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यह देखना अदालत का काम नहीं है... केजरीवाल की याचिका खारिज करने से पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने की कई तल्ख टिप्पणियां

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा। हाईकोर्ट ने कहा कि ईडी की जांच से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल ने साजिश रची थी। अदालत ने कहा कि ईडी द्वारा एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल ने साजिश रची थी

By Vineet Tripathi Edited By: Geetarjun Updated: Tue, 09 Apr 2024 04:38 PM (IST)
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याचिका खारिज करने से पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने की कई तल्ख टिप्पणियां

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा। हाईकोर्ट ने कहा कि ईडी की जांच से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल ने साजिश रची थी।

अदालत ने कहा कि ईडी द्वारा एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल ने साजिश रची थी और अपराध की आय के उपयोग और छिपाने में सक्रिय रूप से शामिल थे। ईडी के मामले से यह भी पता चलता है कि वह निजी तौर पर आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक के तौर पर भी शामिल थे।

अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में कई बयानों के बीच राघव मगुंटा और सरथ रेड्डी के बयान हैं, जो पीएमएलए के साथ-साथ धारा 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज किए गए थे। अदालत ने कहा कि सरकारी गवाह के बयान दर्ज करने के तरीके पर संदेह करना न्यायालय और न्यायाधीश पर आक्षेप लगाना होगा।

अदालत ने कहा कि सरकारी गवाह संबंधी कानून एक साल से नहीं, बल्कि 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। यह नहीं कहा जा सकता कि इसे वर्तमान याचिकाकर्ता (केजरीवाल) को फंसाने के लिए बनाया गया था। दस्तावेज की आपूर्ति नहीं करने के बिंदु पर अदालत ने कहा कि केजरीवाल कानून के मुताबिक दस्तावेज पाने के हकदार होंगे।

यह अदालत का काम नहीं है देखना

राघव मगुंटा और उनके पिता द्वारा भाजपा को पैसे देने के केजरीवाल के दावे पर अदालत ने कहा कि कौन किसे चुनाव लड़ने के लिए टिकट देता है या कौन किसे चुनावी बॉन्ड देता है, यह देखना इस अदालत का काम नहीं है।

आरोपी के मुताबिक तय नहीं होगी जांच कैसे हो

अदालत ने कहा कि यह दलील खारिज की जाती है कि केजरीवाल से वीसी (वीडियो कॉन्फ्रेंस) के जरिए पूछताछ की जा सकती थी। अदालत ने कहा कि यह तय करना आरोपित का काम नहीं है कि जांच कैसे की जानी है। यह आरोपित की सुविधा के मुताबिक नहीं हो सकता। अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री सहित किसी के लिए कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं हो सकता।

अदालत ने कहा कि केजरीवाल को लोकसभा की तारीखों के बारे में पता होगा, उन्हें पता होगा कि चुनाव कब होंगे। ऐसे में अदालत का मानना है कि यह नहीं माना जा सकता कि गिरफ्तारी का समय ईडी ने तय किया था।

अदालत राजनीति के बजाय कानून से बंधे हैं

अदालत ने कहा कि हमारा मानना ​​है कि न्यायाधीश राजनीति के बजाय कानून से बंधे हैं और निर्णय राजनीतिक विचारों के बजाय कानूनी सिद्धांतों पर दिए जाते हैं। अदालत ने कहा कि यह राजनीति के दायरे में नहीं जा सकती।

मामला केंद्र और केजरीवाल के बीच का नहीं

अदालत ने कहा कि राजनीतिक विचारों को न्यायालय के समक्ष नहीं लाया जा सकता, क्योंकि वे प्रासंगिक नहीं हैं। वर्तमान मामला केंद्र सरकार और केजरीवाल के बीच का मामला नहीं है, बल्कि केजरीवाल और ईडी के बीच का मामला है। कोर्ट को सतर्क रहना चाहिए कि वह किसी बाहरी कारक से प्रभावित न हो।

ईडी ने कानून के आदेश का पालन किया

अदालत ने कहा कि हमारे सामने रखी गई फाइलों और सामग्री से पता चलता है कि ईडी ने कानून के आदेश का पालन किया था। ट्रायल कोर्ट का आदेश दो लाइन का आदेश नहीं है। ईडी के पास मौजूद बयान हवाला डीलरों के साथ-साथ गोवा चुनाव में आप उम्मीदवार के भी हैं।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि ईडी पर्याप्त सामग्री पेश करने में सफल रही और अदालत ने बयान का अध्ययन किया है जो पूरी कहानी को पूरा करता है और दिखाता है कि पैसा गोवा चुनाव के लिए भेजा गया था।

उक्त टिप्पणियों के साथ अदालत ने गिरफ्तारी व ईडी रिमांड को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी।

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