांसद व अन्य नेता शामिल हैं। अगले सप्ताह तक नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
दिसंबर में पूरा हो रहा मनोज तिवारी का कार्यकालमनोज तिवारी का कार्यकाल दिसंबर माह में ही पूरा हो गया है, लेकिन लोकसभा चुनाव के समय प्रदेश नेतृत्व में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया था। इसके बाद विधानसभा चुनाव की वजह से दिल्ली में पार्टी का संगठनात्मक चुनाव स्थगित कर दिया गया था। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से ही प्रदेश नेतृत्व में बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी।
भाजपा करा रहा रायशुमारीभाजपा नेताओं का कहना है कि पहली बार अध्यक्ष को लेकर रायशुमारी हो रही है। मंगलवार शाम को दीनदयाल शोध संस्थान में राव व राहटकर ने प्रदेश के सभी पदाधिकारियों, सभी मोचरें के अध्यक्षों और प्रवक्ताओं के साथ अलग-अलग बैठक करके अगले अध्यक्ष को लेकर उनके मन की बात जानने का प्रयास किया। उसके बाद प्रदेश कोर ग्रुप और विधायक दल के साथ भी उनकी बैठक हुई।
बताया जा रहा है कि अध्यक्ष की दौड़ में मनोज तिवारी के साथ ही राज्यसभा सदस्य विजय गोयल, पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा, पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर, मिजोरम के प्रभारी पवन शर्मा, विधायक विजेंद्र गुप्ता, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय, तीनों प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल, राजेश भाटिया, रविंद्र गुप्ता व भाजपा नेता आशीष सूद शामिल हैं।बैठक में शामिल होने वाले नेताओं ने बताया कि अधिकांश लोगों की राय है कि संगठन के किसी अनुभवी नेता के हाथ प्रदेश की कमान सौंपी जानी चाहिए, जिससे कि दो वर्ष बाद होने वाले नगर निगम चुनाव की सही तरीके से तैयारी हो सके। उनका कहना था कि विधानसभा चुनावों में लगातार मिल रही हार को देखते हुए शीर्ष नेतृत्व स्थानीय नेताओं को विश्वास में लेकर कोई फैसला करना चाहती है। ताकि, गुटबाजी और विवाद की स्थिति पैदा न हो सके।
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