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Delhi Liquor Scam केस में सीबीआई को मिली केजरीवाल की 3 दिन की रिमांड, पढ़ें दोनों पक्षों की दलीलें

Delhi Liquor Policy Case में दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामले में सीबीआई ने बुधवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। यहां सीबीआई ने कोर्ट की अनुमति पर अरविंद केजरीवाल से पूछताछ की। इसके बाद सीएम केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले कल यानी मंगलवार को सीबीआई ने तिहाड़ जेल पहुंचकर अरविंद केजरीवाल से पूछताछ की थी।

By Ritika Mishra Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Wed, 26 Jun 2024 06:57 PM (IST)
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अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया। वीडियो ग्रैब
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आबकारी नीति घोटाला मामले में सीबीआई ने बुधवार (26 जून) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। कोर्ट से अनुमति के बाद जांच एजेंसी ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। इसी मामले में सीबीआई ने केजरीवाल की पांच दिन की रिमांड मांगी थी, जिसमें कोर्ट ने केजरीवाल को तीन दिन की रिमांड पर भेजा है।

इससे पहले सीएम को ईडी ने मनी लॉड्रिंग मामले 21 मार्च को गिरफ्तार किया था, फिलहाल केजरीवाल न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में थे। 

सुनवाई के दौरान केजरीवाल के अधिवक्ता ने सीबीआई की गिरफ्तारी पर सवाल उठाए और पूछा कि केजरीवाल एक गवाह से एक आरोपित में कैसे बदल गए? दिल्ली सीएम की पत्नी सुनीता केजरीवाल भी कोर्ट रूम में मौजूद रहीं।

पढ़ें दोनों पक्षों की दलीलें

  • केजरीवाल के अधिवक्ता विवेक जैन ने कहा कि एक आवेदन दायर किया जा रहा है जिसमें सीबीआई द्वारा पूछताछ के लिए आवेदन और पारित किए ग‌ए आदेश की आपूर्ति की मांग की जा रही है। यह सबसे संवेदनशील मामलों में से एक है।
  • केजरीवाल के वकील चौधरी ने कहा कि जांच एजेंसी ने बेहद पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया है। एक आदमी एक मामले में हिरासत में है। यह स्थापित कानून है कि उसे किसी अन्य मामले में गिरफ्तार किया जा सकता है। चौधरी ने अनुरोध किया कि सुनवाई कल तक के लिए टाल दी जाए और दस्तावेज केजरीवाल की कानूनी टीम के साथ साझा किए जाएं।
  • सीबीआई: हम यह सब चुनाव से पहले या चुनाव के दौरान कर सकते थे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। कोर्ट की अनुमति के बाद ही पूछताछ की गई।
  • सीबीआई: मैं अपना काम कर रहा हूं, क्या यह दुर्भाग्यपूर्ण है? हर बार एजेंसी के बारे में यही कहा जाता है। हर बार हम परीक्षा में पास हुए।
  • सीबीआई: मान लीजिए जांच हो रही है तो मुझे यह बताने की जरूरत नहीं है कि मैं जांच के लिए जा रहा हूं। मुझे अदालत को यह बताना है कि मुझे हिरासत की आवश्यकता है। कहीं भी ऐसा कोई आदेश नहीं है कि मुझे जांच करने की अपनी इच्छा के बारे में दूसरे पक्ष को बताना पड़े।
  • सीबीआई: वे दस्तावेज के लिए आवेदन कर सकते हैं। के. कविता में साथ भी यही हुआ था। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। मुझे किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है, मुझे केवल अदालत की अनुमति की जरूरत है। क्योंकि यह मेरी जांच है।
  • चौधरी: मेरा एकमात्र निवेदन यह है कि हमें सामग्री तक पहुंच मिल सके। मैं ऑर्डर के बारे में कुछ नहीं कह सकता, लेकिन मुझे आवेदन जो आज दायर किया गया है वो दिया जाए। ताकि मैं कल इसका जवाब दे सकूं।
  • कोर्ट ने चौधरी से कहा: चूंकि आरोपित न्यायिक हिरासत में है, इसलिए उन्होंने पूछताछ के लिए आवेदन दिया।
  • चौधरी: मुझे उस आवेदन की सामग्री पढ़नी है।
  • कोर्ट: कल वे उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार करने के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी करने आए थे क्योंकि वह न्यायिक हिरासत में थे। अभी तक उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया है।
  • चौधरी: चाहे आवेदन गिरफ्तारी का हो या रिमांड का। ये ऐसा मामला है जिसमें सात साल तक की सजा हो सकती है।
  • चौधरी: इससे पहले कि आपके आधिपत्य को यह निर्धारित करना पड़े, गिरफ्तारी की अनुमति मांगने वाला कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है। ये जांच अगस्त 2022 से लंबित है। मुझे गवाह के रूप में बुलाया गया था। वो नोटिस था, मैं उनके लिए उपस्थित हुआ और नौ घंटे तक मैंने सहायता की। तब से एक भी नोटिस नहीं आया। अब वो एक गवाह से एक आरोपित में कैसे बदल गए।
  • चौधरी: क्या ऐसा कोई नियम है कि आपके आधिपत्य को हमारी बात सुने बिना ही निर्णय लेना चाहिए?
