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JNU बवाल पर HC का बड़ा आदेश- हालात चरम पर पहुंचे तो एडमिनिस्ट्रेशन बुला सकता पुलिस

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रशासनिक भवन के 100 मीटर के अंदर प्रदर्शन करने की मनाही है।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 17 Feb 2018 09:03 AM (IST)
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JNU बवाल पर HC का बड़ा आदेश- हालात चरम पर पहुंचे तो एडमिनिस्ट्रेशन बुला सकता पुलिस

नई दिल्ली (जेएनएन)। देश के नामी विश्वविद्यालों में शुमार दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में बृहस्पतिवार को छात्रों के प्रदर्शन का मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। वहीं, कोर्ट ने अपने अहम निर्णय में कहा है कि JNU एडमिनिस्ट्रेन चाहे तो छात्रों द्वारा हालात बिगाड़ने की स्थिति में वह दिल्ली पुलिस की मदद ले सकता है। बता दें कि बृहस्पतिवार रात को जेएनयू एक बार फिर छात्रों के प्रदर्शन को लेकर सुर्खियों में आ गया। इस बार छात्र संघ पदाधिकारियों व उनके समर्थकों द्वारा 75 प्रतिशत अटेंडेंस जरूरी किए जाने का विरोध किया गया। नतीजा यह रहा कि छात्रों ने रात में ही प्रशासनिक भवन में अधिकारियों को बंधक बना लिया।

इस मुद्दे पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम निर्देश दिए हैं। इसके तहत वाइस चांसलर, प्रो वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार और एडमिन ब्लॉक में ऑफिस में जेएनयू छात्रों-नेताओं का प्रवेशसोमवार तक बैन रहेगा। 

वहीं, कोर्ट ने याचिका पर जेएनयू छात्र संघ के नेताओं को नोटिस जारी किया है। इसका जवाब 20 फरवरी तक देना है। याचिका में कहा गया है कि एडमिन ब्लॉक के 100 मीटर में मनाही के बावजूद प्रदर्शन किया गया।

यहां पर बता दें कि बृहस्पतिवार देर रात तक जेएनयू के दो प्रोफेसर व कुछ अन्य कर्मचारी प्रशासनिक भवन में बंद थे, दोनों प्रोफेसर वर्तमान में विवि के प्रशासनिक पदों पर हैं। सुबह से ही छात्र हड़ताल के लिए प्रशासनिक भवन के बाहर जुटने लगे थे और चाइनीज भाषा के छात्रों ने विरोध स्वरूप कक्षा के बाहर ही परीक्षा दी।

जेएनयू प्रशासन का कहना है कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने अधिकारियों को बंधक बनाया है जबकि छात्र संघ पदाधिकारियों का कहना है कि हम कुलपति से मिलना चाहते हैं, इसलिए बाहर खड़े हैं। वह जब तक नहीं मिलेंगे, तब तक हम नहीं जाएंगे।

वहीं, कुलपति प्रो. एम जगदीश कुमार ने ट्वीट कर छात्रों द्वारा की गई अभद्रता की जानकारी दी और हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि प्रशासनिक भवन के 100 मीटर के अंदर प्रदर्शन करने की मनाही है। कुलपति ने पूरे मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

जेएनयू के रजिस्ट्रार का कहना है कि छात्र संघ के पदाधिकारियों ने प्रशासनिक भवन को सुबह 11 बजे से ही पूरी तरह से घेर रखा है और किसी भी वरिष्ठ अधिकारी को बाहर नहीं जाने दे रहे हैं। दिन में डेढ़ बजे जब दोनों रेक्टर लंच करने के लिए बाहर निकले तो आक्रोशित छात्रों ने उन्हें वापस अंदर भेज दिया। इसके बाद जब वह क्लास लेने के लिए बाहर निकल रहे थे, तब भी छात्रों ने उन्हें जबरन अंदर भेज दिया।

दिनभर दोनों रेक्टर भूखे-प्यासे अपने कमरों में बंद रहे, जिस कारण रेक्टर 1 की तबीयत भी बिगड़ गई। मुख्य प्रशासनिक भवन के बाहर जमा छात्र जोर-जोर से नारे लगा रहे हैं और ढोल बजा रहे हैं। कामकाज में बाधा उत्पन्न हो रही है। उनका कहना है कि जेएनयू प्रशासन ने छात्र संघ के पदाधिकारियों को पत्र भेजकर बातचीत के लिए बुलाया, बशर्ते छात्रों की भीड़ प्रशासनिक भवन से वापस लौट जाए।

वहीं, इस बाबत छात्र संघ पदाधिकारियों का कहना है कि हमने किसी अधिकारी को बंधक नहीं बनाया है बल्कि हम उनसे मिलना चाहते हैं। शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे छात्रों से मिलने के बजाय कुलपति ने उनकी आवाज दबाने के लिए परिसर में पुलिस बुला ली।

छात्रों ने कहा कि पहले तो विद्वत परिषद की अनुमति के बिना अनिवार्य उपस्थिति नियम जबरन छात्रों पर थोप दिया गया और जब छात्र इसका शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रहे हैं तो उन्हें डराने के लिए पुलिस को बुला लिया गया। छात्रों की मांग मानने के बजाय प्रशासन द्वारा हॉस्टल छीन लेने और छात्रवृत्ति रोकने की धमकी छात्रों को दी जा रही है। छात्र संघ की मांग है कि पुलिस बुलाने के बजाय कुलपति स्वयं छात्रों से आकर मिलें और उनकी समस्याओं को हल करें।

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