Move to Jagran APP

'दिल्ली सरकार न टैक्स लेती है, न कुछ खर्च करते हैं', जेल में सुविधाओं की कमी पर दायर याचिका पर दिल्ली HC की टिप्पणी

अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि चार सप्ताह में मामले पर निर्णय लिया जाए। याचिकाकर्ता श्याम सुंदर अग्रवाल ने याचिका कर तिहाड़ जेल परिसर में विचाराधीन कैदियों और दोषियों से मिलने आने वाले वकीलों को विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की थी। उन्हाेंने कहा कि उनकी मांग है कि बुनियादी जरूरतें पूरी होनी चाहिए।

By Vineet Tripathi Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 04 Nov 2024 07:44 PM (IST)
Hero Image
जेल में सुविधाओं की कमी पर दायर याचिका पर दिल्ली HC की टिप्पणी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तिहाड़ जेल समेत अन्य जेलों में कैदियों से मिलने वाले वकीलों के लिए सुविधाओं की कमी से जुड़ी याचिका काे प्रतिवेदन के तौर पर लेकर निर्णय लेने का जेल महानिदेशक को निर्देश देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार पर मौखिक टिप्पणी की है।

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार कोई भी निवेश करने के लिए तैयार नहीं है। मुख्य पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार कोई टैक्स नहीं लेती है और कुछ खर्च नहीं करती है। पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार की नीति सरल है, वह कुछ भी टैक्स के रूप में एकत्र नहीं करते और कुछ भी खर्च नहीं करते।

जेल प्रशासन चार हफ्ते में निर्णय ले: दिल्ली हाईकोर्ट 

अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि चार सप्ताह में मामले पर निर्णय लिया जाए। याचिकाकर्ता श्याम सुंदर अग्रवाल ने याचिका कर तिहाड़ जेल परिसर में विचाराधीन कैदियों और दोषियों से मिलने आने वाले वकीलों को विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की थी। उन्हाेंने कहा कि उनकी मांग है कि बुनियादी जरूरतें पूरी होनी चाहिए।

सरकार जेलों में 20 हजार कैदियों की क्षमता बढ़ाने पर सहमत

पीठ ने याची के तर्क से सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार के पास पैसा नहीं है। वहीं, दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने अपनी जेल यात्रा के बाद एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया था कि सरकार जेलों में 20 हजार कैदियों की क्षमता बढ़ाने पर सहमत है।

उन्होंने कहा कि क्षमता बढ़ाने का सुझाव दिया था, क्योंकि मौजूदा सुविधाएं केवल लगभग सात से आठ हजार कैदियों को ही मुहैया कराती थीं। हालांकि, बाद में सब कुछ सस्पेंड कर दिया गया। संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि उचित बजट बनाने के लिए जेल परिसर की लागत लेखा परीक्षा आयोजित करने की आवश्यकता है।

हालांकि, पीठ ने कहा कि हमें आपके इरादे पर संदेह नहीं है लेकिन इसे जमीनी स्तर पर लागू किया जाना चाहिए। समस्या यह है कि कोई योजना नहीं है और कुछ भी लागू नहीं होता है। एक मंजूरी योजना होनी चाहिए, जो जेलों में अभी भी नहीं है।

16 जेलों में स्वच्छ पेयजल आदि की कोई व्यवस्था नहीं: याचिका

याचिका में कहा गया कि परिसर की सभी 16 जेलों में स्वच्छ पेयजल, शौचालय जैसी बुनियादी नागरिक सुविधाओं की कोई व्यवस्था नहीं है। यह भी दावा किया कि कई एकड़ जमीन खाली होने के बावजूद अधिवक्ताओं के लिए कोई पार्किंग सुविधा प्रदान नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में बार काउंसिल आफ इंडिया और बार काउंसिल आफ दिल्ली को दी गई उनकी कई दलीलों को अनसुना कर दिया गया, जबकि पांच सितंबर को महानिदेशक (जेल) को दिए गए अभ्यावेदन पर कोई जवाब नहीं मिला।

यह भी पढ़ें- 'दिल्ली सरकार तुरंत जवाब दे', दीवाली पर जमकर हुई आतिशबाजी पर CM आतिशी और पुलिस को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।