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विधायिका से ऊपर नहीं कार्यपालिका, विधानसभा कानून बनाती है वो सर्वोपरि है: दिल्ली सरकार

विधानसभा कानून बनाती है वह सर्वोपरि है, कार्यपालिका उसे ओवरलैप नहीं कर सकती। दिल्ली विधानसभा पुलिस, पब्लिक आर्डर और भूमि को छोड़ कर अन्य मुद्दों पर कानून बना सकती है।

By Amit MishraEdited By: Updated: Wed, 29 Aug 2018 09:38 PM (IST)
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विधायिका से ऊपर नहीं कार्यपालिका, विधानसभा कानून बनाती है वो सर्वोपरि है: दिल्ली सरकार
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कार्यपालिका विधायिका से ऊपर नहीं है। विधानसभा कानून बनाती है वो सर्वोपरि है। दिल्ली सरकार और केन्द्र के बीच सर्विस व अन्य मामलों में चल रही अधिकारों की मुकदमेबाजी में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई बहस के दौरान अपना पक्ष रखते हुए दिल्ली सरकार की ओर से ये दलीलें दी गईं।

कपिल सिब्बल और पी. चिदंबरम ने रखा पक्ष 

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट की संविधानपीठ ने दिल्ली और केन्द्र के बीच अधिकारों के मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि सर्विस आदि मामलों से जुड़ी दिल्ली सरकार की अपीलों पर इस फैसले के आलोक में नियमित पीठ सुनवाई करेगी। बुधवार को हाईकोर्ट के फैसलों के खिलाफ दिल्ली सरकार की लंबित छह अपीलों पर न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई शुरू की। दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और पी. चिदंबरम ने पक्ष रखा।

उपराज्यपाल को व्यक्तिगत कोई अधिकार नहीं

सिब्बल ने कहा कि विधानसभा कानून बनाती है वह सर्वोपरि है, कार्यपालिका उसे ओवरलैप नहीं कर सकती। दिल्ली विधानसभा पुलिस, पब्लिक आर्डर और भूमि को छोड़ कर अन्य मुद्दों पर कानून बना सकती है। विधानसभा जब कानून बनाएगी तो केन्द्र उपराज्यपाल के जरिये कार्यकारी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए उसमें दखल नहीं दे सकती। ये संवैधानिक प्रावधान है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और दिल्ली सरकार के अधिकारों के बारे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला एकदम स्पष्ट है। उसमें कहा गया है कि अगर उपराज्यपाल असहमत होते हैं तो वे मामला राष्ट्रपति को भेज सकते हैं। उपराज्यपाल को व्यक्तिगत कोई अधिकार नहीं है।

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जारी रहेगी बहस 

इसके अलावा पी. चिदंबरम ने सर्विस मामलों में बहस करते हुए कहा कि वे यहां आईएएस और आईपीएस सर्विस के क्षेत्राधिकार की बात नहीं कर रहे हैं वे स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन की बात कर रहे हैं। स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन के तहत जो अधिकारी दिल्ली में तैनात होते हैं उनका क्षेत्राधिकार दिल्ली सरकार के पास होना चाहिए। मामले में गुरुवार को भी बहस जारी रहेगी।

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