Delhi: कर्ज और घाटे के दलदल में फंसा दिल्ली जल बोर्ड, आर्थिक पहलू पर नहीं दिया तो और बिगड़ेगी स्थिति
अनियमितता के आरोप के कारण वित्त विभाग जल बोर्ड के खातों की जांच कर रहा है। इस कारण फंड आवंटन की समस्या हो गई है। फंड न मिलने से आर्थिक बदहाली से जूझ रहे बोर्ड की स्थिति और खराब हो गई है। इसी पखवाड़े दिल्ली की जल मंत्री आतिशी द्वारा हाई कोर्ट में जमा शपथपत्र के अनुसार फंड की कमी से 4235 परियोजनाओं का काम रुक गया है।
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। यह वर्ष दिल्ली जल बोर्ड के लिए अच्छा नहीं कहा सकता। दिल्लीवासियों को जल आपूर्ति करने और सीवर रखरखाव की जिम्मेदारी निभाने वाली संस्था आर्थिक बदहाली से जूझ रही है। कुप्रबंधन के कारण न तो पानी की बर्बादी रुक रही है और न ही राजस्व बढ़ रहा है। लगातार घाटा बढ़ता जा रहा है।
बोर्ड पर 73 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है और भुगतान नहीं होने के कारण कई ठेकेदारों ने अपना काम तक बंद कर दिया है। उन्हें भुगतान के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। अधिकारियों और दिल्ली सरकार के बीच टकराव से स्थिति और बिगड़ रही है।
दो वर्ष में बढ़ा 852 करोड़ का घाटा
दिल्ली जल बोर्ड अपने घाटे पर नियंत्रण करने में असमर्थ होता जा रहा है। वर्ष 2019-20 में उसका घाटा 344.05 करोड़ रुपये था। यह 2021-22 में 852 करोड़ रुपये से भी ज्यादा बढ़कर 1196.22 करोड़ रुपये पहुंच गया। वर्ष 2022-23 में वित्तीय घाटा 854.86 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।फंड की कमी से चार हजार से अधिक परियोजनाएं बाधित
अनियमितता के आरोप के कारण वित्त विभाग जल बोर्ड के खातों की जांच कर रहा है। इस कारण फंड आवंटन की समस्या हो गई है। फंड न मिलने से आर्थिक बदहाली से जूझ रहे बोर्ड की स्थिति और खराब हो गई है। इसी पखवाड़े दिल्ली की जल मंत्री आतिशी द्वारा हाई कोर्ट में जमा शपथपत्र के अनुसार फंड की कमी से 4235 परियोजनाओं का काम रुक गया है। इसमें से अधिकांश पांच हजार करोड़ रुपये से कम के हैं। वित्त विभाग ने कुछ दिनों पहले 537.1 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है, लेकिन बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि देनदारी अदा करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है।
एसटीपी के काम में एक वर्ष तक का विलंब
यमुना नदी को साफ करने के लिए इसमें गिरने वाले नालों का गंदा पानी रोकना जरूरी है। इसके लिए नए सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) बनाने और पुराने के उन्नयन का काम चल रहा है। कुछ माह पूर्व एनजीटी में दी गई रिपोर्ट के अनुसार, एसटीपी के काम में छह माह से एक वर्ष का विलंब है। चल रहे 28 एसटीपी में से 23 एसटीपी से उपचारित पानी मानक के अनुरूप नहीं हैं।राष्ट्रीय राजधानी में लुप्त हो रहे जलाशय
अधिकारियों की लापरवाही के कारण राजधानी दिल्ली के 250 से ज्यादा जलाशयों का अस्तित्व अब पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। दिल्ली स्टेट वेटलैंड अथारिटी (डीएसडप्ल्यूए) ने 1045 जल स्रोतों की पहचान कर उन्हें सूचीबद्ध किया है, जिसमें से 258 विलुप्त हो गए हैं। बचे हुए अधिकांश जलाशयों की भूमि पर अतिक्रमण है।
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