CAA Protest: शरणार्थियों को चोर, दुष्कर्मी बताकर घिरे CM केजरीवाल, संतों-सिख समाज और विहिप में आक्रोश
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सीएए और शरणार्थियों पर बयान देकर घिर गए हैं। ताजा मामले में उनके बयान को लेकर शरणार्थियों के साथ ही संतों सिख समाज और विहिप में आक्रोश की लहर है। वहीं अखिल भारतीय संत समिति ने दिल्ली सीएम से माफी मांगने की मांग की है। साथ ही कई मुस्लिम संगठनों ने भी केजरीवाल के बयान की आलोचना की है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हुए हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध शरणार्थियों को चोर, दुष्कर्मी, अपराधी और आतंकी बताए जाने से शरणार्थियों के साथ ही संतों, सिख समाज और विहिप में आक्रोश की लहर है।
अखिल भारतीय संत समिति ने की माफी मांगने की मांग
अखिल भारतीय संत समिति ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से माफी मांगने की मांग की। अन्यथा हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समाज से आम आदमी पार्टी के राजनीतिक बहिष्कार की मांग की है।
इसी तरह विहिप ने कहा कि सीएम केजरीवाल गंदे आरोप लगा रहे हैं। यहां तक की कई मुस्लिम संगठनों ने भी केजरीवाल के बयान की आलोचना की है। मालूम हो कि बीते बुधवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम में केजरीवाल ने कहा था कि सीएए लागू होने के बाद से पड़ोसी देशों से दो करोड़ से अधिक वहां के अल्पसंख्यक भारत में आ जाएंगे।
सीएम आवास के बाहर हिंदू शरणार्थियों का प्रदर्शन
पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों द्वारा केजरीवाल के बयान को लेकर आज मुख्यमंत्री आवास के नजदीक प्रदर्शन किया जा रहा है। वहीं अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्र आनंद सरस्वती ने कहा कि यह तुष्टीकरण को लेकर दिए गए बयानों की पराकाष्ठा है। यह बयान दिखाता है कि अरविंद केजरीवाल में संवेदनशीलता और मानवता खत्म हो गई है।
केंद्र के सीएए लागू करने पर एबीवीपी ने जताई खुशी
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू करने के निर्णय का स्वागत किया है। एबीवीपी ने एक बयान में कहा है कि यह कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किए गए अल्पसंख्यक समुदाय के लिए नवीन जीवन दिशा प्रदान करेगा, भारत में नागरिकता संशोधन कानून मानवता के पक्ष की बहुत बड़ी जीत है।
हिन्दू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन पंथ के लोगों के साथ पाकिस्तान , अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश में अत्यधिक भेदभाव हुआ, जिसके कारण इन देशों से शरणार्थी के रूप में आए लोगों के लिए सीएए जैसे कानून की आवश्यकता थी। शरणार्थियों को सीएए द्वारा नागरिकता प्रदान कर मुख्यधारा में जोड़ने के प्रयास से भारत ने 'सर्वे भवन्तु सुखिन' के भाव को पुनः चरितार्थ करते हुए उन्हें समान अवसर तथा मानवीय गरिमा के अनुरूप जीवन जीने के अधिकार के पथ पर प्रशस्त किया है।
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