दिल्ली हाईकोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक को दी जमानत, जानिए क्या है मामला
दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक अब्दुल सुभान कुरेशी को एक आतंकी मामले में जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने उसके कारावास की अवधि पर विचार करते हुए निर्देश दिया कि जमानत के नियम और शर्तें ट्रायल कोर्ट द्वारा तय की जाएंगी। कुरेशी की कारावास की अवधि लगभग पांच साल थी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक अब्दुल सुभान कुरेशी को एक आतंकी मामले में जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने उसके कारावास की अवधि पर विचार करते हुए निर्देश दिया कि जमानत के नियम और शर्तें ट्रायल कोर्ट द्वारा तय की जाएंगी। कुरेशी की कारावास की अवधि लगभग पांच साल थी।
पीठ ने कहा कि अगर ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाई गई किसी भी शर्त का उल्लंघन होता है या अपीलकर्ता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी गवाह को धमकाने या प्रभावित करने का प्रयास करता है, या मुकदमे में देरी करने का प्रयास करता है, तो अभियोजन पक्ष उसकी जमानत रद्द करने की मांग कर सकता है।
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के दिसंबर 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली कुरैशी की अपील को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया। ट्रायल कोर्ट ने कुरेशी की गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में जमानत की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। ।
कुरेशी की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत प्रकाश ने अदालत से आरोपित को लंबे समय तक विचाराधीन हिरासत के आधार पर जमानत देने का अनुरोध किया और कहा कि वह मुकदमे की प्रतीक्षा में लगभग पांच साल से हिरासत में है, जो अपराध के लिए निर्धारित सजा की अवधि का आधा हिस्सा है।
अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ आइपीसी की धारा 153ए (वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153बी (अपराध के लिए सजा), 120बी (आपराधिक साजिश) और यूएपीए की धारा 10 (प्रतिबंधित संघ का सदस्य होने के लिए जुर्माना) और 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) के तहत आरोप पहले ही तय किए जा चुके हैं।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, कुरेशी इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का सक्रिय सदस्य रहा है।
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