New Delhi: 'पत्नी के खिलाफ क्रूरता का निष्कर्ष उसके भरण-पोषण से इन्कार का आधार नहीं', तलाक के एक मामले में हाई कोर्ट की टिप्पणी
तलाक के एक मामले में भरण-पोषण और मुआवजे के लिए पत्नी को प्रतिमाह एक लाख रुपये देने के निचली अदालत के आदेश को रद्द करने के सत्र न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ पत्नी की याचिका का निपटारा करते हुए हाई कोर्ट ने यह टिप्पणियां की। तलाक की कार्यवाही में पत्नी के खिलाफ क्रूरता का निष्कर्ष घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत उसके भरण-पोषण से इन्कार करने का कोई आधार नहीं है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तलाक की कार्यवाही में पत्नी के खिलाफ क्रूरता का निष्कर्ष घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत उसके भरण-पोषण से इन्कार करने का कोई आधार नहीं है।
तलाक के एक मामले में भरण-पोषण और मुआवजे के लिए पत्नी को प्रतिमाह एक लाख रुपये देने के निचली अदालत के आदेश को रद्द करने के सत्र न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ पत्नी की याचिका का निपटारा करते हुए हाई कोर्ट ने यह टिप्पणियां की।
अदालत ने ये कहा
न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 29 के तहत अपील में सत्र न्यायालय द्वारा पारित आदेश के खिलाफ एक पुनरीक्षण याचिका हाई कोर्ट में दायर की जाएगी। न्यायमूर्ति ने कहा कि पत्नी द्वारा दायर रिट याचिका सुनवाई योग्य है।सत्र अदालत द्वारा मामले को ट्रायल कोर्ट में वापस भेजने का कोई औचित्य नहीं था और यह आदेश पूरी तरह से गूढ़ था और रिमांड को उचित ठहराने के लिए कोई कारण नहीं बताया गया था। अदालत ने कहा कि मामले को ट्रायल कोर्ट में वापस भेजते समय भी, अपीलीय अदालत ने अंतरिम रखरखाव के लिए राशि तय करना उचित नहीं समझा।
न्यायमूर्ति ने पति को दिया ये निर्देश
न्यायमूर्ति ने पति को निर्देश दिया कि वह पत्नी को 16 दिसंबर 2009 से, जब शिकायत दर्ज की गई थी 01 नवंबर 2019 तक जब सत्र न्यायालय की ओर से फैसला सुनाया गया था, अंतरिम भरण-पोषण के रूप में 50 हजार रुपये की मासिक राशि का भुगतान करे।अदालत ने कहा कि पति द्वारा पत्नी को पहले ही भुगतान की गई 10 लाख रुपये की राशि इसी से काट ली जाएगी। वहीं, अपील का फैसला रिकार्ड पर मौजूद सामग्री के आधार पर किया जाएगा और पक्ष 2019-20 के बाद परिस्थितियों में किसी भी बदलाव के मद्देनजर अतिरिक्त सबूत पेश करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।