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Delhi Crime: किडनी ट्रांसप्लांट के नाम पर होता था बड़ा खेल, छह राज्यों में फैला था गिरोह; सरगना समेत 15 गिरफ्तार

देशभर के छह राज्यों में किडनी ट्रांसप्लांट कराने के नाम पर ठगी करनेवाले 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। डीसीपी अमित गोयल का कहना है कि गिरफ्तार आरोपित इंटरनेट मीडिया के जरिये किडनी दान दाताओं से संपर्क कर उनकी खराब आर्थिक पृष्ठभूमि का फायदा उठाकर उन्हें किडनी देने के लिए तैयार करते थे। किडनी देने के बदले ये लोग दानदाता को पांच से छह लाख रुपये देते थे।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Updated: Fri, 19 Jul 2024 03:51 PM (IST)
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किडनी प्रत्यारोपण कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर सरगना समेत 15 सदस्यों को गिरफ्तार किया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक और किडनी प्रत्यारोपण कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर सरगना समेत 15 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह दिल्ली, यूपी, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात आदि छह से अधिक राज्यों में सक्रिय था। आरोपित पहले शहर के बड़े व नामी अस्पतालों में प्रत्यारोपण सह-समन्वयक के रूप में नौकरी प्राप्त करते थे और किडनी प्रत्यारोपण के लिए अस्पतालों द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से अवगत होते थे।

इसके बाद वे दिल्ली, फरीदाबाद, मोहाली, पंचकुला, आगरा, इंदौर और गुजरात आदि राज्यों के विभिन्न अस्पतालों में किडनी रोग से पीड़ित और इलाज करा रहे मरीजों की पहचान कर उनसे संपर्क साध किडनी प्रत्यारोपण कराने की इच्छा जानते थे। जो मरीज इनकी मांग के अनुसार पैसे देने के लिए तैयार हो जाते थे, ये लोग उनका किडनी प्रत्यारोपण करवा देते थे।

सोशल मीडिया से किडनी दानदाताओं से संपर्क

डीसीपी अमित गोयल का कहना है कि गिरफ्तार आरोपित इंटरनेट मीडिया के जरिये किडनी दान दाताओं से संपर्क कर उनकी खराब आर्थिक पृष्ठभूमि का फायदा उठाकर उन्हें किडनी देने के लिए तैयार करते थे। किडनी देने के बदले ये लोग दानदाता को पांच से छह लाख रुपये देते थे।

मरीजों व दानदाताओं को करीबी रिश्तेदार दिखाने के लिए ये लोग उनके जाली दस्तावेज तैयार करते थे क्योंकि यह अनिवार्य प्रावधानों में से एक है। फर्जी दस्तावेज होने का किसी को संदेह न हो इससे बचने के लिए दाता और रोगी को दूसरे राज्य के अस्पताल में प्रत्यारोपण कराने के लिए दूसरे राज्य के निवासी के रूप में दिखाया जाता था।

हैसियत के हिसाब से 35-40 लाख की वसूली

जाली दस्तावेज के आधार पर उनकी प्रारंभिक चिकित्सा जांच की जाती थी और विभिन्न अस्पतालों में प्रत्यारोपण प्राधिकरण समिति की जांच में उत्तीर्ण होने की व्यवस्था की जाती थी। अब तक यह बात सामने आई है कि सिंडिकेट ने अलग-अलग राज्यों के 11 अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण कराने में सफलता हासिल की थी। किडनी प्रत्यारोपण कराने वालों से गिरोह के सदस्य उनकी हैसियत को भांप उसी अनुसार 35-40 लाख रुपये वसूलते थे।

आरोपितों के कब्जे से टिकटें, विभिन्न प्राधिकरणों की मुहरें, विभिन्न अस्पतालों और प्रयोगशालाओं के खाली कागजात, मरीजों और किडनी प्रत्यारोपण के दाताओं की जाली फाइलें और अन्य महत्वपूर्ण जाली दस्तावेज सहित कई आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई है।

