Delhi: ड्रग्स तस्कर को अंग्रेजी में जारी केंद्र सरकार का हिरासत आदेश रद, HC ने की ये टिप्पणी
ड्रग्स तस्करी मामले में आरोपित के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा जारी हिरासत आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट ने रद कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कि अधिकारी यह बताने में बुरी तरह से विफल रहे कि हिरासत में लेने का आधार आरोपित को हिंदी भाषा में बताया गया था।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। ड्रग्स तस्करी मामले में आरोपित के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा जारी हिरासत आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट ने रद कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि कि अधिकारी यह बताने में बुरी तरह से विफल रहे कि हिरासत में लेने का आधार आरोपित को हिंदी भाषा में बताया गया था।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा कि क्योंकि बंदी ने दस्तावेजों पर अंग्रेजी में अपने हस्ताक्षर किए थे, इससे यह कल्पना नहीं की जा सकती है कि वह अंग्रेजी समझता है और उसने हिरासत के आधार को समझते हुए ही दस्तावेज पर भरोसा किया था।
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केंद्र सरकार के आदेश को किया रद
यह टिप्पणी करते हुए पीठ ने भारत सरकार के संयुक्त सचिव द्वारा पारित एक अप्रैल 2021 के आदेश और भारत सरकार के उप सचिव द्वारा पारित 16 जून 2021 को जारी आदेश को रद कर दिया। पीठ ने कहा कि उक्त आदेश संविधान के अनुच्छेद 22 (5) में निहित संवैधानिक जनादेश का उल्लंघन करता है और विभिन्न निर्णयों में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्याख्या की गई है।
आरोपित ने दी थी चुनौती
याचिकाकर्ता व आरोपित शराफत शेख ने हिरासत आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि उसे नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (पीआइटीएनडीपीएस) में हिरासत में लेने की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि वह पहले से ही एनडीपीएस अधिनियम के कड़े प्रविधानों के तहत एक मामले में हिरासत में है।
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आरोपित को उसी की भाषा में नहीं समझाया
शेख के अधिवक्ता ने कहा कि उनका मुवक्किल एक अनपढ़ व्यक्ति है और हिरासत आदेश उसे ठीक से संप्रेषित नहीं किया गया था क्योंकि यह अंग्रेजी भाषा में था। उन्होंने कहा कि सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है कि वह हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उस भाषा में तामील करे, जिसे वह समझता है।
केंद्र ने दिया ये तर्क
वहीं, केंद्र की तरफ पेश हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि तिहाड़ जेल में बंदी से विधिवत संपर्क करके आवश्यक दस्तावेजों के साथ हिरासत में लेने का आदेश दिया गया था। आरोपित ने इसे पढ़ व समझकर स्वीकार किया था। हालांकि, पीठ ने उक्त दलील को ठुकराते हुए केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश को रद कर दिया।