Paper Leak Case: दिल्ली की अदालत ने हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार बलविंदर शर्मा और उनकी महिला मित्र को सुनाई 5-5 साल की सजा
हरियाणा में 2013 में हुई 107 जजों की भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (भर्ती) बलविंदर कुमार शर्मा और उनकी महिला मित्र सुनीता को दोषी करार देते हुए पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि पेपर लीक के दूरगामी परिणाम होते हैं और इससे अभ्यर्थियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हरियाणा में नौ साल पहले 107 जजों की भर्ती के लिए हुई परीक्षा के पेपर लीक मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (भर्ती) बलविंदर कुमार शर्मा और उनकी महिला मित्र सुनीता को दोषी करार देते हुए पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। शर्मा इस अवधि के दौरान हाई कोर्ट में तैनात थे। उनके अलावा सुशीला नाम की महिला को भी अदालत ने दोषी करार दिया है।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने कहा कि पेपर लीक के दूरगामी परिणाम होते हैं और अभ्यर्थियों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे विद्यार्थियों में अशांति, तनाव और चिंता का प्रभाव पड़ता है। अदालत ने कहा कि जिस देश में बेरोजगारी एक निरंतर चिंता का विषय बनी हुई है, वहां पेपर लीक का खतरा बढ़ गया है और भर्तियों में देरी से कार्यकुशलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
संगठित गिरोहों के जरिए ऐसे अपराध को अंजाम
अदालत ने कहा कि सरकारी विभाग और प्रशासनिक एजेंसियां पहले से ही कम ह्यूमन रिसोर्स की समस्या से जूझ रहे हैं। अदालत ने ये भी कहा कि आजकल प्रश्नपत्र तैयार करने के लिए कोचिंग सेंटर, सलाहकार, एजेंसियां और प्रिंटिंग प्रेस के साथ मिलकर संगठित गिरोहों के जरिए ऐसे अपराध को अंजाम दिया जाता है।बलविंदर ने पद का दुरूपयोग किया: कोर्ट
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने कहा कि बलविंदर कुमार शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला बनता है क्योंकि उनके पास प्रारंभिक परीक्षा- 2017 का अंतिम प्रश्न पत्र थे और इसकी पवित्रता और अखंडता बनाए रखने का दायित्व उस पर था। हालांकि, बलविंदर कुमार शर्मा ने अपनी करीबी दोस्त सुनीता को प्रश्नपत्र उपलब्ध कराया। जिसे इसका लाभ मिला और उच्चतम अंक प्राप्त किए। इस प्रकार बलविंदर ने पद का दुरूपयोग किया।
अदालत ने कहा कि विशेष लोक अभियोजक चरणजीत सिंह बक्शी, अतिरिक्त लोक अभियोजक मनोज गर्ग और अधिवक्ता अमित साहनी द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों और परिस्थितियों को देखते हुए आरोपितों को आपराधिक साजिश रचने, भ्रष्टाचार समेत अन्य धाराओं के तहत दोषी करार दिया जाता है।
छह आरोपी सबूतों के अभावों में बड़ी
मामले में दोषी करार दी गई सुशीला एफआईआर होने के बाद नौ माह तक जेल में रही थी, इसलिए उसकी सजा अंडरगॉन कर दी, यानी उसे और सजा नहीं सुनाई गई है। इस मामले में चंडीगढ़ कांग्रेस के नेता सुनील चोपड़ा सहित छह और आरोपित थे, लेकिन उन्हें सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
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