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'CBI आरटीआई एक्ट के दायरे में है, भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारी कराए उपलब्ध', जांच एजेंसी की याचिका पर दिल्ली HC का फैसला

सीबीआई भी आरटीआई के दायरे में आता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि सीबीआई आरटीआई अधिनियम के दायरे से पूरी तरह मुक्त नहीं है और पारदर्शिता कानून उसे भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने की अनुमति देता है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर दी जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के नवंबर 2019 के फैसले को चुनौती दी गई थी।

By Ritika Mishra Edited By: Sonu SumanUpdated: Sat, 03 Feb 2024 06:17 PM (IST)
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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि सीबीआई आरटीआई अधिनियम के दायरे से पूरी तरह मुक्त नहीं।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि सीबीआई आरटीआई अधिनियम के दायरे से पूरी तरह मुक्त नहीं है और पारदर्शिता कानून उसे भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने की अनुमति देता है।

हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर दी, जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के नवंबर 2019 के फैसले को चुनौती दी गई थी। फैसले में सीबीआई को भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को कुछ जानकारी देने का निर्देश दिया गया था।

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न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम की धारा 24 का प्रावधान भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से संबंधित जानकारी आवेदक को उपलब्ध कराने की अनुमति देता है। इसे आरटीआई अधिनियम की दूसरी अनुसूची में उल्लिखित संगठनों को उपलब्ध कराए गए अपवाद में शामिल नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट ने जानकारी को संवेदनशील नहीं माना

कोर्ट ने कहा कि चतुर्वेदी ने ट्रामा सेंटर के स्टोर के लिए फॉगिंग समाधान और कीटाणुनाशक की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली अपनी शिकायत के संबंध में जानकारी मांगी है और यह ऐसा मामला नहीं है, जहां जानकारी इतनी संवेदनशील है कि इसे बड़े पैमाने पर जनता के साथ साझा नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट ने सीबीआई की दलील को ठुकराया

पीठ ने सीबीआई की इस दलील को भी ठुकरा दिया कि जेपीएनए ट्रामा सेंटर, एम्स में क्लीनर कीटाणुनाशक और फॉगिंग समाधान की खरीद में कदाचार के संबंध में जांच को प्रदर्शित करने के जांच में शामिल अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों की पोल खुल जाएगी, जो उनके जीवन को खतरे में डाल सकती है। सीबीआई ने तर्क दिया था कि आरटीआई कानून की धारा 24 पूर्ण प्रतिबंध के रूप में कार्य करती है और जांच एजेंसी को अधिनियम के प्रावधानों से छूट दी गई है।

एजेंसी अपने द्वारा की गई जांच के विवरण का पर्दाफाश नहीं कर सकती है। सीबीआई ने कहा कि भ्रष्टाचार के अपराधों की जांच में खुफिया विभाग ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और खुफिया जानकारी के आधार पर कई महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामले दर्ज किए गए, इसलिए वह चतुर्वेदी को जांच के विवरण की जानकारी नहीं दे सकती।

संजीव चतुर्वेदी ने CBI जांच की रिपोर्ट मांगी

चतुर्वेदी ने एम्स के जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रामा सेंटर के मेडिकल स्टोर के लिए कीटाणुनाशक और फॉगिंग समाधान की खरीद में भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी मांगी थी। वह उस समय एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी थे, जब उन्होंने ट्रामा सेंटर के लिए की जा रही खरीद में भ्रष्टाचार के संबंध में एक रिपोर्ट भेजी थी। इसके अलावा, चतुर्वेदी ने मामले में सीबीआई द्वारा की गई जांच से संबंधित फाइल नोटिंग, दस्तावेजों व पत्राचार की प्रमाणित प्रति भी मांगी थी।

सीबीआई ने दायर की थी हाईकोर्ट मे ंयाचिका

अधिकारी के मुताबिक, चूंकि सीबीआई ने उनके द्वारा दी गई जानकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए उन्होंने सीबीआई के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआइओ) से संपर्क किया। सीबीआई की ओर से जानकारी देने से इनकार करने के बाद, उन्होंने सीआईसी से संपर्क किया, जिसने सीबीआई को उन्हें जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया। इसके बाद सीबीआई ने सीआइसी के 2019 के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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