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Arvind Kejriwal: तीन दिन की CBI रिमांड पर भेजे गए CM केजरीवाल, राउज एवेन्यू कोर्ट ने सुनाया फैसला

Arvind Kejriwal CBI Remand नियमित जमानत पर बाहर आने की उम्मीद लगा रहे अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सीबीआई द्वारा मामले में जांच तेज करने और रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की प्रक्रिया से उन्हें झटका लगा है। आबकारी नीति घोटाले में मनीष सिसोदिया की याचिका कई बार खारिज हो चुकी है। इसी वजह से उनके जेल से बाहर आने की लड़ाई लंबी हो सकती है।

By Geetarjun Edited By: Geetarjun Updated: Wed, 26 Jun 2024 07:15 PM (IST)
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राउज एवेन्यू कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को तीन दिन की सीबीआई रिमांड पर भेजा।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। राउज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को उन्हें सीबीआई की रिमांड पर भेज दिया है। दिल्ली आबकारी नीति घोटाला (Delhi Excise Policy 2021-22) मामले में सीबीआई ने सोमवार को तिहाड़ जेल में पूछताछ की थी। इसके बाद मंगलवार को उन्हें गिरफ्तार करने की सूचना मिली और बुधवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया।

कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को सीबीआई की तीन दिन की रिमांड पर भेजा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जमानत पर रोक लगाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली है। अब पार्टी नए सिरे से याचिका दायर करेगी।

गिरफ्तारी पर क्या बोलीं पत्नी सुनीता

सुनीता केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, 20 जून को अरविंद केजरीवाल को जमानत मिली। ईडी ने तुरंत हाईकोर्ट जाकर रोक लगवा दी। अगले ही दिन सीबीआई ने आरोपी बना दिया और आज गिरफ्तार कर लिया। पूरा तंत्र इस कोशिश में है कि बंदा जेल से बाहर ना आ जाए। ये कानून नहीं है। ये तानाशाही है, इमरजेंसी है।

केजरीवाल को 25 जून को HC से लगा झटका

ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल को मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका लगा था। इस दौरान निचली अदालत द्वारा दी गई जमानत के फैसले पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा दी गई जमानत को अनुचित बताया था।

क्या थी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22

दिल्ली सरकार ने चोरी को रोकने और राजस्व बढ़ाने के लिए नवंबर 2021 में अपनी आबकारी नीति में सुधार का प्रयास शुरू किया था। इस समय तक दिल्ली में शराब की खुदरा बिक्री सरकारी निगमों और निजी कंपनियों के बीच समान रूप से वितरित की जाती थी और आबकारी विभाग प्रति वर्ष लगभग 4,500 करोड़ रुपये कमाता था।

दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के आने के बाद, सरकार ने खुदरा का पूरी तरह से निजीकरण कर, आबकारी चोरी और अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाकर 10 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य रखा गया। इस नई नीति के तहत शहर के सभी 272 नगरपालिका वार्डों में कम से कम दो शराब की दुकानें होनी थीं।

आबकारी नीति से जुड़ा यह है मामला

सीबीआई और ईडी ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ दिया गया था। लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया था। लाभार्थियों ने आरोपित अधिकारियों को अवैध लाभ दिया और पता लगाने से बचने के लिए अपने खाते की पुस्तकों में गलत प्रविष्टियां कीं।

यह भी आरोप है कि आबकारी विभाग ने निर्धारित नियमों के विरुद्ध एक सफल निविदाकर्ता को लगभग 30 करोड़ रुपये की बयाना जमा राशि वापस करने का निर्णय लिया था। कोरोना महामारी के कारण 28 दिसंबर 2021 से 27 जनवरी 2022 तक निविदा लाइसेंस शुल्क पर छूट की अनुमति दी गई थी। इससे सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

दिल्ली के उपराज्यपाल की सिफारिश पर सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी। सीबीआई की प्राथमिकी पर ईडी ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू की थी।

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