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Delhi Murder Cases: होश उड़ा देने वाले दिल्ली के 5 मर्डर, किसी ने अपनी बीवी को मारा तो किसी ने गर्लफ्रेंड को

यह पहला मामला नहीं है जब दिल्ली-एनसीआर में हत्या का इस तरह का मामला सामने आया हो। आफताब अमीन पूनावाला से पहले 1995 में नैना साहनी मर्डर हुआ था जिसमें शव के टुकड़ों को तंदूर में जलाने की कोशिश हुई थी।

By Jp YadavEdited By: Updated: Thu, 17 Nov 2022 05:09 AM (IST)
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दिल्ली-एनसीआर के बड़े मर्डर, जिनके हुए थे चौंकाने वाले खुलासे।
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। मुंबई की युवती श्रद्धा वाकर की खौफनाक हत्या ने दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ देश भर के लोगों को दहला कर रख दिया है। जिस श्रद्धा वाकर से कभी आफताब अमीन पूनावाला बेइंतहा प्यार करता था मगर कुछ सालों बाद वह उससे इतनी नफरत करने लगा कि पहले तो बेरहमी से मारा फिर शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए। मोहब्बत करने वाले किसी शख्स का ऐसा घिनौना कृत्य देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर में पहली बार सामने नहीं आया है। दिल्ली में इस तरह के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। हम यहां पर बता रहे हैं दिल्ली-एनसीआर के आधा दर्जन मामले, जिन्होंने देश भर को हिलाकर रख दिया।

नैना साहनी हत्याकांड : तंदूर में जला दिए पत्नी के शरीर के टुकड़े

जुलाई 1995 के पहले सप्ताह में हुए नैना साहनी हत्याकांड ने देश के करोड़ों लोगों को झकझोर कर रख दिया था। हत्यारोपी एक राजनीतिक पार्टी से जुड़ा था, इसलिए मामले ने जोर पकड़ लिया। लोगों का गुस्सा सड़क पर निकला और लोगों ने कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इसका असर यह हुआ कि दोषी को सजा मिली, लेकिन यह हत्या कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

तंदूर में जलाना चाहता था शव के टुकड़े : दरअसल, कांग्रेस के तत्कालीन नेता सुशील शर्मा ने 2 जुलाई, 1995 को अवैध संबंधों के शक में पत्नी नैना साहनी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसके बाद शव के टुकड़े करके एक रेस्तरां के तंदूर में जलाने की कोशिश में था। कुछ टुकड़े तंदूर में झोंक दिए थे, जबकि कुछ बाकी थी। वहीं शरीर के टुकड़े तंदूर में जलाने के दौरान पुलिसकर्मियों ने उसे देख लिया और फिर पूरे मामले का खुलासा हो गया। हुआ यूं कि 2 जुलाई को रात 11 बजे दिल्ली पुलिस में तैनात हवलदार अब्दुल नजीर कुंजू और होमगार्ड चंदर पाल जनपथ पर गश्त  कर रहे थे। इसी दौरान रेस्तरां में जलने की बू आई तो संदेह हुआ, क्योंकि यह बदबू कुछ अलग थी। पास जाकर देखा तो मामला खुल गया। इसमें रेस्तरां का मैनेजर भी साथ दे रहा था। 

पॉलीथिन में लपेटकर रेस्तरां तक लाया था शव के टुकड़े: पूछताछ में खुलासा हुआ था कि सुशील शर्मा ने हत्या करने के बाद सबसे पहले नैना साहनी की बॉडी को पॉलीथिन में लपेटा। इसके बाद चादर में लपेट दिया, लेकिन वह उसे उठा नहीं पाया। इसके बाद खींचकर नीचे खड़ी अपनी कार तक लाया। इसके बाद ले जाकर तंदूर में जलाने की कोशिश की। इसके बाद सुशील ने कुछ जानकारों की मदद से पत्नी नैना साहनी के शरीर के टुकड़े तंदूर में रखकर आग लगा दी थी। जल्दी से शव के टुकड़े जलें इसलिए ऊपर से मक्खन और घी डालना शुरू कर दिया था। इस दौरान एक पुलिसकर्मी की नजर पड़ी गई। जांच में सामने आया था कि दिल्ली युवक कांग्रेस के नेता सुशील शर्मा ने नैना साहनी के अन्य प्रेम सम्बंध होने के शक में उसकी हत्या की।

