Delhi News: दिल्ली के कांस्टेबल की हत्या के आरोपी बरी, अपने ही साथी के केस में सबूत नहीं जुटा पाई पुलिस
दिल्ली की एक अदालत ने 2015 में हुए दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल की हत्या के मामले में तीनों आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में पुलिस की जांच और सबूत जुटाने में नाकामी पर सवाल उठाए हैं। इस मामले में 44 लोग गवाह थे लेकिन अभियोजन पक्ष परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को साबित करने में विफल रहा।
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। करीब नौ साल पहले हुई दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल की हत्या के तीनों आरोपी कोर्ट ने बरी कर दिए हैं। रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने अपने फैसले में पुलिस की जांच और सुबूत जुटाने पर नाकामी का भी उल्लेख किया है।
हत्या में प्रयुक्त हथियार की बरामदगी न होने और आधिकारिक तौर पर आरोपी के फिंगर प्रिंट न लेने जैसी जांच में बरती गई गंभीर खामियों को लेकर पुलिस को कठघरे में खड़ा किया है। इस मामले में 44 लोग गवाह थे। पुलिस ने आरोप-पत्र में कहा था कि यौन उत्पीड़न को लेकर कांस्टेबल की हत्या की गई थी।
नाजुक सबूतों के आधार पर नहीं ठहरा सकते दोषी
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धीरेंद्र राणा ने 26 सितंबर 2015 को हुई दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल की हत्या के मामले में अपना फैसला दिया। न्यायालय ने खामियों से भरी जांच और सुबूतों का अभाव का जिक्र करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष परिस्थितिजन्य श्रृंखला को साबित करने में विफल रहा है और आरोपी को ऐसे कमजोर और नाजुक सबूतों के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता। न्यायालय ने तीनों आरोपी को दोष मुक्त कर दिया।चाकू और कांच के टुकड़े नहीं किए बरामद
आरोपी पक्ष के अधिवक्ता प्रदीप राणा और अभिषेक राणा ने न्यायालय के समक्ष तर्क दिया है कि जांच अधिकारी अपराध के हथियार यानी चाकू और कांच के टुकड़े को बरामद नहीं कर सका, जिससे मृतक का गला कथित तौर पर काटा गया था। यह भी तर्क रखा कि जांच अधिकारी ने कभी भी आरोपी सुमित के अंगूठे का निशान नहीं लिया गया। इसलिए फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
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