  • कोर्ट: अनुमति देने का मतलब यह नहीं है कि मैंने मामले के गुण-दोष पर अपना मन दे दिया है। कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि जो न्यायिक हिरासत में है, उसे सीधे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
  • चौधरी: आप अगर आज औपचारिक प्रकृति का आदेश पारित करते हैं, क्योंकि उन्हें गिरफ्तार करना है। मुझे लगता है कि अदालत इस आवेदन को एक औपचारिकता के रूप में स्वीकार करते हुए कि उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार करने के लिए अनुमति की आवश्यकता है, उन्हें धारा 41 के तहत शक्ति का प्रयोग करने की अनुमति देगा। यह मामले में पूरी तरह से संतुष्टि के बिना नहीं किया जा सकता है।
  • चौधरी: हिरासत में गिरफ्तार करने की अनुमति देना उन्हें धारा 41 के तहत शक्ति का प्रयोग करने की अनुमति देना है। कानून की उचित प्रक्रिया मुझे किसी नोटिस या कॉपी या फाइलिंग तक पहुंच से बेदखल नहीं करती।
  • चौधरी: यह गिरफ्तारी का अनुरोध है, यदि मुझे ऐसा करने की अनुमति दी जाए तो मैं दलीलें पेश कर सकता हूं। अदालत‌ से अनुरोध है कि मुझे आवेदन का औपचारिक उत्तर दाखिल करने का मौका दें।
  • चौधरी: यह कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है। सीबीआई तब तक रुकी रही जब तक केजरीवाल को पीएमएलए मामले में जमानत नहीं मिल‌ ग‌ई।
  • सीबीआई: रिमांड अर्जी के लिए कोई अग्रिम सूचना नहीं देनी है।
  • कोर्ट: जांच और पूछताछ के लिए आवेदन दायर किया गया। इसकी अनुमति थी। कल उन्होंने प्रोडक्शन वारंट के लिए आवेदन दिया। आज के लिए वारंट जारी किए गए।
  • चौधरी: अनुरोध है कि मुझे पहले का आवेदन, पारित आदेश, प्रोडक्शन वारंट के लिए आवेदन और उसमें पारित आदेश दिया जाए।
  • कोर्ट: उन्हें उसकी जांच करने दीजिए। उनका कहना है कि आप प्रमाणित प्रतियों के माध्यम से प्रतियों तक पहुंच सकते हैं, लेकिन सीबीआई केजरीवाल की जांच करेगी।
  • अदालत की अनुमति से कोर्ट रूम में ही सीबीआई ने केजरीवाल से‌ पूछताछ‌ की। 
  • सीबीआई: मुख्यमंत्री के करीबी विजय नायर को फिर समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है। हमारे पास दिखाने के लिए विवरण, तारीखें हैं। साउथ टीम ने दिल्ली का दौरा किया। कोविड के दौरान मौतें हो रही थीं। उसी दौरान वो एक रिपोर्ट तैयार करते हैं और अभिषेक बोइनपल्ली को देते हैं। इसे विजय नायर के माध्यम से मनीष सिसोदिया को भेजा गया है।
  • सीबीआई: कोई बैठक नहीं बुलाई गई थी। एक ही दिन में हस्ताक्षर प्राप्त किए गये। उसी दिन इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी ग‌ई। मैं पूछता हूं, जब कोविड था तो मामलों का कौन देख रहा था? यकीनन मुख्यमंत्री। उनके निर्देश पर साउथ टीम दिल्ली में बैठी थी।
  • कोर्ट ने सीबीआई से कहा: आप कह रहे हैं कि नीति इसलिए बनाई गई क्योंकि साउथ ग्रुप का प्रभाव था। जब भी कोई नीति किसी राज्य द्वारा बनाई जाती है, तो उसे एक संरचना द्वारा संचालित किया जाता है। मैं आपसे केवल यह पूछ रहा हूं कि कार्रवाई का सामान्य तरीका क्या है। कृपया बताएं कि नीति कैसे बनाई जानी है।
  • सीबीआई: संबंधित विभाग द्वारा। विभाग अध्ययन करेगा और विभिन्न मॉड्यूल पर चर्चा करेंगे। चाहे इसका निजीकरण किया जाना हो, या फिर मौजूदा मॉडल अच्छा हो।
  • कोर्ट: आप कह रहे हैं कि यह नौकरशाही तंत्र से होकर गुजरता है। फिर इसे किसके समक्ष प्रस्तुत किया जाता है? मंत्री। और फिर मंत्रियों के पास। आप कह रहे हैं कि इस मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ?
