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'अच्छे अंक लाना जरूरी, लेकिन जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज नहीं', IIT के दो छात्रों की मौत पर दिल्ली HC की टिप्पणी

आईआईटी के छात्रावास में मृत पाए गए दो छात्रों के स्वजन की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के संकाय सदस्यों को महत्वपूर्ण सुझाव दिए। आईआईटी संकाय के सदस्यों को छात्रों को परामर्श देकर प्रोत्साहित करने व समझाने का सुझाव देते हुए अदालत ने कहा कि अच्छे अंक प्राप्त करना और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना महत्वपूर्ण है लेकिन यह जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज नहीं है।

By Vineet Tripathi Edited By: Sonu SumanUpdated: Thu, 01 Feb 2024 08:28 PM (IST)
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IIT के दो छात्रों की मौत पर दिल्ली HC की टिप्पणी।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। आईआईटी के छात्रावास में मृत पाए गए दो छात्रों के स्वजन की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के संकाय सदस्यों को महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए अहम टिप्पणी की है।

आईआईटी संकाय के सदस्यों को छात्रों को परामर्श देकर प्रोत्साहित करने व समझाने का सुझाव देते हुए अदालत ने कहा कि अच्छे अंक प्राप्त करना और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज नहीं है।

न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने इस बात पर जोर दिया कि आईआईटी को छात्रों को प्रेरित करना चाहिए कि बेहतर प्रदर्शन के दबाव या तनाव के आगे झुके बिना भी छात्र अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकता है।

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अदालत ने कहा कि कॉलेजों के पेशेवर और प्रतिस्पर्धी माहौल में हर दिन चुनौतियों का सामना करने वाले युवाओं के दिमागों में इसे स्थापित करने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका उन्हें उसी परिसर में पढ़ाना है। दो छात्रों के स्वजन की तरफ से दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि वास्तविक तथ्यों को छिपाने के लिए संकाय सदस्यों की साजिश के तहत उनके बेटों की हत्या की गई है और झूठा आत्महत्या दिखाया गया।

स्वजन ने लगाए जातिगत भेदभाव के आरोप

स्वजन ने आरोप लगाया कि एससी-एसटी समुदाय से होने के कारण उनके बेटों को संकाय सदस्यों द्वारा जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। उन्होंने मांग की कि उनके बेटों की मौत से जुड़े मामलों की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) से कराई जाए। साथ ही उन्होंने आईआईटी दिल्ली के परिसर में किए जा रहे जाति आधारित अत्याचारों की गहन और निष्पक्ष जांच की भी मांग की।

जाति आधारित भेदभाव के आरोप खारिज

स्वजन की याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि भावना या सहानुभूति के आधार पर इस तरह का आदेश नहीं जारी किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि जांच में ऐसा कुछ सामने आया जिससे यह पता चले कि मृत छात्रों को जाति आधारित भेदभाव का सामना करना पड़ा था। किसी अन्य छात्र ने परिसर में होने वाले इस तरह के भेदभाव की सूचना नहीं दी है और याचिका में लगाए गए आरोपों की पुष्टि या पुष्टि नहीं की जा सकी।

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