Delhi: गैंगस्टर्स पर नकेल कसने की कवायद तेज, गृह मंत्रालय के निर्देश पर कुख्यात अपराधियों की बन रही सूची
एनआईए व स्पेशल सेल का मानना है कि दिल्ली हरियाणा पंजाब राजस्थान व गुजरात के जेलों में बंद गैंगस्टर्स का नेटवर्क खत्म करने के लिए उन्हें ऐसी जेलों मेें रखा जाए जहां उनका दबदबा कायम न हो सके। इसके लिए उन्हें असम के डिब्रूगढ़ या अंडमान निकोबार के जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए रखने पर विचार किया जा रहा है।
नई दिल्ली, राकेश कुमार सिंह। पिछले कई वर्षों से दिल्ली समेत पड़ोसी राज्यों के बड़े गैंगस्टर्स का बढ़ता आतंक समाज व पुलिस के लिए सिरदर्द साबित होने लगे हैं। गैंगस्टर आपस में गठजोड़ कर आतंकियों की राह पर चल पड़े हैं। अब गृह मंत्रालय ने इनपर निर्णायक कार्रवाई करने की तैयार कर ली है। इसके लिए एनआईए को फूल प्रूफ प्लान तैयार करने को कहा है। एनआईए प्रमुख दिनकर गुप्ता ने पिछले माह के अंत में चंडीगढ़ में इसको लेकर एक गोपनीय बैठक की है।
बैठक में हरियाणा, चंडीगढ़ व पुडुचेरी के पुलिस प्रमुखों को तो शामिल किया गया, लेकिन दिल्ली पुलिस को शामिल नहीं किया गया। शायद इसलिए कि दिल्ली पुलिस केंद्र की ही है। स्पेशल सेल का कहना है कि हाल के वर्षों में अधिकतर गैंगस्टर्स को गिरफ्तार तो कर लिया गया, लेकिन विभिन्न जेलों में बंद रहने के बावजूद वे मोबाइल का इस्तेमाल कर अपना रैकेट चला रहे हैं।
एनआईए व स्पेशल सेल का मानना है कि दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व गुजरात के जेलों में बंद गैंगस्टर्स का नेटवर्क खत्म करने के लिए उन्हें ऐसी जेलों मेें रखा जाए जहां उनका दबदबा कायम न हो सके। इसके लिए उन्हें असम के डिब्रूगढ़ या अंडमान निकोबार के जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए रखने पर विचार किया जा रहा है। एक माह के अंदर इसपर निर्णय लिया जा सकता है।
एनआईए सूत्रों के मुताबिक, अंडमान निकोबार में इस वक्त चार जिला व सब जेल हैं। दूसरे राज्यों की जेलों के मुकाबले इन जेलों में काफी कम 1,500 कैदी हैं। यहीं पर आजादी के पहले से सेल्यूलर जेल रही है और उस जेल की सजा को काले-पानी की सजा के तौर पर जाना जाता है। अंडमान की जेलों की सुरक्षा काफी सख्त है। इसी तरह असम के डिब्रूगढ़ में सेंट्रल जेल है, जहां दूसरे राज्यों की जेलों के मुकाबले सुरक्षा बहुत चाक-चौबंद है। इन दोनों जगहों की स्थानीय भाषा दिल्ली, हरियाणा और पंजाब से बिल्कुल अलग है। यहां रहनेवाले कैदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच भाषाई तौर पर एक दूसरे के करीब आना भी मुश्किल होता है।
एनआईए ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब व राजस्थान के कुछ गैंगस्टर के खिलाफ पिछले साल अगस्त में दो एफआइआर दर्ज की थी। इनमें इन अपराधियों के जेल से क्राइम सिंडिकेट चलाने के तौर तरीके का जिक्र था। इसके बाद एनआईए ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ की पुलिस के साथ मिलकर गैंगस्टर्स के सिंडिकेट को खत्म करने के लिए संयुक्त आपरेशन शुरू किया था। उसी दौरान तीन बड़े गैंगस्टर की पहचान की गई, जिनसे कई गिरोहों ने गठजोड़ किया है। उसी दौरान इन्हें असम व अंडमान की जेलों में रखने का निर्णय लिया गया था।
50 से अधिक गैंगस्टर्स की सूची बनी
