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तस्करी कर लाए बच्चों से कराई जा रही बंधुआ मजदूरी, शिकायतें भेजने पर कोई कार्रवाई नहीं; दिल्ली HC ने मांगा जवाब

तस्करी करके दिल्ली लाए गए बच्चों के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार सहित दिल्ली और केंद्रीय आयोग से जवाब मांगा है। कोर्ट में जनहित याचिका दायर निर्देश देने की मांग की गई कि जहां भी बच्चों से बंधुआ मजदूरी कराई जा रही है वहां कार्रवाई कर बच्चों को छुड़ाया जाए। याचिका में कहा गया है कि इन बच्चों से 12-13 घंटे तक काम कराया जाता है।

By Vineet Tripathi Edited By: Geetarjun Updated: Mon, 15 Jul 2024 05:52 PM (IST)
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तस्करी करके दिल्ली लाए गए बच्चों के मामले पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। देश के विभिन्न हिस्सों से तस्करी कर दिल्ली लाए गए बच्चों को बचाने के लिए विभिन्न स्थानों पर छापेमारी करने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने दिल्ली सरकार, दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 18 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।

याचिकाकर्ता रोहताश ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि दिल्ली में विभिन्न जगहों पर छानबीन के बाद 245 बच्चों और 772 किशोरों को बचाने के लिए अधिकारियों को 18 शिकायतें भेजी हैं। उनका आरोप है कि उक्त बच्चों व किशोरों को बंधुआ मजदूरी के लिए मजबूर किया जा रहा है।

तस्कीर कर लाते और 12-13 घंटे काम कराते

यह भी कहा कि प्रतिदिन 12-13 घंटे बेहद असुरक्षित और अस्वच्छ परिस्थितियों में बंधुआ मजदूरी कराई जा रही है। याचिका में दावा किया गया है कि अधिकांश बच्चों की तस्करी की जाती है और उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।

दिल्ली सरकार ने क्या कहा

हालांकि, सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के स्थायी वकील (सिविल) संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बाल मजदूरी कराए जाने के संदेह वाली संपत्तियों का कोई उचित पता नहीं दिया है। ऐसे में निश्चित पते की पहचान के बिना अधिकारियों के लिए कार्रवाई करना मुश्किल होगा।

साथ ही यह भी कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि याचिकाकर्ता सोमवार को ही एसडीएम से मिलें। उक्त तथ्यों को देखते हुए पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रशासन तुरंत कार्रवाई करेगा और इस मुद्दे पर अदालत के पिछले फैसलों को ध्यान में रखेगा।

शिकायतें भेजने के बाद भी कोई कार्रवाई

याचिका में कहा गया कि दो महीने में कई शिकायतें भेजने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि कानून के अनुसार ऐसे मामलों में बचाव 24 से 48 घंटों के भीतर किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की कि सभी बाल श्रमिकों या बंधुआ मजदूरों या तस्करी की शिकायतों की शिकायत प्राप्त होने के 24 से 48 घंटों के भीतर जांच की जाए।

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