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'पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी अवैध', दिल्ली HC ने पारिवारिक अदालत का फैसला पलटते हुए की अहम टिप्पणी

Delhi HC News एक पक्ष की सहमति पर दूसरी शादी करने से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम निर्णय सुनाते हुए कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम में पति-पत्नी में से किसी एक के जीवित रहने पर दूसरी शादी करने पर कानूनी रोक लग जाती है। ऐसे में एक पक्ष की सहमति दूसरी शादी को वैधता प्रदान नहीं कर सकती है।

By Vineet TripathiEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Thu, 19 Oct 2023 08:53 PM (IST)
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कोर्ट ने कहा- एक पक्ष की सहमति दूसरी शादी को वैधता प्रदान नहीं कर सकती है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi HC News: एक पक्ष की सहमति पर दूसरी शादी करने से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम निर्णय सुनाते हुए कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम में पति-पत्नी में से किसी एक के जीवित रहने पर दूसरी शादी करने पर कानूनी रोक लग जाती है।

ऐसे में एक पक्ष की सहमति दूसरी शादी को वैधता प्रदान नहीं कर सकती है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि अधिनियम की धारा 5 (आई) के अनुसार दूसरी शादी के लिए जीवन जीवनसाथी नहीं होना चाहिए।

दूसरी शादी को पारिवारिक अदालत ने घोषित किया था अमान्य

अदालत ने उक्त टिप्पणी पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली एक पत्नी की याचिका को खारिज करते हुए की। पारिवारिक अदालत ने पति की याचिका को स्वीकार कर लिया और महिला की दूसरी शादी को अमान्य घोषित कर दिया था। दोनों की शादी वर्ष 2009 में हुई थी।

महिला ने इससे पहले एक व्यक्ति से शादी की थी और वर्ष 2008 में उसे तलाक दे दिया गया था। हालांकि, उसके पहले पति ने तलाक की मंजूरी के खिलाफ अपील दायर की थी। पत्नी ने स्वीकार किया कि उसे दिसंबर 2008 में अपने पहले पति की अपील की लंबितता के बारे में पता चला, लेकिन वर्ष 2012 में चार साल से अधिक समय के बाद उक्त अपील वापस ले ली गई थी।

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इसके बाद उनकी दूसरी शादी में पक्षों के बीच मतभेद के कारण दूसरे पति ने इस आधार पर शादी को रद करने के लिए याचिका दायर की कि पत्नी की पहली शादी कायम थी। उन्होंने दावा किया कि पहली शादी के अस्तित्व के दौरान पत्नी की दूसरी शादी अमान्य है।

पारिवारिक अदालत ने पाया कि महिला की शादी के समय पहले पति की अपील लंबित थी, इसलिए विवाह अस्तित्व में था और इस प्रकार दूसरी शादी अमान्य है। पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए पीठ ने कहा कि पहले पति की अपील लंबित होने की जानकारी होने के बावजूद पत्नी ने वर्ष 2009 में दूसरे पति से शादी कर ली थी।

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रिपोर्ट इनपुट- विनीत त्रिपाठी

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