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दिल्ली सरकारी की लापरवाही से पहली बार खाली बैठे हैं डीएमआरसी के 600 इंजीनियर

डीएमआरसी खाली बैठे इंजीनियरों को रखरखाव की जिम्मेदारी दे सकता है। दिल्ली सरकार ने रोक रखी है फेज चार में 104 किमी मेट्रो विस्तार की फाइल।

By Amit SinghEdited By: Updated: Mon, 30 Jul 2018 11:36 AM (IST)
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दिल्ली सरकारी की लापरवाही से पहली बार खाली बैठे हैं डीएमआरसी के 600 इंजीनियर
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने मेट्रो के रूप में विश्वस्तरीय परिवहन सुविधा उपलब्ध कराकर अपने इंजीनियरिंग कौशल का पूरे देश में लोहा मनवाया है। दिल्ली मेट्रो के इंजीनियरों ने निर्माण क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं, लेकिन इन दिनों ये अजीबोगरीब स्थिति से गुजर रहे हैं। मेट्रो की परियोजनाओं से जुड़े करीब 600 इंजीनियर इन दिनों खाली बैठे हैं, क्योंकि डीएमआरसी के पास कोई काम नहीं है। वहीं दिल्ली सरकार ने फेज चार के मेट्रो विस्तार की फाइल को रोक रखा है।

फेज-3 की परियोजनाओं का निर्माण दिल्ली में पूरा हो चुका है। सिर्फ द्वारका-नजफगढ़ मेट्रो लाइन का निर्माण चल रहा है। यह भी 91 फीसद तक बन चुका है। एनसीआर की तीन अन्य मेट्रो लाइनों का निर्माण भी पूरा होने को है। डीएमआरसी के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में फेज-3 के 158.62 किमी हिस्से में से 97.82 किमी कॉरिडोर पर मेट्रो का परिचालन शुरू हो चुका है। इनमें 58.59 किमी लंबी पिंक लाइन (शिव विहार-मजलिस पार्क), 38 किमी लंबी मजेंटा लाइन (बोटेनिकल गार्डन-जनकपुरी पश्चिम), हेरिटेज लाइन, बदरपुर-फरीदाबाद एस्कार्ट्स मुजेसर और मुंडका-बहादुरगढ़ मेट्रो लाइन फेज-3 की प्रमुख परियोजनाएं थीं। पिंक लाइन का साउथ कैंपस-लाजपत नगर कॉरिडोर अगस्त में खुल जाने पर फेज-3 के 105.92 किमी हिस्से पर मेट्रो सेवा उपलब्ध हो जाएगी और 52.70 किमी हिस्से पर परिचालन शेष रह जाएगा। इस पर भी अगले कुछ माह में परिचालन शुरू हो जाएगा। ऐसे में बताया जा रहा है कि परियोजना से जुड़े करीब 600 इंजीनियरों के पास अभी करने के लिए कुछ खास काम नहीं है।

डीएमआरसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दिल्ली में मेट्रो की परियोजना शुरू होने के बाद कभी ऐसा नहीं हुआ जब परियोजना से जुड़े इंजीनियर खाली बैठे हों। फेज-4 में करीब 104 किमी लंबे मेट्रो नेटवर्क का निर्माण होना है। इस पर वर्ष 2017 में ही काम शुरू होना था। मगर इसकी फाइल दिल्ली सरकार के पास अटकी पड़ी है। इसलिए परियोजनाओं को अभी स्वीकृति भी नहीं मिल पाई है। डीएमआरसी का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में मेट्रो का विशाल नेटवर्क है, इसलिए रखरखाव की जिम्मेदारी भी बढ़ रही है। जरूरत पड़ने पर परियोजना से जुड़े इंजीनियरों को रखरखाव का दायित्व दिया जा सकता है।

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