'न्यूज एजेंसी को 'सरकार की कठपुतली' कहे जाने से बुरा कुछ नहीं हो सकता', दिल्ली हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
दिल्ली हाईकोर्ट ने एएनआई समाचार एजेंसी से जुड़े मानहानि मामले में विकिपीडिया की अपील पर सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि किसी समाचार एजेंसी के लिए खुफिया एजेंसी या सरकार की कठपुतली कहे जाने से बुरा कुछ नहीं हो सकता। पीठ ने कहा कि एएनआई को खुफिया एजेंसी का पिट्ठू कहा जाता है। उसे ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता उसे अपना बचाव करना होगा।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एएनआई समाचार एजेंसी से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि किसी समाचार एजेंसी के लिए खुफिया एजेंसी या सरकार की कठपुतली कहे जाने से बुरा कुछ नहीं हो सकता।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने टिप्पणी की कि एकल पीठ ने विवादित आदेश पारित करने से पहले बहुत सावधानी बरती थी और मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए विकिपीडिया को पर्याप्त समय दिया था। हालांकि, विकिपीडिया ऐसा करने में विफल रहा।
पीठ ने कहा कि एकल पीठ ने आपको लगभग चार सप्ताह समय दिया, लेकिन आप जवाब नहीं कर सके। कई लोग सोचते हैं कि यह एक पक्षीय आदेश है, लेकिन ऐसा नहीं है। जवाब नहीं आने पर अदालत कहती है कि यह किया जाना चाहिए। पीठ ने उक्त टिप्पणी एएनआई के मानहानि मामले में एकल पीठ के निर्देश के विरुद्ध विकिमीडिया फाउंडेशन द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए की।
न्यूज एजेंसी की विश्वसनीयता खत्म हो जाती है: कोर्ट
पीठ ने कहा कि अदालत का मानना है कि कि किसी समाचार एजेंसी को खुफिया एजेंसी या सरकार की कठपुतली कहने जाना इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता क्योंकि अगर यह सच है, तो उसकी विश्वसनीयता खत्म हो जाती है। पीठ ने कहा कि अगर एएनआई को खुफिया एजेंसी का पिट्ठू कहा जाता है तो उसे ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता, उसे अपना बचाव करना होगा।
सुनवाई 28 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी
इसके साथ ही पीठ ने दोनों पक्षों को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 28 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी। पूरा मामला एएनआई की मानहानि मामले से जुड़ा है, जिसमें दावा किया गया है कि उसके प्लेटफार्म के विकिपीडिया पृष्ठ पर अपमानजनक संपादन करने वाले यूजर्स (उपयोगकर्ताओं) के बारे में जानकारी को उजागर करने के अदालत के आदेशों का विकिपीडिया पालन नहीं कर रहा है।बता दें, दिल्ली हाईकोर्ट ने डूसू चुनाव के परिणाम को लेकर अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि जब तक संपत्ति की सफाई नहीं होगी, चुनाव परिणाम नहीं होंगे। दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले भी दो टूक कहा था कि अगर उम्मीदवार चाहते हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव की मतगणना की जाए तो उनके द्वारा कैंपस में की गई गंदगी को साफ करें।यह भी पढ़ें- Delhi Blast News: भाजपा की केंद्र सरकार दिल्ली में कानून व्यवस्था को संभालने में असमर्थ- AAP
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