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सेनेटरी नैपकिन पर टूटी 'आप' सरकार की नींद, होर्डिंग लगा साधा निशाना

तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने दैनिक जागरण द्वारा प्रकाशित की गई खबर की कटिंग भी होर्डिंग पर लगाई है। लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर 2016 में बंद की गई इस सुविधा को सरकार क्यों नहीं शुरू कर सकी है।

By Amit MishraEdited By: Updated: Fri, 09 Feb 2018 04:10 PM (IST)
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सेनेटरी नैपकिन पर टूटी 'आप' सरकार की नींद, होर्डिंग लगा साधा निशाना

नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। सरकारी स्कूलों में सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने की बंद सुविधा पर चारों ओर हो रही किरकिरी के बाद अब 'आप' सरकार जागी है। शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार आतिशी मरलेना ने कहा है कि सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए किए जा रहे प्रयास बंद नहीं हुए हैं। रेट को लेकर कुछ समस्या आ रही थी जिसके कारण आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी थी। अब इसके लिए टेंडर का कार्य पूरा कर लिया गया है। उन्होंने दावा किया कि अगले पांच कार्य दिवसों में स्कूलों में यह सुविधा शुरू कर दी जाएगी।

सरकार पर बनाया दबाव 

सरकार इस मामले में तब सक्रिय हुई है जब उस पर पूरा दबाव बनाया गया है। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने इस मामले को लेकर 'आप' सरकार की खिंचाई की है। भाजपा के नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने तो इस मसले पर 'आप' सरकार के खिलाफ मंडी हाउस सहित कई स्थानों पर होर्डिंग लगवाए हैं। इन पर सरकार को शर्म करने के लिए कहा गया है।

लगाई गई होर्डिंग 

तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने दैनिक जागरण द्वारा प्रकाशित की गई खबर की कटिंग भी होर्डिंग पर लगाई है। लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर 2016 में बंद की गई इस सुविधा को सरकार क्यों नहीं शुरू कर सकी है। सरकार पर कथनी और करनी में फर्क होने के आरोप लगाए जा रहे हैं।

सेनेटरी नैपकिन पर एक भी पैसा नहीं खर्च किया गया

यह मसला दैनिक जागरण में 1 फरवरी को प्रकाशित किया था। इसमें मीठापुर विस्तार निवासी समाजसेवी पिंकी द्वारा लगाई गई एक आरटीआइ का जिक्र किया गया था। आरटीआइ के जवाब में शिक्षा विभाग ने बताया था कि इस योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2015-16 में 16 करोड़ का बजट रखा गया था, इसमें से 13 करोड़ 15 लाख और 34 हजार रुपये खर्च किए गए। वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए भी 16 करोड़ का बजट निर्धारित था। इनमें से 9 करोड़ 31 लाख 81 हजार की राशि खर्च हुई। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए भी 16 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया था, लेकिन अभी तक सेनेटरी नैपकिन पर एक भी पैसा नहीं खर्च किया गया।

छात्राओं ने जताई नाराजगी 

पिंकी और उनकी टीम से जुड़े अरविंद सिंह आदि ने आरटीआइ लगाने से पहले विभिन्न सरकारी स्कूलों का निरीक्षण किया था। जिसमें छात्राओं ने यह सुविधा बंद किए जाने से नाराजगी जताई थी। 2012 में तत्कालीन दिल्ली किशोरी योजना के तहत यह सुविधा शुरू की गई थी। 

केर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा था जवाब 

बता दें कि बीते साल नवंबर महीने में सेनेटरी नैपकिन पर 12 फीसद जीएसटी लगाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए पूछा कि जब काजल-बिंदी टैक्स फ्री हो सकते हैं तो फिर सेनेटरी नैपकिन पर 12 फीसद जीएसटी लगाने के पीछे क्या मंशा है। सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट में दायर अपने जवाब में कहा था कि सेनेटरी नैपकिन के लिए कच्चा माल आयात होता है। साथ ही इसके अलावा भी कई व्यावहारिक दिक्कतों के कारण इससे 12 फीसद जीएसटी को हटाना संभव नहीं है। 

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