  • सीबीआई: पहली रिपोर्ट में असहमति नहीं है।
  • कोर्ट: तो आप कह रहे हैं कि यह रिपोर्ट संबंधित मंत्री को भेजी गई थी, लेकिन उन्होंने बदल दी?
  • सीबीआई: नहीं, मैं कह रहा हूं कि उन्होंने सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी थीं। हमारे पास इस बात के सुबूत हैं कि यह आप ही थी जो उन टिप्पणियों को एक विशेष स्थान से करवाने की कोशिश कर रही थी। उसमें भी हेराफेरी की गई।
  • सीबीआई: हमने पता लगा लिया है कि यह रिपोर्ट किस मकसद से तैयार की गई थी और उस रिपोर्ट को सरकार तक पहुंचाया गया। वही नीति बन गई। इसीलिए रिपोर्ट में या सुझावों में ये 12 प्रतिशत नहीं है।
  • सीबीआई: पहले ये पांच प्रतिशत था, फिर इसे 12 प्रतिशत कर दिया गया। कुछ ऐसे विक्रेता थे जो अयोग्य थे, जैसे इंडो स्पिरिट्स। इंडो स्पिरिट्स को भाग लेने की अनुमति दी गई थी। मंजूरी दे दी गई और वो पेरनोड रिकार्ड का प्राथमिक पूर्ण विक्रेता बन गया।
  • कोर्ट : मान लीजिए कि साउथ ग्रुप का उल्लेख नहीं किया गया है। अब अगर जनता के विचारों को स्पष्ट करने का निर्णय लिया गया है, तो कुछ भी गलत नहीं है। आप केवल उनकी संलिप्तता पर आपराधिकता जोड़ रहे हैं तो प्रक्रिया में कोई अवैधता नहीं है? अगर आप कह रहे हैं कि प्रक्रिया के तहत होना चाहिए। बहुत लोगों ने अपने विचार दिए और उस हिसाब से उन्होंने इसका मसौदा तैयार किया। मैं केवल प्रक्रिया के बारे में पूछ रहा हूं। मैं यह कह रहा हूं कि यदि नीति के लिए जनता के विचारों को स्पष्ट किया गया है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
  • सीबीआई: वो टिप्पणियां जिन्हें एक अधिकारी ने शामिल किया था वो अधिकारी इनके लिए दुश्मन बन गया, उसे बदल दिया गया।
  • कोर्ट: रिपोर्ट है, जनता के सुझाव आते हैं। कुछ सुझाव फाइल से हटा दिए गए। अनुकूल राय के साथ रिपोर्ट मंत्रियों के समूह के सामने रखी जाती है। आगे क्या हुआ?
  • सीबीआई: एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट है। कैसी और किस तरह की नीति बनानी चाहिए इस पर।
  • कोर्ट: पूरी प्रक्रिया में ये कहां आता है?