शादी का खुलासा करने की जिद करती थी नैना साहनी: सुशील शर्मा ने नैना साहनी से शादी तो कर ली, लेकिन वह इसको सार्वजनिक नहीं करना चाहता था। वहीं, नैना साहनी लगातार शादी के रिश्ते को सार्वजनिक करने के लिए दबाव बना रहा थी। इस बीच सुशील को कथित तौर पर पत्नी नैना साहनी के किसी और रिश्ता रखने का शक था। 2 जुलाई, 1995 की शाम को नैना साहनी फोन पर किसी से बात कर रही थी। अचानक सुशील आ गया। बात करने के बाद नैना दूसरे कमरे में गई तो सुशील फोन का रिसीवर उठाया और री-डायल का बटन दबा दिया। दूसरी ओर आवाज सुनकर सुशील ने अंदाजा लगा लिया ये आवाज मतलूब करीम की है। यह भी मान लिया कि उसके मतलूब से संबंध हैं। सुशील ने पूछा तो बहस हुई और इस दौरान सुशील ने पिस्टल में चार गोलियां भरीं। इसके बाद तीनों ही दाग दीं। एक गोली सिर में लगी तो दूसरी गले में और तीसरी छिटककर दीवार पर जा लगी। कुछ पल में देखा तो नैना साहनी दुनिया से जा चुकी थी। इसके बाद डरे सुशील ने अपने के रेस्तरां दोस्त की मदद से शरीर के टुकड़े कर जलाने की कोशिश की और पकड़ा गया। इसके बाद उम्रकैद की सजा काटी।

जेसिका लाल: शराब ना दी तो मारी गोली, भीड़ बोली हमने नहीं देखा

बेहद खूबसूरत मॉडल जेसिका लाल की हत्या 29 अप्रैल, 1999 की रात इसलिए कर दी गई, क्योंकि एक अमीर बिगड़ैल युवा को शराब परोसने से मना कर दिया था। मना भी इस तर्क पर किया था कि उसकी ड्यूटी खत्म हो गई थी। बावजूद इसके मनु शर्मा नाम के युवा ने भीड़ के सामने जेसिका को गोली मार दी। कुछ देर बाद जेसिका लाल का शव जमीन पर पड़ा था और खून भी ठंडा पड़ गया था। इसके साथ लोग की आत्मा भी मर गई, क्योंकि कोई भी गवाही के लिए आगे नहीं आया, जबकि इसमें बड़ी संख्या में सरकारी अधिकारी और कारोबारी मौजूद थे।

रात 11 बजे के बाद हुआ था जेसिका का कत्ल : 29 अप्रैल, 1999 को 8 बजे से ही जेसिका लाल ने रेस्तरां में मौजूद मेहमानों को उनकी पसंदीदा ब्रांड की शराब परोस रही थी। जेसिका लाल एक खूबसूरत युवती थी। वह मॉडलिंग के साथ फिल्मों में काम की तलाश में थी, लेकिन रोजमर्रा के खर्चे निकालने के लिए वह बड़ी पार्टियों में बार वेंडर का काम भी करती थी। रात 11 बजे के बाद फ्लोर पर डीजे पर म्यूजिक की धमक कम हो रही थी और जेसिका को दिया गया समय भी समाप्त हो चुका था और घर जाने की तैयारी कर रही थी। इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा का बेटा सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा अपने कुछ दोस्तों के साथ टैमरिंड कोर्ट रेस्तरां में आ गया। प्रवेश करते ही मनु ने एक पैक शराब मांग तो जेसिका ने घड़ी की तरफ इशारा करते हुए टाइम खत्म होने की बात कही। मनु ने शराब पिलाने की एवज में 1000 रुपये देने की बात भी कह दी। बावजूद इसके जेसिका ने कहा- 'नहीं है शराब। पहले से शराब के नशे में गुस्साए मनु शर्मा ने 0.22 कैलिबर की पिस्टल निकाल ली और लोड किया। इसके बाद डराने के लिए हवा में फायर कर दिया, लेकिन जेसिका नहीं डरी। इसके बाद मनु शर्मा ने आपा खोया और जेसिका के सिर पर गोली मार दी, चंद लम्हों बाद जेसिका के शरीर से रूह जुदा हो चुकी थी। 

