Move to Jagran APP

'राशन कार्ड को निवास का प्रमाण नहीं माना जा सकता, यह PDS के लिए है', दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि राशन कार्ड विशेष रूप से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दुकानों से आवश्यक वस्तुएं प्राप्त करने के लिए जारी किया जाता है और इसे पते या निवास के प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता है। दिल्ली में झुग्गियों के बदले वैकल्पिक आवास इकाई की मांग करने के संबंध में कई याचिकाएं दायर की गई थी।

By Vineet Tripathi Edited By: Sonu Suman Updated: Thu, 07 Mar 2024 06:14 PM (IST)
Hero Image
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- राशन कार्ड को निवास का प्रमाण नहीं माना जा सकता, यह PDS के लिए है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। झुग्गियों के बदले वैकल्पिक आवास इकाई की मांग करने वाली याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि राशन कार्ड विशेष रूप से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दुकानों से आवश्यक वस्तुएं प्राप्त करने के लिए जारी किया जाता है और इसे पते या निवास के प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता है।

न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की पीठ ने कहा कि राशन कार्ड जारी करने वाले प्राधिकारी द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र स्थापित नहीं किया गया है कि धारक उसमें उल्लिखित पते पर रह रहा है।

अदालत ने कहा कि राशन कार्ड का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इस देश के नागरिकों को उचित मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाए और इसका दायरा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्य पदार्थों के वितरण तक ही सीमित है। अदालत ने उक्त टिप्पणी कठपुतली कॉलोनी में रहने वाले विभिन्न झुग्गी निवासियों द्वारा अपनी-अपनी झुग्गियों के बदले वैकल्पिक आवास इकाई की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की।

ये भी पढ़ें- Women's Day 2024: IGI एयरपोर्ट पर महिलाओं ने संभाली कामकाज की पूरी जिम्मेदारी, 'Pink Shift' दिया गया नाम

साल 2010 में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने एक सर्वेक्षण किया और उसके अधिकारियों को दस्तावेज सौंपे गए, जिसके बाद उसने सार्वजनिक निजी भागीदारी के आधार पर कठपुतली कॉलोनी का पुन: विकास शुरू किया। कॉलोनीवासियों के पुनर्वास के लिए वर्ष 2014 में एक नीति बनाई गई और एक जनवरी 2015 अंतिम तिथि तय की गई।

दायर पुनर्वास दावे हुए खारिज

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर पुनर्वास के दावों को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि उनकी झुग्गियां मौजूद नहीं थीं और उनके नाम अयोग्य झुग्गीवासियों की सूची में शामिल किए गए थे। एक याचिकाकर्ता का दावा इस आधार पर खारिज किया था कि वह एक अलग राशन कार्ड प्रस्तुत करने में विफल रहा था, जो नीति दिशा-निर्देशों के अनुसार वैकल्पिक आवंटन करने के लिए अनिवार्य था।

वहीं, याचिकाकर्ताओं का मामला था कि उन्होंने राशन कार्ड के लिए आवेदन किया था, लेकिन सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी नहीं किया गया था। झुग्गीवासियों को राहत देते हुए अदालत ने कहा कि डीडीए ने गलत तरीके से पते के प्रमाण के रूप में राशन कार्ड पर भरोसा किया है।

डीडीए को समस्याओं का करना चाहिए था समाधान

अदालत ने कहा कि केवल राशन कार्ड जारी न करना याचिकाकर्ताओं को वैकल्पिक आवंटन से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है। अदालत ने कहा कि डीडीए को इस मुद्दे पर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए था और कठपुतली कॉलोनी के गरीब निवासियों के सामने आने वाली समस्याओं को कम करने के लिए कदम उठाना चाहिए था।

अदालत ने यह भी कहा कि अलग राशन कार्ड की अनिवार्यता मनमानी है क्योंकि इसे राजपत्र अधिसूचना के निर्देशानुसार पते के प्रमाण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

वैकल्पिक आवास आवंटित करने का निर्देश 

अदालत ने डीडीए दिल्ली स्लम और जेजे पुनर्वास और स्थानांतरण नीति-2015 में सूचीबद्ध कट-ऑफ तिथि यानी एक जनवरी 2015 से पहले जारी किए गए अन्य दस्तावेज (पासपोर्ट, बिजली बिल, ड्राइविंग लाइसेंस, पहचान पत्र आदि ) पर विचार करने को कहा। साथ ही प्रासंगिक दस्तावेज पेश करने व राशि का भुगतान करने की शर्त पर डीडीए को याचिकाकर्ताओं को एक वैकल्पिक आवास आवंटित करने का निर्देश दिया।

ये भी पढ़ें- एलजी सक्सेना ने DUSIB के दो अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से हटाने के दिए आदेश, ये हैं कारण

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।