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Delhi Haunted Places: दिल्ली के इन 'हॉन्टेड प्लेस' पर जानें से बचें, 'मालचा महल' की कहानी जान कांप जाएगी रूह

दिल्ली के डरावने स्मारकों की सैर पर निकलें और रोमांचक अनुभवों के लिए तैयार हो जाइए। दरअसल डीटीटीडीसी मालचा महल भूली भटियारी फिरोज शाह कोटला और तुगलकाबाद किले जैसे डरावने स्मारकों की सैर करा रहा है। लोग इन जगहों पर जानें की अधिक रुचि दिखा रहे हैं। इन स्मारकों के इतिहास और उनसे जुड़ी कहानियों को जानें। क्या आप इस डरावने एडवेंचर के लिए तैयार हैं?

By V K Shukla Edited By: Sonu Suman Updated: Sun, 10 Nov 2024 03:34 PM (IST)
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दिल्ली के इन हॉन्टेड प्लेस पर लोगों की बढ़ रही रुचि।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में घूमने की एक से बढ़कर एक जगहें हैं। दोस्तों के साथ मनोरंजन करने से लेकर परिवार के साथ पिकनिक मनाने तक के लिए दिल्ली में हर तरह के उपाय मौजूद हैं।दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) स्मारकों की सैर करा रहा है। इसकी शुरुआत पिछले माह की गई थी। योजना के तहत इस साल 100 से अधिक स्मारकों की सैर कराई जानी है। मगर इस कार्यक्रम के तहत डरावने स्मारकों की सैर में लोग अधिक रुचि दिखा रहे हैं।

डीटीटीडीसी के अधिकारियों की मानें ताे डरावने स्मारकों की सैर के बारे में ही लोग अधिक पूछताछ कर रहे हैं।डीटीटीडीसी इसका लाभ उठाते हुए डरावने स्मारकों की सूची में शामिल मालचा महल, भूली भटियारी, फिरोजशाह कोटला और तुगलकाबाद के किले की सैर कराने जा रही है। उनके लिए अलग-अलग तारीख में लोगों की रूचि के अनुसार अलग-अलग तारीख में सैर कराई जाएगी। इसके तहत इन स्थानों के इतिहास के साथ-साथ इन स्थानों से संबंधित कहानियों पर भी फोकस किया जाएगा।

फिरोजशाह में अच्छे और बुरे दोनों तरह के जिन्न

चाणक्यपुरी इलाके के जंगल में स्थित मालचा महल अपनी डरावनी स्थिति के कारण लोगों में चर्चा का विषय है।मालचा महल के अलावा भी दिल्ली में दूसरी डरावनी जगहें हैं। इनमें शामिल है भूली भटियारी जो रिज एरिया के केंद्र में है। साथ ही फिरोज शाह काेटला के संबंध में कहा जाता है कि यहां अच्छे और बुरे दोनों तरह के जिन्न रहते हैं, लोगों के विश्वास के कारण यहां धागे भी बंधे मिलते हैं। तुगलकाबाद के किले में जिन्नों की बात की जाती है।

सबसे डरावना माना जाता है मालचा महल

तुगलगक के समय में बनाया गया यह स्मारक सालों तक खाली रहा। लोगों का ऐसा मानना है कि यहां आत्माएं भटकती हैं। इस महल को 1325 में सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने अपने शिकारगाह के रूप में बनवाया था।लेकिन 1985 में खुद को अवध के नवाब रहे शाही परिवार का सदस्य होने का दावा करने वाली महिला बेगम विलायत महल अपने परिवार के साथ यहां रहने लगीं। जिसके बाद इस जगह को ‘विलायत महल’ के नाम से जाना जाने लगा। वह महिला बिना बिजली-पानी के अपने 10-11 कुत्तों के साथ यहां रहती थी।

2017 में परिवार के अंतिम सदस्य की मौत

1993 में उन्होंने आत्महत्या कर ली। उनके बाद उनके परिवार के अन्य लोग भी यहीं एक एक करके मर गए। इस परिवार की अंतिम मौत विलायत महल के बेटे अली रजा की 2017 में हुई। उसके बाद से यह जगह सुनसान पड़ी है। इन परिवार के एक एक कर सभी सदस्यों की मौत के बाद जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम जब इस महल का निरीक्षण करने गई थी तो वहां पर तांत्रिकों के उपयोग में लाया जाने वाला सामान काफी मात्रा में मिला था। एक कमरे में सिंदूर फैला हुआ मिला था।

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