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'बंदरों को खाना खिलाने से फायदा नहीं होता', आखिर दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों की ऐसी टिप्पणी?

दिल्ली हाईकोर्ट ने बंदरों को खाना खिलाने के खतरों पर चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि इससे बंदरों की मनुष्यों पर निर्भरता बढ़ती है और जंगली जानवरों और मनुष्यों के बीच प्राकृतिक दूरी कम हो जाती है। कोर्ट ने सिविक एजेंसियों को लोगों को जागरूक करने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा कि भोजन जानवरों को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाता है।

By Vineet Tripathi Edited By: Sonu Suman Updated: Fri, 04 Oct 2024 05:41 PM (IST)
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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- बंदरों को खाना खिलाने से फायदा नहीं होता।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में बंदराें की बढ़ती समस्या के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सिविक एजेंसियों से कहा कि उन्हें लोगों को यह बताने की जरूरत है कि कैसे उनके द्वारा खाना खिलाने से बंदरों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि भोजन जानवरों को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाता है। इससे उनकी मनुष्यों पर निर्भरता बढ़ती है और जंगली जानवरों और मनुष्यों के बीच प्राकृतिक दूरी कम हो जाती है।

मुख्य पीठ ने कहा कि अदालत मानती है कि दिल्ली के लोगों को अगर एहसास होगा कि जंगली जानवरों को खाना खिलाना जानवरों के कल्याण के साथ-साथ मानव कल्याण के लिए हानिकारक है तो वे अपना व्यवहार बदल देंगे। पीठ ने कहा कि सिविक एजेंसियों को दिल्ली के लोगों को यह बताने के लिए लगातार एक जागरुकता अभियान चलाना चाहिए कि कैसे उनके भोजन से बंदरों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। कचरा प्रबंधन पर पीठ ने कहा कि सार्वजनिक पार्कों, फूड हब, ढाबा और कैंटीन आदि में खुले में फैला कूड़ा बंदरों की आबादी को आकर्षित करता है।

दिल्ली के लोगों को आपसपास कूड़ा नहीं फैलाना होगा: कोर्ट

पीठ ने कहा कि अगर दिल्ली के नागरिक सुरक्षित वातावरण में रहना चाहते हैं, तो उन्हें आसपास कूड़ा नहीं फैलाना होगा। इस पहलू को भी जन जागरूकता अभियान में उजागर करने की जरूरत है। उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) को राष्ट्रीय राजधानी में बंदरों के खतरे से निपटने के लिए एक कार्यक्रम तैयार करने और लागू करने का निर्देश दिया।

अदालत ने उक्त निर्देश वर्ष 2015 में दो गैर सरकारी संगठनों- न्याय भूमि और द सोसाइटी फॉर पब्लिक काज द्वारा इस मुद्दे से संबंधित दायर की गई दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। मामले में अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी।

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