  • सीबीआई: दो अधिकारी बदल गए। एक ने फाइल बनाई गई। एक अन्य अधिकारी पदभार ग्रहण करता है और वह न‌ए कैबिनेट नोट कानिर्देश देता है।
  • टिप्पणियों का वह सामान्य सारांश इन टिप्पणियों को इंगित नहीं करता है।
  • सीबीआई: यह वह नीति है जिसे जीओएम द्वारा अंतिम रूप से अनुमोदित किया गया था और साउथ ग्रुप द्वारा भी यही नीति दी गई है।
  • किसी भी बैठक का कोई विस्तृत विवरण नहीं। थोक माडल पर कोई चर्चा नहीं।
  • सीबीआई: साउथ ग्रुप के लोग दिल्ली के ओबेराय होटल में आकर रहते हैं। उनके रुकने के दौरान मनीष सिसोदिया द्वारा बनाया गया एक नोट था। फिर उसी दिन, साउथ ग्रुप कंप्यूटर तक पहुंचता है और प्रिंटआउट लेता है। बोइनपल्ली और बुची बाबू ने टैक्सी ली और विजय नायर के आफिस के बगल वाले कार्यक्रम स्थल तक गए।
  • कोर्ट: इस मामले में अब तक कितने आरोपी?
  • सीबीआई: 17 पर पहले ही आरोपपत्र दाखिल हो चुका है।
  • कोर्ट: आरोपी के खिलाफ क्या सामग्री है?
  • सीबीआई: मगुंटा रेड्डी से पहली मुलाकात, उसी से शुरुआत हुई। उसी दिन विजय नायर से मुलाकात हुई।
  • सीबीआई: विजय नायर केजरीवाल के करीबी सहयोगी थे। मैगुंटा रेड्डी
  • केजरीवाल से उनके कार्यालय में मिले। उन्होंने उनसे शराब कारोबार में सहयोग देने का अनुरोध किया। बैठक में केजरीवाल ने सहयोग का आश्वासन दिया।
  • सीबीआई: सह आरोपित के.कविता, रेड्डी से संपर्क करती हैं। इसके बाद विजय नायर हैदराबाद गया।
  • कोर्ट: आपका कहना है‌ कि सांसद ने केजरीवाल से मुलाकात की और समर्थन देने को कहा। सीएम ने उन्हें आने के लिए नहीं कहा है।
  • सीबीआई: मीटिंग होती है।‌अगले दिन कविता ने रेड्डी से करोड़ों रुपये की मांग की। राघव मगुंटा को थोक कारोबार में साझेदारी मिली। यह सब मुख्यमंत्री की जानकारी में किया गया है।
  • सीबीआई: हमें केजरीवाल से हिरासत में पूछताछ की जरूरत है। वो यह भी नहीं पहचान रहे हैं कि विजय नायर उनके अधीन काम कर रहा था। उनका कहना है कि नायर आतिशी और सौरभ भारद्वाज के अधीन काम कर रहे थे। वह सारा दारोमदार मनीष सिसोदिया पर डालते हैं। उन्हें सामना करना होगा, दस्तावेज दिखाने होंगे।
  • सीबीआई: गोवा में उनके रुकने का भुगतान एक व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है जिसे हवाला से पैसे मिलते हैं। हम इस हिरासत की मांग कर रहे हैं।
  • कोर्ट: मंगुटा रेड्डी का बयान कब हुआ?
  • सीबीआई: 25 जनवरी 2022।
  • कोर्ट: उनका बेटा सरकारी गवाह है। उनके बेटे की भूमिका क्या है?
  • कोर्ट: अब गिरफ्तारी क्यों?