गोली चलते ही भाग गए मेहमान: वहीं, जेसिका को गोली मारने के बाद मनु और उसके साथी भाग गए। हैरत की बात यह है कि तकरीबन 100 लोग पार्टी में थे, लेकिन किसी ने भी उसे पकड़ने की कोशिश नहीं की। वहीं, रेस्तरां कर्मचारी भी 'जेसिका को गोली मार दी" चीखते हुए भाग गया। फिर कुछ लोग जेसिका को नजदीक के अस्पताल में ले गए। वहां, से अपोलो ले गए तो डॉक्टरों ने 24 वर्षीय जेसिका लाल को मृत घोषित कर दिया। 

मुश्किल से मिला इंसाफ: रेस्तरां के शायन मुंशी ने मामले की शिकायत की और पुलिस ने कुल 101 गवाह बनाए, लेकिन सुनवाई के दौरान एक के बाद एक 33 गवाह मुकर गए। हैरान करने की बात यह थी कि कोर्ट में शिकायतकर्ता शायन मुंशी भी बयान से पलट गया, जिसने कहा था कि उसने जेसिका को गोली मारते देखा था और वह मनु शर्मा था। इसके बाद जेसिका की बहन सबरीना लाल के नेतृत्व में देशभर में एक अभियान चला। सबरीना ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की। आखिरकार, 20 दिसंबर 2006 को मनु शर्मा समेत सभी को दोषी करार दिया गया और मनु को उम्रकैद की सजा दी गई। 

प्रियदर्शिनी मट्टू: प्यार करने से इनकार पर घर में घुसकर मारा

23 जनवरी, 1996 को प्रियदर्शिनी मट्टू को एकतरफा प्यार करने वाले संतोष कुमार सिंह ने घर में घुसकर मार डाला था। इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया था। हत्या से पहले दिल्ली विश्वविद्ययालय की लॉ की छात्रा प्रियदर्शिनी के साथ दुष्कर्म भी किया गया था।  हैरत की बात यह है कि निचली अदालत ने हत्यारोपित संतोष कुमार सिंह को बरी कर दिया था। इसके खिलाफ अपील पर यह मामला 14 साल तक चला। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में संतोष कुमार सिंह को दोषी ठहराए जाने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। वहीं, संतोष कुमार सिंह की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- 'कुछ बातें उसके पक्ष में जाती हैं।' 

एक तरफा प्यार करता था संतोष:  प्रियदर्शिनी डीयू के लॉ कॉलेज से LLB की पढ़ाई कर रही थी, जबकि संतोष भी लॉ का स्टूटेंड था। प्रशासनिक अधिकारी का बेटा था संतोष। प्रियदर्शिनी को एकतरफा प्यार करता था और  उसे हर हाल में पाना चाहता था। प्रियदर्शिनी को संतोष की हरकतों से डर लगने लगा था, इसलिए दिल्ली पुलिस को शिकायत दी थी, जिसके बाद  प्रियदर्शिनी को दिल्ली पुलिस की ओर से पर्सनल सुरक्षा गार्ड में भी मिला था।

23 जुलाई को संतोष ने प्रियदर्शिनी को मार डाला : 23 जनवरी, 1996 को प्रियदर्शिनी का जन्मदिन था। वह अपने 26वें जन्मदिन को लेकर बेहद खुश थी। दिल्ली पुलिस की ओर से सुरक्षा गार्ड भी मिला था, जिनका नाम था राजिंदर सिंह। यह सिर्फ अनहोनी है कि 23 जनवरी, 1999 को भी नियमानुसार, राजिंदर सिंह को सुबह आना था, लेकिन वह कुछ कारणों से समय पर नहीं पहुंचे। इंतजार करते-करते परेशान प्रियदर्शिनी अपनी मां के साथ डीयू चली गईं। इसके बाद  23 जनवरी, 1996 के दिन प्रियदर्शिनी दोपहर तक अपने घर पहुंच गई। शाम पांच बजे के आसपास संतोष घर पर आया।