35 लाख रुपये की धोखाधड़ी का आरोप

क्राइम ब्रांच को कुछ माह पहले किडीनी रैकेट से जुड़े के एक संगठित रैकेट के बारे में सूचना प्राप्त हुई थी, जो भारतीय नागरिकों के अवैध तरीके से किडनी प्रत्यारोपण करा रहे थे। इंस्पेक्टर सतेंद्र मोहन की टीम ने जब सिंडिकेट के बारे में जांच शुरू की तब एक महिला शिकायतकर्ता ने संदीप और विजय कुमार कश्यप उर्फ सुमित के खिलाफ शिकायत दी कि उन्होंने किडनी प्रत्यारोपण कराने के लिए उनके पति से 35 लाख की धोखाधड़ी की है। 

गोवा के पांच सितारा होटल से गिरफ्तार

26 जून को तकनीकी निगरानी की मदद से आरोपितों की पहचान कर पहले 26 जून को लखनऊ के रहने वाले सुमित उर्फ विजय कश्यप को नोएडा से गिरफ्तार कर लिया। उसके कब्जे से बहुत सारे फर्जी कागजात, स्टांप सील व रोगी तथा दाता की फाइलें बरामद की गईं। इससे पूछताछ के बाद 28 जून को संदीप आर्य और देवेंद्र दोनों को गोवा के एक पांच सितारा होटल से गिरफ्तार कर लिया। दोनों उत्तराखंड के रहने वाले हैं।

किडनी प्रत्यारोपण कराने वाले 34 मरीजों की पहचान

आगे की जांच के दौरान उनकी निशानदेही पर पांच अन्य सहयोगियों पुनित कुमार, मोहम्मद हनीफ शेख, चीका प्रशांत, तेज प्रकाश और रोहित खन्ना उर्फ नरेंद्र को विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा किडनी प्रत्यारोपण कराने वाले पांच मरीजों और दो दाताओं की पहचान कर उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की गई। इस गिरोह द्वारा किडनी प्रत्यारोपण कराने वाले 34 मरीजों की पहचान की गई है। आगे की जांच अभी जारी है।

किडनी रैकेट: आरोपितों के प्रोफाइल और इनसे बरामद सामान

1. संदीप आर्य (नोएडा)- किडनी रैकेट का सरगना है और पब्लिक हेल्थ में एमबीए है। इसने फरीदाबाद, दिल्ली, गुरुग्राम, इंदौर और वडोदरा के विभिन्न अस्पतालों में ट्रांसप्लांट को-आर्डिनेटर के रूप में काम किया है। यह मरीजों से संपर्क करता था और अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण की व्यवस्था करता था, जहां उसे प्रत्यारोपण समन्वयक के रूप में तैनात किया गया था। वह प्रत्येक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लगभग 35-40 लाख लेता था, जिसमें मरीजों द्वारा भुगतान किया गया अस्पताल का खर्च, डोनर की व्यवस्था, आवास और सर्जरी के लिए आवश्यक अन्य कानूनी दस्तावेज शामिल थे। प्रत्येक किडनी ट्रांसप्लांट पर उसे सात से आठ लाख रुपये की बचत होती थी। वह पहले शालीमार बाग थाने के क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी मामले में शामिल रह चुका है।

2. देवेन्द्र झा (उत्तराखंड)- 10वीं पास है और संदीप आर्य नाम के आरोपित का बहनोई है जिसने उसे अपना खाता प्रदान किया था, जिसमें शिकायतकर्ता के पति से सात लाख प्राप्त हुए थे। उसकी भूमिका संदीप आर्य की सहायता करना और उसके निर्देश पर भुगतान प्राप्त करना था। वह हर केस के लिए 50 हजार लेता था।

3. विजय कुमार कश्यप उर्फ सुमित (लखनऊ)- स्नातक पास है। शुरुआत में वह पैसे के बदले अपनी किडनी देने के लिए संदीप आर्य के संपर्क में आया। इसके बाद वह अपराध में शामिल हो गया और संदीप आर्य के साथ काम करने लगा था। प्रत्येक मामले के लिए उसे 50 हजार मिलता था। उसकी भूमिका रोगी व रिसीवर की जीवनशैली और पारिवारिक पृष्ठभूमि के अनुसार दाताओं के व्यक्तित्व को तैयार करना और संदीप के निर्देश पर सर्जरी से पहले दाताओं को सुविधा प्रदान करना था।

