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जामिया के छात्र की याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को भेजा नोटिस

शैय्यान मुजीब ने कोर्ट को बताया है कि उनके दोनों पैर में गंभीर चोटें आयी हैं। इलाज में उनके करीब 2.5 लाख रुपये लगे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Mon, 17 Feb 2020 11:14 AM (IST)
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जामिया के छात्र की याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को भेजा नोटिस
नई दिल्ली, एएनआइ। जामिया हिंसा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। जामिया के छात्र शैय्यान मुजीब (Shayyan Mujeeb) की याचिका पर ये नोटिस जारी किया गया है। याचिकाकर्ता ने दो करोड़ मुआवजे की मांग की है।

शैय्यान मुजीब ने कोर्ट को बताया है कि उनके दोनों पैर में गंभीर चोटें आयी हैं। इलाज में उनके करीब 2.5 लाख रुपये लगे हैं। 15 दिसंबर 2019 को हुई हिंसक झड़प मामले में छात्र ने याचिका दायर की है। 

उधर, जामिया की लाइब्रेरी में हिंसा के दो वीडियो वायरल होने के मामले में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोमवार को कहा कि इस मामले में पुलिस की तरफ से बयान आना चाहिए। अगर कोई छात्र पत्थर लेकर पुस्तकालय में प्रवेश करता है तो वह निंदनीय है। इस मामले की जांच होनी चाहिए।

दरअसल दो महीने बाद जामिया की लाइब्रेरी में हिंसा के दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि जामिया समन्वय समिति ने शनिवार रात सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वीडियो वायरल किए। इनमें दिख रहा है कि दिल्ली पुलिस व पैरा मिलिट्री के जवान जामिया विश्वविद्यालय के अंदर लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों की डंडे से पिटाई कर रहे हैं। दो महीने बाद वीडियो वायरल करने से सवाल उठ रहे हैं कि कहीं समिति ने शाहीन बाग मामले को फिर राजनीतिक रंग देने की कोशिश तो नहीं की है।

इस मामले में क्राइम ब्रांच के विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन का कहना है कि लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों की पिटाई करने के आरोप की एसआइटी पहले से जांच कर रही है। अगर एसआइटी की जांच के दायरे में ये वीडियो नहीं हैं तो इन्हें भी शामिल कर लिया जाएगा।

बता दें कि 15 दिसंबर की घटना के बाद छात्र-छात्राओं के साथ जामिया प्रशासन ने भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि पुलिसकर्मियों ने लाइब्रेरी में घुसकर छात्र-छात्रओं की बुरी तरह पिटाई की है। पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने आरोपों की विस्तृत जांच के लिए केस को क्राइम ब्रांच को सौंप दिया था। मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने 19 दिसंबर को जामिया प्रशासन से संपर्क कर लाइब्रेरी के फुटेज सौंपने का अनुरोध किया था। लेकिन जामिया प्रशासन ने फुटेज देने से साफ इन्कार कर दिया था।

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