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सियासत के ब्रेक ने दिल्ली में नहीं बढ़ने दी बसों की संंख्या, पढ़ें पूरी खबर

राजधानी की परिवहन व्यवस्था बदहाल हो चुकी है। पांच साल में बसें बढ़ने के बजाय और कम हो गईं है।

By Pooja SinghEdited By: Updated: Sun, 02 Feb 2020 08:45 AM (IST)
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सियासत के ब्रेक ने दिल्ली में नहीं बढ़ने दी बसों की संंख्या, पढ़ें पूरी खबर

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। राजधानी की परिवहन व्यवस्था बदहाल हो चुकी है। पांच साल में बसें बढ़ने के बजाय और कम हो गईं है। केंद्र और राज्य सरकार के सियासी झगड़े में बसों में जो ब्रेक लगा तो पांच साल तक दिल्ली परिवहन व्यवस्था उससे उबर ही नहीं सकी। आलम यह है कि लोग स्टॉप पर घंटों खड़े रह जाते हैं और बसें आती ही नहीं हैं। यह स्थिति दिल्ली के हर क्षेत्र की है। हालांकि, आप सरकार ने बसें खरीदने के प्रयास तमाम किए, लेकिन हर बार कोई न कोई बाधा आ गई।

राजधानी की ज्यादातर बसें पुरानी हैं, जो समय सीमा पूरी होने की वजह से बेड़े से बाहर होती जा रही हैं। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सात साल से डीटीसी के बेड़े में एक भी नई बस नहीं आई है। पिछले सालों से बसें लगातार कम हो गई हैं। इस समय दिल्ली को 11 हजार बसों की जरूरत है, जबकि दिल्ली में डीटीसी और क्लस्टर मिलाकर कुल 5700 बसें ही उपलब्ध हैं। यहां बसों की कमी की समस्या हर क्षेत्र में है। बसें न होने से लोग परेशान हैं। इसके लिए दिल्ली में बसों लाने पर तेजी से काम करना होगा। बसों की जो योजनाएं कागजों में हैं, उन्हें जमीन पर लाना होगा।

दिल्ली देहात और उपनगरी द्वारका के लोगों के लिए बसों का उपेक्षित रवैया दुख का सबब बना हुआ है। कैलाश गहलोत के परिवहन मंत्री बनने के बाद हालात में पहले से सुधार हुआ है। मगर, अभी भी नजफगढ़ क्षेत्र के दिल्ली देहात के गांवों में तो शाम ढलते ही बस का दिखना बंद हो जाता है। वहीं उपनगरी द्वारका में लोगों को घंटों बस का इंतजार करना पड़ता है। उधर, रात के समय मुद्रिका सेवा भी रूट से कई घंटे के इंतजार के बाद ही लोगों को मिलती है।

बाहरी दिल्ली

बाहरी दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में लचर परिवहन व्यवस्था से यात्रियों को 30 से 40 मिनट तक बस का इंतजार करना पड़ता है। रात नौ बजे के बाद ग्रामीणों इलाकों में परिवहन की व्यवस्था और खराब हो जाती है। बाहरी दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में रात्रि सेवा नहीं होने से नौकरीपेशा और कामकाजी लोगों को दो से तीन किलोमीटर पैदल चलकर घन जाना पड़ता है।

पूर्वी दिल्ली 

पूर्वी दिल्ली में भी सार्वजिनक परिवहन व्यवस्था का बुरा हाल है। यहां के मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में डीटीसी की एक भी बस नहीं जाती है। अन्य इलाकों में भी डीटीसी बस सेवा की कमी है। निजी गाड़ियों और ऑटो पर लोगों को निर्भर रहना पड़ता है। सोनिया विहार से नानकसर व खजूरी खास वाले रूटों पर जाने के लिए एक ही डीटीसी सेवा है। दो किलोमीटर जाकर ही अन्य रूट पर चलने वाली डीटीसी सेवा का लोगों को लाभ मिलता है।

लगातार कम हो रही हैं बसें

2014 में डीटीसी के पास 5223 बसें थी और क्लस्टर सेवा की 13 सौ बसें मिलाकर कुल 6523 बसें होती थीं। लेकिन, अगस्त 2017 में घटकर डीटीसी की बसें 3951 रह गईं। डीटीसी की 1273 बसें कम हो गईं। डीटीसी के पास मौजूदा समय में कुल 3800 बसें हैं। जबकि, क्लस्टर सेवा की 1900 बसें हैं। यानी कुल मिलाकर 5700 बसें ही उपलब्ध हैं। डीटीसी में यात्रियों की संख्या में औसतन 8.88 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से कमी हो रही है। मेट्रो स्टेशनों से लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए भी अभी तक मात्र 174 मेट्रो फीडर बसें ही चलाई जा सकी हैं। इस सबके साथ दिल्ली में मेट्रो सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मगर, जिस तरह से मेट्रो का किराया बढ़ा है। उससे यह आम आदमी की जेब पर भारी पड़ने लगी है।

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