4. पुनीत कुमार (आगरा)- 2018 में अस्पताल प्रबंधन की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद, विभिन्न राज्यों के सात नामी अस्पतालों में सेवा की। वह संदीप के निर्देश पर मरीज और डोनर के बीच संबंध साबित करने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करता था। फिलहाल वह आगरा के एक अस्पताल में ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर के पद पर कार्यरत था। संदीप उसे प्रत्येक फाइल के लिए 50 हजार से एक लाख तक का भुगतान करता था।

5. मोहम्मद हनीफ शेख (मुंबई)- पेशे से दर्जी है। बिजनेस में घाटे के बाद वह फेसबुक पेज के माध्यम से संदीप आर्य के संपर्क में आया और पैसे के लिए अपनी किडनी दान कर दी। इसके बाद वह अपराध में लिप्त हो गया और संदीप आर्य के यहां काम करने लगा। उसकी भूमिका संदीप आर्य को मरीज या डोनर उपलब्ध कराने की थी, जिसके बदले उसे प्रति केस के लिए एक से पांच लाख रुपये मिलते थे।

6. चीका प्रशांत (हैदराबाद)- संदीप आर्य के माध्यम से अपनी किडनी दान की और उसके बाद वह उनसे जुड़ गया। संदीप ने उसे अस्पतालों में पहुंच पाने का एक अवसर देखा, इसलिए उसने ट्रांसप्लांट को-आर्डिनेटर के रूप में नौकरी पाने के लिए इंदौर में उसके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की और अंततः दिल्ली के एक नामी अस्पताल में फर्जी कागजात पर नौकरी पाने में सफल रहा। उसकी मदद से संदीप का तीन किडनी ट्रांसप्लांट हुआ। इसके अलावा उसने खुद को पिता और बेटी के रूप में दिखाते हुए एक दाता के साथ शिकायतकर्ता के पति के लिए फाइल आगे बढ़ाई, लेकिन इस बीच शिकायतकर्ता के पति की मृत्यु हो गई। वह प्रति केस एक लाख रुपये लेता था।

7. तेज प्रकाश (दिल्ली)- उसने संदीप के माध्यम से मोहाली के एक अस्पताल से अपनी पत्नी के लिए किडनी ट्रांसप्लांट कराया और बाद में संदीप आर्य को मरीज भी मुहैया कराया। वह प्रति मरीज पांच लाख लेता था।

8. रोहित खन्ना उर्फ नरेंद्र (दिल्ली)- इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से विभिन्न किडनी ग्रुप से किडनी दाताओं के संपर्क नंबर प्राप्त करता था, जिसका वह सदस्य है। जैसे ही कोई डोनर किडनी देने की इच्छा दिखाता, वह अपना मोबाइल नंबर देकर उनसे संपर्क कर लेता था। इसके अलावा, वह उसे किडनी प्रत्यारोपण के लिए विभिन्न रोगियों के लिए आरोपी संदीप आर्य को भेज देता था। उसके पास 26 ईमेल आईडी, इंटरनेट मीडिया पेजों के नंबर है और 112 किडनी-उपचार समूहों के सदस्य भी है। वह सिंडिकेट को दानदाताओं का मुख्य आपूर्तिकर्ता है।

बरामद सामान

1. विभिन्न राज्यों के विभिन्न अधिकारियों की 34 मोहरें

2. किडनी रोगियों और दाताओं की छह फर्जी फाइलें

3. फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए विभिन्न प्रयोगशालाओं और अस्पतालों के खाली दस्तावेज

4. टिकटें तैयार करने की सामग्री

5. दो लैपटाप जिनमें किडनी प्रत्यारोपण का आपत्तिजनक डाटा और रिकार्ड था

6. 17 मोबाइल फोन

7. नौ सिमकार्ड और 1.50 लाख नकद

8. संदीप आर्य की मर्सिडीज कार : यह कार मरीजों को प्रभावित करती थी।

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