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16 साल से फरार भगोड़ा की संपत्ति को सीज करने का NIA कोर्ट का फैसला बरकरार, दिल्ली HC ने पत्नी को नहीं दी राहत

पुणे जर्मन बेकरी ब्लास्ट समेत अन्य आतंकी गतिविधियों के मामले में आरोपी मोहसिन चौधरी 16 साल से फरार है। एनआईए ने उसकी संपत्ति को सीज कर दिया है। वहीं उसकी पत्नी ने कोर्ट में याचिका दायर कर उसमें रहने की अनुमति मांगी थी लेकिन कोर्ट ने कोई भी राहत नहीं दी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे विशेष प्रावधान इसलिए किए गए ताकि आरोपी मिल जाए।

By Vineet Tripathi Edited By: Geetarjun Updated: Mon, 22 Jul 2024 08:49 PM (IST)
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दिल्ली हाईकोर्ट ने आतंकी गतिविधियों के मामले में आरोपी मोहसिन चौधरी की पत्नी को राहत देने से किया इनकार।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। फरवरी 2010 में हुए पुणे जर्मन बेकरी ब्लास्ट समेत अन्य आतंकी गतिविधियों के मामले में आरोपी मोहसिन चौधरी की पुणे स्थित संपत्ति को सीज करने के एनआईए विशेष कोर्ट के निर्णय को दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है। मोहसिन की पत्नी नसरीन मोहसिन चौधरी द्वारा दायर याचिका पर राहत देने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने याचिका खारिज कर दी।

संपत्ति पर कब्जा देने की पत्नी की मांग को ठुकराते हुए पीठ ने कहा कि आवेदनकर्ता नसरीन का पति भगोड़ा है। अदालत ने कहा कि इस तरह के विशेष प्रविधान इसीलिए किए गए हैं ताकि आवेदनकर्ता के पति की उपस्थिति सुनिश्चित कराई जा सके।

अदालत ने कहा कि ऐसे में आवेदनकर्ता को उक्त संपत्ति में रहने की अनुमति देना विशेष प्रविधान के विपरीत होगा।

NIA की निगरानी में सामान लेने की अनुमति

हालांकि, अदालत ने कहा कि उक्त संपत्ति हालांकि, अदालत ने महिला को राहत देते हुए कहा कि अगर संपत्ति में उसकी व परिवार का कोई सामान है तो एनआईए की निगरानी में सामान लेने जाने की अनुमति दी जाए। नसरीन ने याचिका दायर कर कहा कि उसके पति वर्ष 2008 से फरार हैं और पुणे स्थित उक्त संपत्ति को उसने पति के साथ संयुक्त रूप से वर्ष 2006 में खरीदा था।

विशेष अदालत ने हस्तक्षेप करने से किया था इनकार

उन्होंने कहा कि वह अपने नाबालिग बच्चों के साथ वहां रहती थी, लेकिन एनआईए ने उक्त संपत्ति को विशेष प्रविधान के तहत 11 फरवरी 2014 को जब्त कर लिया था, क्योंकि मोहसिन के पता नहीं लग रहा था। एनआईए के उक्त आदेश में एनआईए की विशेष अदालत ने 12 सितंबर 2021 को हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।

पीठ ने नोट किया कि संयुक्त रूप से संपत्ति खरीदने के दावे पर एनआईए की विशेष अदालत ने नोट किया था कि शुरूआत में संपत्ति रत्नाकर बैंक की पुणे शाखा से लोन पर ली गई थी। एनआईए ने कहा था कि उक्त संपति मोहसिन चौधरी की थी और पत्नी होने के नाते आवेदनकर्ता इसकी सह-मालकिन थी।

मकान में रहने की अपील की

नरसीन ने दावा किया कि उसने गहने बेचकर कुछ पैसे दिए थे, लेकिन इस संबंध में कोई भी साक्ष्य वह एनआईए कोर्ट के समक्ष नहीं पेश कर सकी थी। नसरीन ने यह भी कहा कि संपत्ति भले ही अटैच रहे, लेकिन उसे व उसके परिवार को यहां पर रहने की अनुमति दी जाए। साथ ही यह भी कहा कि संपत्ति के अंदर उनके कुछ समान है।

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हालांकि, उक्त बयान का एनआईए ने यह कहते हुए विरोध किया कि यह सिर्फ अटैच संपत्ति है, इसे बेचा नहीं गया है। एनआईए ने हालांकि, सामान होने की बात का विरोध नहीं किया। उक्त तथ्यों को देखते हुए अदालत ने संपत्ति में रहने की अनुमति देने से इनकार करते हुए समान लेने की अनुमति दे दी।

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