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Delhi: बारापुला फेज-तीन एलिवेटेड कॉरिडोर की अड़चन हुई दूर, LG ने भूमि अधिग्रहण को दी मंजूरी

जमीन न मिलने के कारण 2015 से लटकी बारापुला फेज-तीन एलिवेटेड कारिडोर परियोजना के कार्य में अब तेजी आ सकेगी। उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने इस परियोजना के लिए दक्षिण-पूर्व जिले में सराय काले खां के पास नंगलीराजापुर गांव की 0.63 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है।

By V K ShuklaEdited By: Nitin YadavUpdated: Sat, 28 Oct 2023 08:27 AM (IST)
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Delhi: बारापुला फेज-तीन एलिवेटेड कॉरिडोर की अड़चन हुई दूर।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। जमीन न मिलने के कारण 2015 से लटकी बारापुला फेज-तीन एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना के कार्य में अब तेजी आ सकेगी। उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने इस परियोजना के लिए दक्षिण-पूर्व जिले में सराय काले खां के पास नंगलीराजापुर गांव की 0.63 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है।

इसके बाद जमीन को लेकर अंतिम अड़चन भी अब दूर हाे गई है। मंजूरी देते हुए एलजी ने परियोजना के पिछड़ने पर सवाल उठाए हैं, उन्होंने साफ कहा है कि इस कार्य में अधिकारियों की लेटलतीफी रही है, यह कार्य जल्दी भी किया जा सकता था।

एलजी ने अधिकारियों को दिया निर्देश

इसके साथ ही एलजी ने मुख्य सचिव को इसे मुख्यमंत्री के ध्यान में लाने का निर्देश दिया है। एलजी ने परियोजना को लेकर अधिकारियों और अभियंताओं पर जिम्मेदारी तय करने का भी निर्देश दिया है।

उन्होंने कहा है कि आगे किसी भी तरह की देरी पर कार्रवाई होगी। उपराज्यपाल ने इस भूमि के अधिग्रहण के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए अधिकारियों के निष्क्रियता के कारण परियोजना में हुई देरी पर कड़ी नाराजगी जताई है।

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सक्सेना ने कहा कि परियोजना का काम आवश्यक भूमि लिए बिना शुरू किया गया था और अधिकारियों द्वारा आवश्यक भूमि अधिग्रहण समय रहते करने के लिए भी कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए, जिससे कनेक्टिविटी में सुधार और यातायात को कम करने के उद्देश्य से अत्यधिक सार्वजनिक महत्व की यह परियोजना प्रभावित हुई।

जमीन न मिलने के बाद भी प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपए खर्च: LG

सक्सेना ने कहा कि इससे भी अधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जमीन पर कब्जा न होने, भविष्य में परियोजना के कार्यान्वयन में जोखिम होने के बावजूद परियोजना के निर्माण में सैकड़ों करोड़ रुपये का सार्वजनिक धन खर्च किया गया।

सक्सेना ने परियोजना के नियोजन चरण से लेकर अब तक ऐसे व्यक्तियों,अधिकारियों, अभियंताओं की पहचान करने को कहा है, जिससे उनकी जिम्मेदारी तय की जा सके, जिसकी वजह से यह परियोजना अपनी समय सीमा के छह वर्ष बाद भी पूरी नहीं हो सकी और और लागत बढ़ने की वजह से राजकोष को नुकसान हुआ है। उन्होंने इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने और आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए इसकी रिपोर्ट उपराज्यपाल सचिवालय को सौंपने को कहा है।

अब देरी होने पर होगी कार्रवाई: एलजी

उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया है कि यदि इसमें आगे कोई देरी होती है तो इसके लिए अधिकारियों व कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय की जाए और उन पर कार्रवाई की जाए। उपराज्यपाल ने फाइल पर उनके द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को मुख्यमंत्री एवं प्रभारी मंत्री के संज्ञान में लाने को भी कहा है।

उपराज्यपाल ने इस फाइल का निपटारा करते हुए कहा कि भले ही मैं पहले के पृष्ठों पर भूमि अधिग्रहण के लिए दिए गए विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे रहा हूं, लेकिन मैं यह सोचने को मजबूर हूं कि बारापुला एलिवेटेड रोड परियोजना का जब पहला चरण 2010 में पूरा कर लिया गया था और जिसके विस्तार की योजना वर्ष 2015 में बनाई गई थी, जिसको वर्ष 2017 में पूरा किया जाना था, में भूमि के छोटे टुकड़े के अधिग्रहण न होने की वजह से छह वर्ष से अधिक की देरी हुई है।

एलजी ने कहा है कि नवंबर 2022 और जनवरी 2023 में मेरे द्वारा क्षेत्र के व्यक्तिगत दौरे करने और हस्तक्षेप के बाद ही अधिकारियों ने चिन्हित किए गए आवश्यक भू-खंडों को हासिल करने में तेजी दिखाई। मेरे हस्तक्षेप के बाद ही डीडीए से पीडब्लूडी (दोनों सरकारी विभागों) को खसरा नंबर छह वाली भूमि का हस्तांतरण भी सुनिश्चित किया जा सका।

एलजी ने कहा है कि किसी भी तरह की देरी होने पर संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करके इसका निपटारा किया जाना चाहिए। इसे मुख्यमंत्री और प्रभारी राजस्व मंत्री के संज्ञान में लाया जा सकता है।

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