हज आयोजक समूहों को ब्लैक लिस्ट करने का मामला, दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार का फैसला किया रद
Delhi High Court दिल्ली हाईकोर्ट ने हज नीति-2023 के उल्लंघन पर कई हज समूह आयोजकों को ब्लैक-लिस्ट करने के केंद्र सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि आयोजकों को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस में भाषा अस्पष्ट थी और इसलिए ब्लैक लिस्ट में डालने का आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन थे।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हज नीति-2023 का उल्लंघन पर कई हज समूह आयोजकों को ब्लैक-लिस्ट में डालने के केंद्र सरकार के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट ने रद कर दिया है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने आयोजकों की 15 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस में भाषा अस्पष्ट थी और इसलिए ब्लैक-लिस्ट में डालने का आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन थे।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने वर्ष-2023 में याचिकाकर्ताओं को हज- 2024 से प्रभावी पांच से 15 साल की अवधि के लिए हज समूह आयोजकों (एचजीओ) के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन करने से ब्लैक-लिस्ट कर दिया था। साथ ही उनकी सुरक्षा जमा राशि जब्त करने का भी आदेश दिया था।
मई 2023 में एचजीओ सीट की कालाबाजारी का आरोप लगाने वाली एक शिकायत के बाद अधिकारियों द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे।
अदालत ने कहा कि ब्लैक-लिस्ट में डालने या प्रतिबंधित करने की प्रस्तावित कार्रवाई के बारे में कारण बताओ नोटिस में प्रविधानों की जानकारी न देकर याचिकाकर्ताओं को उचित अवसर से वंचित कर दिया गया। अदालत ने हालांकि मंत्रालय को एक सप्ताह के भीतर नए कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया, जिसमें हज नीति के उन खंडों की जानकारी दी जाए जिनका उल्लंघन किया गया था।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की प्रतिक्रिया पर पूरी तरह से विचार करने के बाद अधिकारियों द्वारा 10 दिनों के भीतर एक नया निर्णय दिया जाएगा।