  • सीबीआई: चुनाव का समय था। अदालत उनकी अंतरिम जमानत पर विचार कर रही थी। यदि उसी समय गिरफ्तार कर लिया होता, लेकिन‌ हमने ऐसा नहीं किया।
  • केजरीवाल की ओर से चौधरी ने अब दलीलें पेश की।
  • चौधरी: सीबीआई मामला रफा-दफा करने की कोशिश कर रही है।
  • चौधरी: सैद्धांतिक सवाल अधिकार क्षेत्र का है। अदालत को यह देखना होगा कि क्या गिरफ्तारी की आवश्यकता थी। इसके साथ ही, उनकी हिरासत के लिए रिमांड की आवश्यकता है। दूसरा पहलू यह है कि अरनेश कुमार और धारा 41 इस मामले में शुरू होता है।
  • चौधरी: मैं निर्विवाद दस्तावेज के साथ जाऊंगा। उनके गिरफ्तारी आवेदन पर एक नजर डालिए।
  • चौधरी: पहली तारीख देखे, 17 अगस्त 2022। इस तारीख के बाद, 16 अप्रैल 2023 को धारा 160 सीआरपीसी के तहत बुलाया गया था। मेरा बयान दर्ज किया गया।
  • हिरासत में मुझसे पूछताछ की जा रही है, कोई नोटिस नहीं है।‌ मुझसे कभी नहीं पूछा गया
  • चौधरी: इस मामले में पहली चार्जशीट 24 नवंबर 2022 को दाखिल की गई थी। सात आरोपी,‌ 70 गवाह और 7600 दस्तावेज। 25 अप्रैल 2023 को दूसरी चार्जशीट दाखिल की गई। उसके बाद मुझसे पूछताछ की गई। अतिरिक्त चार आरोपी, 89 अतिरिक्त गवाह, लगभग 10,000 पन्नो‌ं‌ का दस्तावेज।
  • चौधरी: फिर एक और आरोप पत्र दायर किया गया है। अंतिम पूरक आरोपपत्र हाल ही में दायर किया गया है, इन आरोप-पत्रों में से किसी में भी मुझे आरोपी या अभियुक्त के रूप में संदर्भित नहीं किया गया है।
  • चौधरी: फिर एक और आरोप पत्र दायर किया गया है। आखिरी पूरक आरोप पत्र हाल ही में दाखिल किया गया है। इन आरोपपत्रों में से किसी में भी मुझे आरोपित या संदिग्ध के रूप में संदर्भित नहीं किया गया है।
  • चौधरी: अंतिम आरोप पत्र 8 जून को दायर किया गया है। कृपया अब रिमांड आवेदन पर जाएं। यह एक कहानी है, लेकिन मैं सिर्फ आरोपित की भूमिका में रहूंगा।
  • चौधरी: ये कहते हैं कि ऐसी जानकारी जिससे मैं गवाहों को प्रभावित कर सकता हूं। सुप्रीम कोर्ट ने मुझे जमानत दे दी। किस गवाह को‌ मैं प्रभावित करने की कोशिश करूंगा?
  • चौधरी: आपने चार आरोपपत्र दायर किए हैं। आप कह रहे हैं कि आपको तीन जुलाई तक कुछ करना है। इनमें से कोई भी कारण गिरफ्तारी के योग्य नहीं होगा।
  • चौधरी: मैं एक-एक सामग्री को दूर कर सकता हूं। यह सब अभिमान है, जो इस अधिकारी के विश्वासों और पूर्वाग्रहों पर आधारित है।
  • चौधरी: वो खुद कह रहे हैं कि उन्होंने पहले ऐसा नहीं किया क्योंकि वे सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे। मैं पूछना चाहता हूं कि फिर आप जमानत आदेश का इंतजार क्यों कर रहे थे? यह बस एक दिखावा है।
  • चौधरी: कानून को सही दिशा में जाने दें।
  • चौधरी: मेरे साथ एक सामान्य व्यक्ति से ज्यादा बुरा व्यवहार नहीं किया जा सकता। आप मामले को सनसनीखेज बना सकते हैं, सारे सुबूत हवा में हैं।
  • चौधरी: सबसे अच्छा सुबूत तो आपके भ्रष्ट गवाह है।
  • केजरीवाल के वकील : वही दलीलें मनीष सिसोदिया की जमानत के दौरान भी दी गई। सिसोदिया की चार्जशीट पहले ही दाखिल हो चुकी है। यदि आप उन्हीं सुबूतों पर भरोसा कर रहे हैं, तो अब आप केजरीवाल को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं?