संतोष ने पहले तो प्रियदर्शिनी के साथ दुष्कर्म किया फिर काले रंग के हेल्मेट से उसे पीट-पीटकर मार डाला। हत्या के इरादे से हीटर के तार से उसने प्रियदर्शिनी का गला दबाकर मार डाला। सुरक्षा गार्ड राजिंदर सिंह पहुंचे तो घर के अंदर प्रियदर्शिनी कमरे में बेड पर पड़ी थी और उसकी जान जा चुकी थी।  लंबा समय लगा इंसाफ मिलने में। वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने संतोष को फांसी की सजा सुनाई, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट गया और फिर फांसी को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। 

निठारी कांड: लड़कियों को घर ले जाता, दुष्कर्म के बाद कर देता मर्डर

देश की राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में वर्ष 2006 में निठारी कांड ने सनसनी मचा दी थी। यह मामला देश के साथ दुनिया भर में चर्चा में आ गया था। दरअसल, निठारी गांव की कोठी नंबर डी-5 से कुल 19 नर कंकाल मिले थे। पड़ोस में बने नाली के खोदाई हुई तो हड्डियां मिलने लगीं। इसके बाद यूपी पुलिस से यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को दे दिया गया। सीबीआई कोर्ट की विशेष अदालत ने निठारी कांड के मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली को मौत की सजा सुनाई गई है। उसे कई मामलों में मौत की सजा हो चुकी है। निठारी कांड का खुलासा लापता लड़की पायल की वजह से हुआ था। वहीं, नार्को टेस्‍ट में सुरेंद्र कोली ने स्‍वीकार किया था कि वह बच्‍चियों की हत्‍या के बाद वह उन्‍हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देता था। कई बार बच्‍चे के शरीर के पसंदीदा हिस्‍से को भूनकर खाता भी था। इसके अलावा बचे टुकड़ों को वह दफन कर देता था।

नीतू सोलंकी: शादी की जिद करती थी, ब्वॉयफ्रेंड ने मार डाला

एक ही गोत्र का होने के चलते नहीं मिली शादी की इजाजत: दिल्ली-एनसीआर का मशहूर टैटू गर्ल हत्याकांड देशभर में चर्चित हुआ था। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 11 फरवरी 2011 को हुई टैटू गर्ल नीतू सोलंकी की हत्या की जानकारी सामने आई थी। दिल्ली के रहने वाले राजू और नीतू एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। वहीं, एक ही गोत्र का होने के चलते शादी नामुमकिन थी।

परिवार न माना तो रहने लगे लिव इन में:  राजू और नीतू को यह लगा गया था कि दिल्ली-एनसीआर में रहना खतरे से खाली नहीं होगा। ऐसे में राजू ने एयर इंडिया को बगैर बताए नौकरी छोड़ दी, जबकि नीतू ने सिंगापुर जाने की बात कहकर परिजनों को गुमराह किया, ताकि परिवार इस सच से दूर रहे कि दोनों एक साथ रह रहे हैं। इसके बाद दोनों लिव इन में रहने लगे। दरअसल, राजू एयर इंडिया और नीतू एक नामी कॉल सेंटर में नौकरी करती थी। मुलाकात हुई तो प्यार हो गया, लेकिन गोत्र एक होने के चलते दोनों ही परिवार ने शादी से साफ मना कर दिया।

मुंबई, बेंगलुरू और गोवा में भी गुजारे दिन: राजू और नीतू ने जनवरी-फरवरी 2010 से मुंबई में रहना शुरू किया। इसके बाद वह गोवा व बेंगलुरू में भी रहे। इस दौरान वह नौकरी करते हुए खर्च वहन करता रहा। इसके बाद गुजारा मुश्किल हो गया और रुपये खत्म होने के बाद राजू और नीतू वापस दिल्ली आ गए। इसके बाद परिवार को बिना बताए पश्चिमी दिल्ली के हरिनगर आश्रम इलाके में रहने लगे। 

