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Constitution Murder Day: संविधान हत्या दिवस घोषित करने वाली केंद्र सरकार की अधिसूचना पर दिल्ली हाईकोर्ट की मुहर

Delhi News हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा संविधान हत्या दिवस घोषित करने वाली अधिसूचना पर मुहर लगा दी है। इसके खिलाफ दायर की गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। वहीं याचिका दायर करने वाले समीर ने तर्क दिया था कि आपातकाल की घोषणा संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत की गई थी इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि यह संविधान की हत्या करके किया गया था।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Fri, 26 Jul 2024 12:44 PM (IST)
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दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की अधिसूचना पर मुहर लगा दी। सांकेतिक तस्वीर

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। Delhi News 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित करने वाली केंद्र सरकार की अधिसूचना पर दिल्ली हाईकोर्ट ने मुहर लगा दी है। सरकार की अधिसूचना को बरकरार रखते हुए इसके खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

अदालत ने क्या कहा...

अदालत ने कहा कि अधिसूचना संविधान का उल्लंघन या अनादर नहीं करती है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा को चुनौती नहीं देती है, बल्कि "शक्ति का दुरुपयोग और संवैधानिक प्रविधानों का दुरुपयोग और इसके बाद होने वाली ज्यादतियों को चुनौती देती है।

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याचिका दायर करने वाले समीर ने दिया था तर्क

याचिकाकर्ता समीर मलिक ने याचिका दायर कर तर्क दिया था कि आपातकाल की घोषणा संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत की गई थी और इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि यह संविधान की हत्या करके किया गया था।

अधिवक्ता ने तर्क दिया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 352 के अनुसार 1975 में आपातकाल की घोषणा की गई थी और घोषणा के दिन को संविधान हत्या दिवस घोषित करने का निर्णय अपमानजनक और संवैधानिक प्रविधानों के विपरीत था।

अधिवक्ता ने तर्क दिया कि संविधान हत्या दिवस मनाना राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम का भी उल्लंघन होगा। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम के तहत, संविधान का अनादर करना एक अपराध है और यहां तक कि सरकार को भी अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्य के लिए संविधान के संबंध में अपमानजनक भाषा का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

याचिका में कहा गया है कि अधिसूचना में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इसे किस कानून या विनियमन के तहत जारी किया गया था।

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