  • केजरीवाल के वकील: जहां तक ​​मनगढ़ंत राय का सवाल है तो नीति कैसे बनती है। समिति की रिपोर्ट को टिप्पणियों के लिए जनता के सामने रखा गया। क्या मनगढ़ंत था? आरोप है कि 14,000 टिप्पणियों में से 7 ईमेल मनगढ़ंत थे। उन्होंने मनीष सिसोदिया की जमानत में भी यही दलील दी है।
  • केजरीवाल के वकील: इसका केजरीवाल से कोई लेना-देना नहीं है। उनके पास पोर्टफोलियो नहीं था।
  • सीबीआई: जमानत आदेश से पहले उनकी जमानत पर रोक लगाई जाती है और बाद में इसकी पुष्टि की जाती है। फिर गिरफ्तारी की जाती है।। तो यह प्रश्न कहां है कि मैंने उद्देश्य को विफल कर दिया? उनकी जमानत पर रोक लगने के बाद मैं उन्हें गिरफ्तार कर‌ सकता‌ हूं।
  • सीबीआई : हमने पहले ही पहल कर दी थी। हम जांच कर रहे थे। सुबूत हिस्सों में आए‌ हैं। हर दिन मेरे आइओ अदालत में होते हैं।
  • सीबीआई ने कोर्ट से दिल्ली सीएम की पांच दिनों की रिमांड मांगी। 
  • सीबीआई : मैं तब कोर्ट आया जब मैं आरोपपत्र दाखिल करने की स्थिति में हूं।
  • सीबीआई : हमने कारण बताए हैं। धारा 41ए सिर्फ इस आदमी के लिए नहीं है। यह हर किसी के लिए है, कोर्ट ने प्रथम दृष्टया आरोपपत्र को सही माना है। फिर संज्ञान लिया गया है।
  • चौधरी: सीबीआई सोचती है कि वो बाकी सब चीजों से ऊपर है। आखिर हिरासत की जरूरत क्यों है, एजेंसी कह रही है कि वो यह बताना नहीं चाहती। सीलबंद लिफाफे में रखना चाहती है।
  • अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट में कहा कि सीबीआई सूत्रों से मीडिया में चलाया जा रहा है कि मैंने अपना सारा दोष मनीष सिसोदिया पर मढ़ दिया। मनीष सिसोदिया इसके दोषी है। मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है कि मनीष सिसोदिया दोषी हैं।
  • केजरीवाल ने कहा कि मैंने कहा था कि मनीष सिसोदिया निर्दोष हैं, आप निर्दोष हैं, मैं निर्देश हूं। इनका सारा प्लान हमें मीडिया में बदनाम करने का है। इसको रिकॉर्ड किया जाए कि सीबीआई सूत्रों से ये सब मीडिया में न चलवाया जाए।
  • कोर्ट: मुश्किल यह है कि मीडिया जो कवर करता है, उसे टुकड़ों में लिया जाता है।
  • सीबीआई : ये सूत्र नहीं हैं। मैंने अदालत में बहस की, किसी सूत्र ने कुछ नहीं कहा और मैंने तथ्यों पर तर्क दिया।
  • कोर्ट: वह सिर्फ इतना कहते हैं कि यह मेरा विचार नहीं था।
  • केजरीवाल: आइडिया इनका ये है कि फ्रंट पेज पर हेडलाइन हो कि केजरीवाल ने अपना ठीकरा मनीष सिसोदिया के सिर पर फोड़ा।
  • केजरीवाल ने कोर्ट से कहा: वो मुद्दे को सनसनीखेज बना रहे है। यह स्पष्ट होना जरूरी है। ये टॉप हेडलाइन होगी सारे न्यूज पेपर्स की। इनका मकसद ही सनसनीखेज करना है।
  • कोर्ट: मीडिया एक लाइन उठाती है। इस तरह से मीडिया को नियंत्रित करना मुश्किल है।
  • कोर्ट: क्योंकि आपने कुछ कहा होगा इसलिए इसकी रिपोर्ट की गई होगी। हमसे आपने थोड़ी न गलत बोला।
  • सीबीआई : हम सूत्र नहीं हैं। ऐसा नहीं आना चाहिए।
  • अदालत ने शाम साढ़े चार बजे तक आदेश सुरक्षित रखा।
  • शाम करीब 6 बजे कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सीबीआई को केजरीवाल की तीन दिन की रिमांड दे दी है।

इस रूट को किया गया बंद

सीबीआई मुख्यालय जाने वाले रूट को एक तरफ से पूरी तरह बंद किया गया। तकरीबन 200 मीटर की दूरी तक रास्ता बंद किया गया है।

किसी भी वाहन और मीडिया को भी आज मुख्यालय के आस-पास जाने नहीं दिया जा रहा है। सभी को 150 मीटर दूर रखा गया है। सिर्फ एक तरफ का आधा रास्ता खोला है।

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