भनक तक नहीं लगने दी परिवार को: राजू और नीतू यह तय करके दिल्ली आए थे कि वह यहां पर परिवार के सदस्यों से संपर्क नहीं रखेंगे। यही वजह थी कि दोनों ने हरिनगर इलाके में सिर्फ दो माह के लिए एक मकान किराए पर लिया। किसी के सामने पहचान उजागर नहीं हो, इसलिए पड़ोसी से बातचीत तक नहीं करते थे।

शादी और प्रॉपर्टी के लिए बनाती थी दबाव: बताया जाता है कि नीतू सोलंकी लगातार  अपने ब्वॉयफ्रेंड राजू पर दबाव बनाती थी कि वह अपने परिवार से प्रॉपर्टी में अपना हिस्सा ले, जिससे उनकी आर्थिक तंगी दूर हो। वहीं,  राजू से उसके परिवार वालों ने रिश्ता तोड़ लिया था और बातचीत तक बंद कर दी थी। 

10 फरवरी की रात नीतू सोलंकी की हत्या: पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, 10 फरवरी, 2011 की रात को नीतू प्रॉपर्टी और पैसों को लेकर जमकर विवाद हुआ। बताया जाता है कि नीतू ने राजू पर शादी के लिए दबाव भी बनाया। इस बीच विवाद इतना बढ़ा कि राजू ने धारदार हथियार से नीतू पर हमलाकर मार डाला। इसके बाद शव को एक बैग में डालकर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर फेंक दिया। 12 दिन बाद दिल्ली पुलिस ने शव की पहचान नीतू के रूप में हुआ।

राजू का भी हुआ दुखद अंत: उधर, राजू दिलली पुलिस की आंखों में धूल झोंकने में सालों तक कामयाब रहा। गुरुग्राम में वह नाम बदलकर नौकरी करता रहा और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।  दिल्ली पुलिस ने राजू पर 2 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया था। वहीं, फर्जी कागजात के आधार पर राजू ने खुद को 

रोहन दहिया बना दिया और इसी नाम से कई राज्यों में नौकरी की।  2019 में राजू ने अंतिम सांस लेने से पहले उसने अपनी मां को कॉल कर जब बीमारी की खबर दी तो पुलिस टीम गुरुग्राम के पारस अस्पताल पहुंची, लेकिन तक वह मर चुका था। 

शैलजा द्विवेदी: शादीशुदा से एकतरफा करता था प्यार:  जून, 2018 में दिल्ली में भारतीय सेना में तैनात एक मेजर की पत्‍नी शैलजा द्विवेदी की गला रेतकर हत्‍या करने का मामला सामने आया तो देशभर की मीडिया के साथ लोग भी सन्न रह गए। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने यूपी के मेरठ से आर्मी मेजर निखिल हांडा को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पूरा मामला खुला तो लोग दंग रह गए। यह मामला एक्‍स्‍ट्रा मैरिटल अफेयर से जुड़ा था। निखिल हांडा दरअसल, शैलजा द्विवेदी से एकतरफा प्यार करता था। शैलजा पर अपना एकाधिकार जताते हुए मेजर निखिल हांडा कहता था कि पति से संबंध तोड़े और उससे शादी करे। वहीं, शैलजा ने बार-बार इनकार किया तो गुस्से में उसने शैलजा की गला रेतकर हत्या कर दी।

दोस्ती से हुई थी शुरुआत और कत्ल से हुआ अंत: हत्यारोपित मेजर निखिल हांडा व शैलजा के पति दोनों की पोस्टिंग नागालैंड के दीमापुर में थी। वर्ष 2015 में निखिल व शैलजा की मुलाकात हुई और दोनों के बीच दोस्ती शुरू हो गई। तबादले के बाद शैलजा अपने पति के साथ दिल्ली आ गई। मेजर निखिल हांडा  माइग्रेन का बहाना कर दिल्ली आ गया। यहां आर्मी के बेस अस्पताल में वह भर्ती हो गया। शैलजा भी पैर दर्द की शिकायत होने पर फिजियोथेरेपी के लिए यहां रोजाना आती थीं। इसके बाद एकतरफा प्यार में पागल निखिल हांडा ने शादी से इनकार करने पर शैलजा द्विवेदी को मार डाला।

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