आतिशी के सामने आया नया चैलेंज, खाली हो रहा दिल्ली सरकार का खजाना; बस दो महीने और उसके बाद...
Delhi Government Fiscal Deficit दिल्ली सरकार 31 साल बाद राजकोषीय घाटे की ओर बढ़ रही है। सरकार के पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए केवल दो महीने का वेतन बचा है। वित्त विभाग की रिपोर्ट के अनुसार कर राजस्व गैर-कर राजस्व और केंद्र से अनुदान में कमी आई है। वहीं राजस्व व्यय में वृद्धि हुई है। सरकार को केंद्र से आर्थिक मदद की आवश्यकता हो सकती है।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। 1993 में दिल्ली विधानसभा के पुनर्गठन के बाद, 31 साल में पहली बार दिल्ली सरकार राजकोषीय घाटे (Delhi Government Fiscal Deficit) की ओर की बढ़ रही है। आलम यह है कि सरकार के पास अब अपने अधिकारियों-कर्मचारियों को देने के लिए दो माह के वेतन जितना ही राजस्व बचा है। जबकि इसमें प्रतिबद्ध व्यय राशि जोड़ी ही नहीं गई है।
यदि यही स्थिति रही तो जल्द ही सरकार को केंद्र से आर्थिक मदद मांगनी पड़ सकती है। यह अभूतपूर्व स्थिति दिल्ली सरकार के वित्त विभाग की बजट शाखा ने मुख्यमंत्री आतिशी, जो वित्त मंत्रालय भी देख रही हैं, को इसी माह की शुरुआत में भेजी गई एक रिपोर्ट में बयां की गई है।
कितने घाटे की है उम्मीद
कर राजस्व, गैर-कर राजस्व, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत प्राप्तियों और केंद्र से अनुदान से दिल्ली की कमाई - वित्तीय वर्ष के अंत तक बजटीय अनुमान 64,142 करोड़ रुपये से घटकर 62,415 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस बीच, राजस्व व्यय 60,911 करोड़ रुपये से बढ़कर 63,911 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। यानी 1,495.48 करोड़ रुपये की कमी।30 हजार करोड़ अतिरिक्त जरूरत
वित्त विभाग के बजट प्रभाग ने 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए संशोधित अनुमान तैयार करते समय ये अनुमान लगाए हैं। सूत्रों के मुताबिक, वित्त विभाग ने चालू वित्त वर्ष में विभिन्न राजस्व व्यय के लिए 3,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आवश्यकता मानी है।
सरकार को इन स्कीमों के लिए चाहिए होगा खजाना
इन्हें 2024-25 के बजट अनुमानों में शामिल नहीं किया गया था और इसमें राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग के अनुसार बढ़ी हुई पेंशन और भत्ते के लिए धनराशि, बिजली सब्सिडी, इलेक्ट्रिक बसों के लिए व्यवहार्यता वित्त पोषण, नालों की सफाई और दिल्ली मेट्रो के परिचालन घाटे के हिस्से को कवर करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, सरकार को वर्तमान में पुनर्निर्मित छह अस्पतालों के संचालन के लिए धन की आवश्यकता होगी, जिनके वित्तीय वर्ष के भीतर पूरा होने की उम्मीद है। इन अस्पतालों के लिए आवश्यक राशि अब तक निर्धारित नहीं की गई है।कितनी चाहिए होगी पूंजी
इसके अलावा, सरकार को विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए भी पूंजीगत व्यय के लिए अतिरिक्त 4,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। अधिकारियों का अनुमान है कि कुल व्यय (राजस्व और पूंजी दोनों) बजटीय राशि से 7,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। परिणामस्वरूप, लगभग 83,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जबकि मूल बजट अनुमान 76,000 करोड़ रुपये था।
विभाग ने यह भी नोट किया कि विभागों से 2024-25 के लिए संशोधित अनुमान का अनुरोध किया गया है। बढ़ती मांगों के कारण व्यय की गति में तेजी आ सकती है। हालांकि सरकार का नकद शेष वर्तमान में लगभग 4,471 करोड़ रुपये है जबकि औसत मासिक व्यय 5,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।2024-25 के लिए कुल बजट परिव्यय - 76,000 करोड़ रुपये
- राजस्व व्यय- 60910.75 करोड़ रुपये
- पूंजीगत व्यय - 15089 करोड़ रुपये
अतिरिक्त मांग
- कानून- 141 करोड़ रुपये
- ऊर्जा- 512 करोड़ रुपये
- परिवहन- 941 करोड़ रुपये
- सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग- 447 करोड़ रुपये
- डीएमआरसी - 200 करोड़ रुपये
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग- 250 करोड़ रुपये
- कड़कड़डूमा में नए न्यायालय परिसरों के निर्माण के लिए 555 करोड़ रुपये