योजना के तहत पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के आरोपित लारेंस बिश्नोई के अलावा जग्गू भगवानपुरिया, काला जठेड़ी, रोहित मोई, राजू बसौदी, नीरज बवाना, हाशिम बाबा, कौशल चौधरी, अमरीक, संपत नेहरा, लकी पटियाल जैसे 50 से अधिक गैंगस्टर्स की जेल बदलने के लिए सूची बनाई गई है। जिसमें 16 गैंगस्टर पर यूएपीए कानून लगाया है। इससे पहले पंजाब को अशांत करने की कोशिश करने वाले वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल और उसके साथियों को सरकार ने असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखा है, ताकि उनका कनेक्शन पंजाब और आस-पास के उनके नेटवर्क से पूरी तरह से कट जाए।
एनआईए ने 13 गैंगस्टर्स को आतंकी माना
एनआईए ने 13 गैंगस्टर्स को आतंकी मान लिया है। आरोपपत्र में कहा गया था कि लारेंस बिश्नोई अंडरवर्ल्ड डान दाऊद इब्राहिम की तरह अपना गिरोह चलाने में लगा है। उसके इशारे पर गिरोह के एक हजाह से अधिक सदस्य जबरन वसूली, टारगेट किलिंग, ड्रग्स तस्करी के काले धंधे में लगातार पैर पसार रहे हैं। उसने करोड़ों की उगाही की है। इसके साथ खालिस्तान समर्थकों का नेटवर्क भी जुड़ा है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ से भी इसके संबंध हैं।
आतंकी संगठनों की तरह आपराधिक वारदात को दे रहे अंजाम
एनआईए ने जांच में पाया कि लारेंस, गोल्डी बराड़, सचिन थापन, अनमोल बिश्नोई, विक्रम बराड़, जग्गू भगवानपुरिया, काला जठेड़ी, वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा, जोगिंदर सिंह, राजेश कुमार उर्फ राजू मोटा, राज कुमार उर्फ राजू बसोड़ी, अनिल छिपी, नरेश यादव, मोहम्मद शाहबाज अंसारी, दरमान सिंह और लखबीर सिंह लंडा आतंकी संगठनों की तरह आपराधिक वारदात को अंजाम दे रहे हैं, जिस तरह से सिद्धू मूसेवाला, राजस्थान के गैंगस्टर राजू ठेहट और डेरा सच्चा सौदा के समर्थक प्रदीप कुमार की हत्या की गई। वह आतंकियों के काम करने के तौर तरीके से मिलता जुलता है। जांच में पता चला कि कई गिरोह पाकिस्तान में रह रहे हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा, कनाडा में रह रहे लखबीर सिंह उर्फ लंडा और अर्शदीप डल्ला के जरिये आइएसआइ के इशारे पर काम रह रहे हैं।
तिहाड़ प्रशासन ने भी कई गैंगस्टर्स को दिल्ली से बाहर भेजने की संस्तुति की तिहाड़ में टिल्लू ताजपुरिया व प्रिंस की हत्या के बाद जेल प्रशासन ने कई गैंगस्टर्स को दिल्ली से बाहर भेजने की गृह मंत्रालय को संस्तुति भेजी थी। तिहाड़ में 13 हजार से अधिक कैदी हैं। इनमें 50 ऐसे खूंखार कैदी हैं, जिनके गिरोह में सैकड़ों गुर्गे हैं। जेल में गैंगवार व कत्ल की वारदात ने साफ कर दिया है सब कुछ जेलकर्मियों की मिलीभगत से होता है।
जेल के हालात को देखकर 11 मई को 99 कर्मियों का तबादला करने के अलावा तमिलनाडु स्पेशल पुलिस के सात अफसरों और जवानों को वापस तमिलनाडु भेज दिया था। ये वो सात पुलिसकर्मी थे, जो टिल्लू की हत्या के चश्मदीद थे। तिहाड़ में तमाम सुरक्षा व्यवस्था के बाद जेल में चल रही गैंगस्टर्स की मनमानी पर रोक नहीं लग पा रही है। -
पंजाब की जेल में लॉरेंस व गोल्डी का नेटवर्क
पंजाब के गोइंदवाल जेल की बात करें तो वहां भी जग्गू भगवानपुरिया के दो गुर्गों की गैंगवार में हत्या कर दी गई। ये हत्या लारेंस और गोल्डी के इशारे पर की गई। घटना के बाद उसी जेल में कैदियों के साथ मिल कर जेल अधिकारियों ने जश्न मनाया था। इसके बाद दो अधिकारियों को निलंबित कर पांच को गिरफ्तार कर लिया गया।
हरियाणा की जेलों की हालत भी ठीक नहीं
हरियाणा की जेलों की हालत भी ठीक नहीं है। लॉरेंस के दस शूटर वहां बंद हैं। उसके दुश्मन कौशल चौधरी के शूटर भी वहीं हैं। भोंडसी जेल में 40 से ज्यादा कुख्यात अपराधी बंद हैं।