Delhi High Court: एयरसेल-मैक्सिस मामले में CBI की याचिका पर HC ने मांगा जवाब, कही ये बड़ी बात
11 जनवरी 2024 को होगी। एजेंसी ने पांच मार्च 2022 के आदेश को चुनौती दी और दलील दी कि ट्रायल कोर्ट ने यह देखने में गलती की है कि सीबीआइ आरोपियों को सभी गैर-भरोसेमंद दस्तावेज मुहैया कराने के लिए बाध्य है। सीबीआइ ने कहा कि उसे आशंका है कि सभी गैर-भरोसेमंद दस्तावेज उपलब्ध कराने के व्यापक निर्देश से आगे की जांच में बाधा आएगी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम, उनके बेटे कार्ति चिदंबरम और अन्य आरोपितों से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें सीबीआइ ने निचली अदालत के आरोपितों को दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा की पीठ ने सीबीआइ की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए चिदंबरम और अन्य को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।
मामले में अगली सुनवाई 11 जनवरी 2024 को होगी। एजेंसी ने पांच मार्च, 2022 के आदेश को चुनौती दी और दलील दी कि ट्रायल कोर्ट ने यह देखने में गलती की है कि सीबीआइ आरोपियों को सभी गैर-भरोसेमंद दस्तावेज मुहैया कराने के लिए बाध्य है। सीबीआइ ने कहा कि उसे आशंका है कि सभी गैर-भरोसेमंद दस्तावेज उपलब्ध कराने के व्यापक निर्देश से आगे की जांच में बाधा आएगी।
जांच एजेंसी ने कहा कि सीआरपीसी के प्रविधानों के अनुसार, अभियोजन पक्ष आरोपित को केवल उन दस्तावेजों की प्रतियां उपलब्ध कराने के लिए बाध्य है जिन पर वह भरोसा करने का प्रस्ताव करता है या जो जांच के दौरान पहले ही मजिस्ट्रेट को भेजे जा चुके हैं। सीबीआइ ने कहा कि इस मामले में समाज पर व्यापक प्रभाव के साथ उच्च स्तर का भ्रष्टाचार शामिल है और आरोपितों को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है।
मामला एयरसेल-मैक्सिस सौदे को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। यह मंजूरी वर्ष 2006 में दी गई थी, जब चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे। सीबीआई और ईडी ने आरोप लगाया था कि वित्त मंत्री के रूप में, चिदंबरम ने अपनी क्षमता से परे सौदे को मंजूरी दी थी, जिससे कुछ लोगों को फायदा हुआ।
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