Delhi : भरण-पोषण में संशोधन को लेकर निचली अदालत के फैसले को दिल्ली HC ने पलटा, कहा- कम नहीं की जा सकती राशि
भरण-पोषण में संशोधन करने से इनकार करने के पारिवारिक अदालत के निर्णय के विरुद्ध पति की अपील को दिल्ली HC ने ठुकरा दिया। पीठ ने कहा कि पति द्वारा भुगतान के दायित्वों को पूरा करने में विफल रहने के कारण पत्नी द्वारा आय का स्रोत बनाकर खर्चों को पूरा करने का प्रयास उसे दिए गए अंतरिम भरण-पोषण को कम करने का कारण नहीं हो सकता है।
By Vineet TripathiEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Fri, 29 Sep 2023 05:53 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भरण-पोषण में संशोधन करने से इनकार करने के पारिवारिक अदालत के निर्णय के विरुद्ध पति की अपील को दिल्ली हाई कोर्ट ( Delhi High Court ) ने ठुकरा दिया।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि पति द्वारा भुगतान के दायित्वों को पूरा करने में विफल रहने के कारण पत्नी द्वारा आय का स्रोत बनाकर खर्चों को पूरा करने का प्रयास उसे दिए गए अंतरिम भरण-पोषण को कम करने का कारण नहीं हो सकता है।
इसलिए की थी याचिका दायर
पत्नी को आठ हजार रुपये व बच्चों के लिए तीन हजार रुपये भरण-पोषण देने के पारिवारिक अदालत के निर्णय में संशोधन की मांग को लेकर पति ने याचिका दायर की थी। पति ने तर्क दिया कि कोरोना महामारी के कारण उसकी आय कम हो गई है और उसकी पत्नी ने एक स्कूल में नौकरी करके कमा रही है।यह भी पढ़ें- रूस-तुर्की के बीच लापता हुआ भारतीय नाविक, पत्नी की याचिका पर दिल्ली HC का केंद्र को नोटिस
पति की याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि महिला अपने और अपनी बेटी के दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए काम करना शुरू कर दे तो इसे भरण-पोषण कम करने का आधार नहीं माना जा सकता है।
अदालत ने कहा कि भरण-पाेषण देने में पति के विफल रहने पर अगर पत्नी ने आय का कुछ स्रोत बनाने का प्रयास किया तो इसमें कुछ अनुचित नहीं है। अदालत ने नोट किया कि पति पर भरण-पोषण के रूप में 4.67 लाख रुपये का बकाया है। अदालत ने उक्त टिप्पणी करते हुए पारिवारिक अदालत द्वारा भरण-पोषण निर्धारित करने के 16 मार्च 2022 के निर्णय को बरकरार रखा।
रिपोर्ट इनपुट- विनीत त्रिपाठीयह भी पढ़ें- बच्चे को हथियार की तरह किया इस्तेमाल, उसे पिता से दूर रखना है क्रूरता; दिल्ली HC ने तलाक का आदेश रखा बरकरार
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