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Yasin Malik खुद करेंगे NIA केस में अपनी पैरवी, हाईकोर्ट ने शारीरिक रूप से कोर्ट में पेश होने की मांग ठुकराई

Yasin Malik Update हाई कोर्ट ने अलगाववादी नेता यासीन मलिक की मांग को ठुकरा दिया है। दरअसल सुनवाई के दौरान मलिक ने शारीरिक रूप से कोर्ट में पेश होने की मांग की थी। इस दौरान अदालत ने मलिक से पूछा कि क्या वह अपना जवाब दाखिल करना चाहेंगे। हाई कोर्ट के इस सवाल पर यासीन मलिक ने कहा कि सोच कर बताएंगे। पढ़िए कोर्ट में और क्या-क्या हुआ?

By Vineet Tripathi Edited By: Kapil Kumar Updated: Fri, 09 Aug 2024 04:22 PM (IST)
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हाईकोर्ट ने यासीन मलिक की मांग को ठुकरा दिया है। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक मामले में अलगाववादी नेता यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग करने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान मलिक ने की ये मांग

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अपील याचिका पर सुनवाई के दौरान मलिक ने उसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश करने के बजाय शारीरिक रूप से पेश करने की मांग की।

हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि उन्हें वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश करने का आदेश हुआ था और वह इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। मलिक ने इस पर कहा कि वह चुनौती नहीं देंगे और वीसी से ही पेश होंगे।

अदालत ने मलिक से पूछा...

इसके बाद अदालत ने मलिक से पूछा क्या वह अपना जवाब दाखिल करना चाहेंगे? मलिक ने कहा कि वह सोच कर बताएंगे। इस पर कोर्ट ने मामले को 15 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

कोर्ट ने मलिक को दिया विकल्प

पीठ ने मलिक को विकल्प दिया कि उन्हें एमिकस क्यूरी की जरूरत है या फिर वे अपनी पसंद के वकील का नाम बता सकते हैं, जिसे मामले में उनका बचाव करने के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने इनकार कर दिया और कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे।

एनआईए ने पटियाला हाउस कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील की है, जिसमें मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

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बता दें कि मलिक को पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत ने 24 मई 2022 को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा-120 बी (आपराधिक साजिश), 121-ए (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश) के तहत दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

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