दुष्कर्म का आरोप लगा तो नौकरी गई, परिवार को झेलनी पड़ी जलालत; अब तीन साल बाद शख्स को मिली बड़ी राहत
दिल्ली जल बोर्ड के एक संविदाकर्मी को दुष्कर्म के फर्जी केस में तीन साल जेल में बिताने के बाद आखिरकार बरी कर दिया गया। दुष्कर्म का आरोप लगने के बाद युवक का रोजगार छिन गया था। पीड़िता की शिकायत में कई खामियां थीं और अदालत ने पाया कि उसके बयान विश्वसनीय नहीं हैं। इस मामले ने न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर सवाल उठाए हैं।
रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। दिल्ली जल बोर्ड के एक संविदाकर्मी को दुष्कर्म के फर्जी केस में जेल जाना पड़ा। परिवार के लोगों की जलालत झेलनी पड़ी। आरोप के बाद युवक का रोजगार तक छिन गया, लेकिन बाद में मामला फर्जी निकला और अदालत ने आरोपित को तीन साल बाद बरी कर दिया।
द्वारका स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश साधिका जालान की अदालत ने दुष्कर्म और धमकी देने के आरोपों का सामना कर रहे युवक को आरोपमुक्त करार दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता की शिकायत गुणवत्ता वाली नहीं है, जिस पर अदालत भरोसा कर सके। पीड़िता को घटनास्थल भी स्पष्ट तौर पर नहीं पता है, जबकि शिकायत में ही उसने घटनास्थल से अपने घर तक जाने की बात स्वीकार की है।
दिल्ली जल बोर्ड में काम करता था युवक
युवक दिल्ली जल बोर्ड में संविदा पर प्लंबर के तौर पर काम करता था। आरोप के बाद उसे नौकरी का संकट झेलना पड़ा और काफी समय तक उसे काम नहीं मिल पाया। बचाव पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता पंकज चौधरी ने दलील दी कि मामले में आरोपित युवक के खिलाफ दुष्कर्म, धमकी देने और फोटो वायरल करने का मुकदमा दर्ज कराया गया था।अदालत में पूछताछ के दौरान पीड़िता यह नहीं बता पाई कि घटना कहां हुई। पीड़िता ने जिस महिला के घर में घटना की बात कही, उस महिला के बेटे ने अदालत में ही पीड़िता को पहचानने से इनकार किया। अदालत में गवाही के दौरान उन्होंने कहा कि उनके घर में एक ही गेट है, जिस पर सीसीटीवी लगा है। कभी भी इस महिला को घर में आते नहीं देखा। अदालत ने पाया कि शिकायत घटना के करीब 16 माह बाद की गई और इस संबंध में कोई सटीक जवाब नहीं दिया गया।
कोरोनाकाल में घटना के होने की बात पर भी सवाल
अदालत ने घटना की तिथि पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस समय घटना की बात कही जा रही है, उस दौरान पूरे देश में लॉकडाउन था। ऐसे में आरोपित अपने परिवार के साथ रहता था। इसके बावजूद पीड़िता ने उसके परिवार से मिलने या देखे जाने का जिक्र नहीं किया, जबकि लॉकडाउन के दौरान परिवार के घर में होने की संभावना अधिक थी।पैसे मांगने पर दर्ज कराया मुकदमा
इसके अलावा पीड़िता ने पूरी शिकायत में एक जगह गलत काम शब्द का इस्तेमाल किया है, जबकि पूरी कार्रवाई के दौरान स्पष्ट नहीं किया कि कौन सा गलत काम और दोबारा कभी भी धमकाने का भी जिक्र नहीं किया। पीड़ित ने कहा कि प्लंबर का काम करने के पैसे मांगने पर मुकदमा किया।
दुष्कर्म के आरोप का सामना करने वाले युवक ने अदालत को अपने बयान में बताया कि उसने शिकायतकर्ता के घर पर प्लंबिंग का काम किया था, जिसका बिल करीब 16,500 रुपये बना था। महिला ने केवल 25 सौ रुपये दिए और बाकी रुपये मांगने पर उसे मुकदमें में फंसाने की धमकी दी थी। कुछ दिन बाद ही महिला ने युवक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया, जिसके बाद उसे ढाई माह के लिए जेल में भी रहना पड़ा।
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