'असोला भट्टी के अंदर नहीं हो सकती कोई मानवीय गतिविधि', अभयारण्य के अंदर कार्यक्रम के आयोजन पर दिल्ली HC ने लगाई रोक
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इको-पर्यटन और वन्यजीवों की सुरक्षा के बीच एक अच्छा संतुलन सुनिश्चित करने के लिए वन्यजीव अभयारण्यों में सफारी और सार्वजनिक प्रविष्टियों पर सूक्ष्मता से काम किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि यह माना जाता है कि जानवरों और मनुष्यों को सह-अस्तित्व में रहना चाहिए लेकिन हाल ही में मनुष्य वन्यजीवों के आवास पर अतिक्रमण कर रहा है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने वन विभाग को इस माह के अंत में दक्षिणी रिज में असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य के अंदर वॉक विद वाइल्डलाइफ कार्यक्रम आयोजित करने से रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश जारी किया। इसके पहले पीठ ने अभयारण्य के अंदर लोगों की सुरक्षा के संबंध में भी चिंता व्यक्त की थी। पीठ ने वन विभाग से पूछा था कि वह वन्यजीव अभयारण्य के अंदर कार्यक्रम आयोजित करके लोगों को इस तरह के जोखिम में कैसे डाल सकता है?
रिज के संरक्षण और वहां से अतिक्रमण हटाने से संबंधित मामले में नियुक्त एमिकस क्यूरी ने पिछले सप्ताह अदालत के समक्ष आयोजन से संबंधित मुद्दों को उठाया था। पीठ ने मंगलवार को इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, उन्होंने कहा प्रतिवादियों को अगले आदेश तक प्रस्तावित कार्यक्रम आयोजित करने से रोका जाता है।
एमिकस क्यूरी अधिवक्ता गौतम नारायण और अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद ने तर्क दिया था कि असोला भट्टी के अंदर कोई मानवीय गतिविधि नहीं हो सकती है, ये वन्यजीवों वाला एक संरक्षित क्षेत्र है।