Delhi HC ने एक्सप्रेस वे पर टू-थ्री व्हीलर या ट्रैक्टर जैसे धीमे वाहनों पर रोक को लेकर दिए सख्त निर्देश
Delhi HC राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटना का बड़ा कारण बनने वाले प्रतिबंधित धीमे वाहनों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि इस संबंध में लापरवाही के दुखद परिणाम हो सकते हैं। अदालत ने कहा कि रिकार्ड से पता चलता है कि दिल्ली-गुरुग्राम इस्टर्न-वेस्टर्न पेरिफेरल व दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर धीमी गति से चलने वाले वाहनों के संबंध में नियम हैं।
By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Wed, 01 Nov 2023 02:04 AM (IST)
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटना का बड़ा कारण बनने वाले प्रतिबंधित धीमे वाहनों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने निर्देश दिया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के एक्सप्रेस-वे पर चलने वाले दो-तीन पहिया, ट्रैक्टर, बैलगाड़ी जैसे धीमे वाहनों की गतिविधि के विरुद्ध कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
अदालत ने कहा कि इस संबंध में लापरवाही के दुखद परिणाम हो सकते हैं। अदालत ने कहा कि रिकार्ड से पता चलता है कि दिल्ली-गुरुग्राम, इस्टर्न-वेस्टर्न पेरिफेरल व दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर धीमी गति से चलने वाले वाहनों के संबंध में नियम हैं, लेकिन इसका व्यवहारिक रूप से कार्यान्वयन नहीं किया जा रहा है।यह भी पढ़ें- दिल्ली AIIMS छोड़ने का सिलसिला जारी, फैकल्टी स्तर के 13 डॉक्टर्स ने दिया इस्तीफा
अदालत ने उक्त टिप्पणी व आदेश अधिवक्ता नमन जोशी के माध्यम से याचिकाकर्ता युवराज फ्रांसिस द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए दिया। अदालत ने कहा कि रिकार्ड पर पेश किए गए तथ्यों से स्पष्ट है कि राहगीरों की सुरक्षा व निर्धारित नियमों के अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों द्वारा प्रभावी प्रवर्तन तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि संभावित खतरों से बचा जा सके। अदालत ने पुलिस उपायुक्त (यातायात) दक्षिण-पश्चिम जोन निर्देश दिया कि प्रतिबंधित धीमे वाहनों की एक्सप्रेस-वे पर होने वाले गतिविधि को रोकने और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर करने के लिए नियमित निगरानी और त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की जाए।
एक्सप्रेस-वे आधुनिक बुनियादी ढांचागत प्रगति के लिए आवश्यक हैं: अदालत
अदालत ने कहा कि एक्सप्रेस-वे आधुनिक बुनियादी ढांचागत प्रगति के लिए आवश्यक हैं और इसे अभूतपूर्व गति के साथ दूरियों को कम करने के लिए डिजाइन किया गया है। अदालत ने नोट किया कि एनएचएआइ द्वारा याची को दी गई जानकारी के तहत दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे के रखरखाव के अनुबंध के तहत ट्रैक्टर, बैलगाड़ी के साथ ही दो व तीन पहिया वाहन प्रतिबंधित हैं।अदालत ने एक्सप्रेस-वे पर धीमी गति से चलने वाले वाहनों के लिए सीमांकन व एक लेन निर्धारित करने की याची की मांग को अदालत ने ठुकरा दिया। अदालत ने कहा कि एक्सप्रेस-वे पर धीमे वाहनों के लिए एक समर्पित लेन स्थापित करने का निर्णय न सिर्फ प्रशासनिक बल्कि नीतिगत निर्णय है। अदालत ने कहा कि उक्त निर्णय व्यवहार्यता, सड़क सुरक्षा निहितार्थ, संभावित विकल्प और व्यापक यातायात प्रबंधन पर विचार करने के बाद ही लिया जा सकता है।
मुख्य पीठ ने कहा कि एक न्यायिक निकाय होने के नाते अदालत कार्यपालिका के निर्धारित क्षेत्रों में नहीं जाना चाहती और सरकार अपने स्वविवेक व विशेष आकलन के तहत इस पर निर्णय ले सकती है। इसके साथ ही सड़क सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दे को जानकारी में लाने के लिए याचिकाकर्ता की सराहना की और उम्मीद जताई कि संबंधित प्राधिकारी इस पर उचित कार्रवाई करेंगे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।