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Acid Attack मामले में नौ साल तक चले 'तारीख पर तारीख' के सिलसिले से दिल्ली HC नाराज, निचली अदालत को दिए ये आदेश

Acid Attack Case in Delhi HC तेजाब हमला के मामले की कार्यवाही नौ साल तक चलने से नाराजगी व्यक्त करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे हमले के मामले अत्यधिक क्रूरता और विनाशकारी परिणामों की विशेषता के कारण सबसे गंभीर अपराधों में से हैं। ऐसी वारदात समुदायों को झकझोर कर रख देती और इसके आराेपित जमानत देने या अस्वीकार करने में अदालत की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

By Vineet TripathiEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Wed, 06 Sep 2023 07:50 PM (IST)
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आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए HC ने निचली अदातल की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। Acid Attack Case in Delhi HC: तेजाब हमला के मामले की कार्यवाही नौ साल तक चलने से नाराजगी व्यक्त करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे हमले के मामले अत्यधिक क्रूरता और विनाशकारी परिणामों की विशेषता के कारण सबसे गंभीर अपराधों में से हैं। ऐसी वारदात समुदायों को झकझोर कर रख देती और इसके आराेपित जमानत देने या अस्वीकार करने में अदालत की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

चार महीने के भीतर खत्म हो जाता मुकदमा

30 वर्षीय वरिष्ठ रेजिडेंट डाक्टर पर तेजाब फेंकने के आरोपित को जमानत देने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि जिन गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है, उनसे प्रतिदिन पूछताछ की जाती है तो मुकदमा चार महीने के भीतर समाप्त हो जाता है।

साथ ही अदालत ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि मामले को उच्च प्राथमिकता पर लेकर शेष गवाहों की गवाही दिन-प्रतिदिन के आधार पर रिकॉर्ड की जाए। किसी भी पक्षकार को कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा। साथ ही संबंधित डीसीपी को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करेंगे कि जिस गवाह को समन किया जाएगा वह अदालत के समक्ष उक्त तारीख पर उपस्थित हों।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर चार महीने के अंदर जिरह की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो बचाव पक्ष दोबारा इस अदालत के समक्ष नई याचिका दायर कर सकता है। अदालत ने कहा कि पीड़िता को शारीरिक ही नहीं भावनात्मक घाव भी मिलते हैं, जो कभी नहीं भरते। आरोपित ने अपने साथी डाक्टर के साथ साजिश रचकर पीड़िता पर तेजाब से हमला किया था। आरोपित उक्त डाक्टर के साथ कंपाउंडर के रूप में काम कर रहा था।

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अभियोजन पक्ष के अनुसार सह-आरोपित डाक्टर पीड़ता से एक तरफा प्रेम करता था और पीड़िता द्वारा विवाह का प्रस्ताव ठुकराने के कारण बदला लेने की भावना से पूरे अपराध की योजना बनाई थी। आरोपित ने इस आधार पर जमानत देने से की मांग की थी कि वह पिछले नौ वर्षों से न्यायिक हिरासत में है और मुकदमे समाप्त होने में कुछ समय लगेगा। हालांकि, अदालत ने उसकी दलीलों को ठुकरा दिया।

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रिपोर्ट इनपुट- विनीत