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Delhi Coaching Incident: अदालत ने CBI से मांगा जवाब, पूछा- ऐसा क्यों हुआ और क्या उठाया जाना चाहिए कदम?

Delhi Coaching Incident अदालत ने राजेंद्र नगर की घटना पर सुनवाई करते हुए कहा इसे सामान्य तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। अदालत ने इस मामले में सीबीआई CBI से जवाब मांगा है। अदालत ने सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा क्यों हुआ? आपको इस बारे में भी सोचना होगा। कोर्ट ने कहा कि यह भी बताएं कि क्या कदम उठाया जाना चाहिए ताकि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो।

By Vineet Tripathi Edited By: Kapil Kumar Updated: Thu, 05 Sep 2024 08:35 PM (IST)
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राजेंद्र नगर की घटना में कोर्ट ने सीबीआई से जवाब मांगा। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित आईएएस स्टडी सर्कल सेंटर के सह-मालिकों की जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने कहा कि घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण थी और वर्तमान मामला कोई सामान्य मामला नहीं होना चाहिए।

अदालत ने कहा कि ऐसा क्यों हुआ? आपको इस बारे में भी सोचना होगा। यह भी बताएं कि क्या कदम उठाया जाना चाहिए ताकि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो। अदालत ने यह भी कहा कि कोई अपनी संपत्ति वाणिज्यिक और कोचिंग उद्देश्य के लिए किराए पर देता है तो अदालत केवल यह चाहती है कि अगली बार जब कोई मकान मालिक किराए पर दे, तो चार बार सोचे।

अदालत ने उक्त टिप्पणी तब की कि जब सह-मालिकों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मोहिता माथुर ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल केवल उस बेसमेंट के मकान मालिक हैं और उन्हेांने कोचिंग सेंटर को किराए पर दिया था। उन्होंने तर्क दिया कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।

चारों आरोपित लगभग छह सप्ताह से हिरासत में

मोहित माथुर ने कहा कि बेसमेंट किराए पर देते समय चारों भाइयों ने सोचा भी नहीं होगा कि किसी की हत्या हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस स्तर पर याचिका रिहाई के बजाय केवल जमानत के लिए है। चारों आरोपित लगभग छह सप्ताह से हिरासत में हैं। इस पर पीठ ने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए कोचिंग सेंटरों में भेजते हैं और वर्तमान मामला कोई सामान्य मामला नहीं होना चाहिए।

साथ ही अदालत ने सीबीआइ के वकील से लगाए गए आरोप के संबंध में बेसमेंट के सह-मालिकों की जवाबदेही के संबंध में ठोस सबूत देने के लिए कहा, जैसा कि उसने आरोप लगाया था। अदालत ने सीबीआइ से यह पूछा कि क्या अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

हवाहवाई के बजाय ठोस सबूत पेश करें

सीबीआई ने कहा कि अधिकारियों के साथ-साथ उस क्षेत्र में जलभराव के मुद्दे की भी जांच कर रही है। अदालत ने कहा कि मिंटो ब्रिज में हर साल जलभराव होता है। अगर कोई शिकायत है, तो हर अधिकारी को दोषी ठहराया जाएगा? मामले में हवाहवाई के बजाय ठोस सबूत पेश करें।

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11 सितंबर को होगी आगे की सुनवाई

इस मामले पर आगे की सुनवाई 11 सितंबर को होगी। 27 जुलाई को हुई भारी वर्षा के कारण कोचिंग के बेसमेंट में पानी भरने से तीन आइएएस अभ्यर्थियों की मौत हो गई थी। जमानत देने से इन्कार करने के ट्रायल कोर्ट के निर्णय को आरोपित परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

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