Delhi Crime: काम के बदले पैसे मांगने पर किशोरी की हत्या कर छह टुकड़े में फेंकने वाला झारखंड से गिरफ्तार
घटना के बाद साढे चार वर्ष से वह फरार चल रहा था। दिल्ली पुलिस की टीम गुमला पहुंचकर वहां पैरा मिलिट्री के साथ कई बार छापेमारी की थी लेकिन वह हाथ नहीं आ रहा था। इस बार सेल की टीम ने उसे दबोच लिया।
By Rakesh Kumar SinghEdited By: Prateek KumarUpdated: Sun, 13 Nov 2022 07:43 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने झारखंड की रहने वाली 15 साल की किशोरी की पश्चिमी दिल्ली के इलाके में बेरहमी से हत्या करने वाले आरोपित शालू टोपनो को झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र गुमला के जंगल से गिरफ्तार कर लिया है। घटना के बाद साढे चार वर्ष से वह फरार चल रहा था। दिल्ली पुलिस की टीम गुमला पहुंचकर वहां पैरा मिलिट्री के साथ कई बार छापेमारी की थी लेकिन वह हाथ नहीं आ रहा था। इस बार सेल की टीम ने उसे दबोच लिया। 2018 में अदालत ने शालू को भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया था। दिल्ली पुलिस की तरफ से उस पर 50 हजार का इनाम था। उसे झारखंड की अदालत में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया गया है।
गुमला के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में छिपा था आरोपित
एसीपी अतर सिंह व इंस्पेक्टर शिव कुमार व पवन कुमार के नेतृत्व में एसआइ राजेश कुमार को गत दिनों सूचना मिली कि हत्या के मामले में फरार आरोपित शालू गुमला में नक्सल क्षेत्र में छिपा हुआ है। पुलिस टीम ने 11 नवंबर को गुमला पहुंच कर वहां से उसे दबोच लिया।
मानव तस्करी में था शामिल
डीसीपी स्पेशल सेल प्रमोद सिंह कुशवाहा के मुताबिक शालू, गुमला, झारखंड का रहने वाला है। पुलिस के मुताबिक वह मानव तस्करी का काम करता था। दिल्ली के कई प्लेसमेंट एजेंसियों से उसका सांठगांठ था। झारखंड और बिहार के गरीब परिवार के लोगों को गुमराह कर उन्हें दस-दस हजार रुपये देकर उनकी लड़कियों को दिल्ली में अच्छी नौकरी दिलवाने के बहाने अपने साथ दिल्ली ले लाता था और यहां उन्हें कमीशन के आधार पर प्लेसमेंट एजेंसियों को सौंप देता था। प्लेसमेंट एजेंसी मालिक उक्त लड़कियों को अलग-अलग जगहों पर बतौर घरेलू सहायिका नौकरी पर रखवा देते थे।घरेलू सहायिका के रूप में दिलाता था नौकरी
2015 में आरोपित, झारखंड से एक 12 वर्ष की नाबालिग लड़की को नौकरी दिलाने के लिए अपने साथ दिल्ली ले आया था और उसे एक व्यवसायी के पास घरेलू सहायिका के रूप में काम पर रखवा दिया था। उसे मालिक द्वारा जो वेतन दिए जाते थे उसे प्लेसमेंट एजेंसी के मालिक खुद ही रख लेता था। तीन वर्ष बाद लड़की ने झारखंड अपने घर वापस जाने की बात कही थी। इसके लिए उसने दो लाख रुपये बकाया वेतन राशि देने की मांग की थी।
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