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#MeToo: पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर मानहानि मामले में 10 फरवरी को फैसला सुनाएगी कोर्ट

रमानी का कहना था कि उन्होंने कोई मानहानि नहीं की। जो उनके साथ हुआ था बस वही बयां किया। वहीं अकबर का कहना था कि उनकी साफ-सुथरी छवि को खराब किया गया। इससे उनके निजी जीवन पर बुरा असर पड़ा।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Tue, 02 Feb 2021 10:37 AM (IST)
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पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री एमजे अकबर की फाइल फोटो

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री एमजे अकबर की तरफ से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। विशेष अदालत 10 फरवरी को फैसला सुनाएगी। दोनों पक्षों की तरफ से बहस पूरी होने के बाद अदालत ने कहा कि अगर किसी को लिखित में कुछ कहना है, तो पांच दिन के अंदर दाखिल करें। इसके बाद अदालत अपना फैसला देगी।

पत्रकार प्रिया रमानी ने 2018 में मीटू अभियान के दौरान एमजे अकबर पर शोषण का आरोप लगाया था। रमानी ने ट्वीट कर कहा था कि जब 20 साल पहले अकबर एक अंग्रेजी अखबार के संपादक थे, तो वह नौकरी के साक्षात्कार के लिए मिलने गई थी। इस दौरान अकबर ने उनका शोषण किया। यह आरोप लगने के बाद अकबर ने 17 अक्टूबर 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

इसके बाद अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था। कोर्ट ट्रायल के दौरान पक्षों की तरफ आरोपों को नकारा गया था। रमानी का कहना था कि उन्होंने कोई मानहानि नहीं की। जो उनके साथ हुआ था, बस वही बयां किया। वहीं अकबर का कहना था कि उनकी साफ-सुथरी छवि को खराब किया गया। इससे उनके निजी जीवन पर बुरा असर पड़ा। इस मामले में दाेनों पक्षों की तरफ से अंतिम बहस दो बार हुई थी। क्योंकि एक बार अंतिम बहस पूरी होने के बाद मजिस्ट्रेट का तबादला हो गया था। इसके बाद नियुक्त हुए मजिस्ट्रेट ने फिर से अंतिम बहस सुनी थी।

सीमेंट की बोरियां रखने के लिए गोदाम बनाए उत्तर रेलवे -एनजीटी

वहीं, एनजीटी ने उत्तर रेलवे को आदेश दिया है कि सीमेंट की बोरियां रखने के लिए प्लेटफार्म के साथ गोदाम बनाए जाएं। इन गोदामों से ही सीमेंट की बोरियां मालगाड़ी में रखी जाएं, ताकि प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सका। क्योंकि खुले में बगैर ढके पड़ी बोरियों से सीमेंट उड़ता रहता है। इस संबंध में एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को देने के लिए कहा गया है।

एनजीटी ने कहा सीपीसीबी और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) इस संबंध में पर्यावरण नियमों का पालन कराना सुनिश्चित करेंगे। एनजीटी ने उत्तर रेलवे की उस अर्जी को भी खारिज कर दिया, जिसमें डीपीसीसी द्वारा लगाए गए 71.62 लाख रुपये के जुर्माने पर रोक लगाने की मांग की गई थी। डीपीसीसी ने प्रदूषण को नियंत्रित न करने के चलते उत्तर रेलवे पर जुर्माना लगाया था। पीठ ने कहा कि जुर्माने की रकम पर्यावरण संरक्षण के लिए इस्तेमाल की जाएगी। इससे पहले एक कमेटी ने एनजीटी में रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि सीमेंट की ढुलाई से होने वाले प्रदूषण को लेकर रेलवे ने कोई काम नहीं किया है। इस कार्य में जुटे कर्मियों के स्वास्थ्य के प्रति भी गंभीरता नहीं दिखाई जाती है।

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