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दिल्ली में डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहे हैं केंद्रीय अस्पताल, तीन साल में 25 डॉक्टरों ने छोड़ा एम्स

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एम्स सहित केंद्रीय अस्पताल डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। एम्स में 33.76 प्रतिशत आरएमएल अस्‍पताल में 38.20 प्रतिशत और सफदरजंग अस्‍पताल में 20.32 प्रतिशत व एलएचएमसी में 15 प्रतिशत चिकित्सकों की कमी है। यह बात राज्य सभा में उठे सवालों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाब से बात सामने आई है।

By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 11 Aug 2024 07:48 AM (IST)
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अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी से हेल्थ सिस्टम बेदम। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के अस्पतालों में डॉक्टरों व चिकित्सा संसाधनों की कमी हाल के समय में सुर्खियों में रहा है। इस बीच यह बात सामने आई है कि एम्स सहित दिल्ली में मौजूद सफदरजंग, आरएमएल जैसे केंद्रीय अस्पताल भी डॉक्टरों की भरी कमी से जूझ रहे हैं।

एम्स में फैकल्टी स्तर के डॉक्टरों के एक तिहाई (33.76 प्रतिशत) व आरएमएल अस्पताल में डॉक्टरों की 38.20 प्रतिशत कमी है। इस वजह से ये दोनों अस्पताल डॉक्टरों की कमी से ज्यादा जूझ रहे हैं।

वहीं सफदरजंग अस्पताल में 20.32 प्रतिशत व लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज (एलएचएमसी) जुड़े अस्पतालों 15 प्रतिशत डॉक्टरों की है कमी है। हाल ही में डॉक्टरों की कमी को लेकर राज्य सभा में उठे सवालों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाब से बात सामने आई है। डॉक्टरों की कमी से अस्पतालों में मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है।

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इलाज के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं मरीज

इन चारों चिकित्सा संस्थानों पर राष्ट्रीय राजधानी की सरकारी चिकित्सा सेवाओं का बड़ा दारोमदार है। इन अस्पतालों में दिल्ली के अलावा दूसरे राज्यों से भी बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं।

यही वजह है कि केंद्र सरकार इन अस्पतालों में मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए करीब नौ हजार करोड़ रुपये खर्च करती है। फिर भी इन अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी एक बड़ी समस्या है।

आरएमएल में 429 डॉक्टरों की कमी

मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार एम्स में फैकल्टी स्तर के 416 डॉक्टरों की कमी है। पिछले तीन वर्षों में फैकल्टी स्तर के 25 डॉक्टरों ने एम्स छोड़ा है। सफदरजंग अस्पताल में 430 और आरएमएल में 429 डॉक्टरों की कमी है। इसमें फैकल्टी, कंसल्टेंट के अलावा रेजिडेंट डॉक्टर भी शामिल हैं।

एम्स में डॉक्टरों कमी का कारण यह है कि पिछले ढाई वर्षों से एम्स में डॉक्टरों की स्थायी नियुक्ति के लिए कोई पहल नहीं हुई है। डॉक्टरों की कमी के कारण अभी एम्स ने संविदा पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की है।

मंत्रालय ने अपने जवाब में बताया है कि पिछले पांच वर्षों मेंं सफदरजंग, आरएमएल व एलएचएमसी में 1998 नर्सिंग कर्मचारियों व अन्य पैरामेडिकल कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा (सीएचएस) कैडर के 2056 रिक्तियों को भरा गया है। इसके तहत सामान्य ड्यूटी चिकित्सा अधिकारी, शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कैडर के डाक्टर विभिन्न अस्पतालों में नियुक्त किए गए हैं।

तीनों अस्पतालों में संविदा पर नियुक्त चिकित्सकीय कर्मचारी

  • सफदरजंग अस्पताल- 272
  • आरएमएल अस्पताल- 108
  • एलएचएमसी से जुड़े अस्पताल- 158

ये भी जानें

  • एम्स में फैकल्टी स्तर के डॉक्टरों के स्वीकृत पद- 1232
  • वर्तमान समय में मौजूद फैकल्टी स्तर के डाक्टर- 816
  • फैकल्टी स्तर के डॉक्टरों की कमी- 416
  • एम्स में अन्य कर्मचारियों के स्वीकृत पद- 14,355
  • वर्तमान समय में मौजूद अन्य कर्मचारी- 11927
  • कर्मचारियों के खाली पद- 2428
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