जेएनयूएसयू अध्यक्ष समेत चार छात्र नेताओं पर हाई कोर्ट ने लगाया जुर्माना
हाई कोर्ट ने कहा कि मौजूद फोटोग्राफ और प्रतिवादी द्वारा स्वीकार करना कि उन्होंने प्रशासनिक ब्लॉक के पास धरना-प्रदर्शन किया, कोर्ट के आदेश की अवमानना है।
By Amit MishraEdited By: Updated: Tue, 03 Jul 2018 10:40 PM (IST)
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) को प्रशासनिक भवन के 100 मीटर के दायरे में धरना-प्रदर्शन पर रोक के आदेश की अवमानना के मामले में दोषी पाया है। न्यायमूर्ति वीके राव ने कहा कि जिस तरह से कोर्ट के आदेश की अवमानना की गई, उससे लगता है कि छात्र नेताओं के मन में इसे लेकर कोई पछतावा नहीं है। यह गलती से आदेश का पालन नहीं करने का मामला नहीं है, क्योंकि मामले की पैरवी कर रहे छात्र परास्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं और उन्हें पता है कि अगस्त 2017 में हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का आशय क्या है।
दो-दो हजार रुपये का जुर्मानाहाई कोर्ट ने कहा कि मौजूद फोटोग्राफ और प्रतिवादी द्वारा स्वीकार करना कि उन्होंने प्रशासनिक ब्लॉक के पास धरना-प्रदर्शन किया, कोर्ट के आदेश की अवमानना है। हाई कोर्ट ने जेएनयूएसयू की अध्यक्ष गीता कुमारी समेत चार छात्र नेताओं पर दो-दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया। पीठ ने दो सप्ताह के भीतर जुर्माने की राशि हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा कराने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघनजेएनयू प्रशासन की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि अगस्त 2017 में हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि प्रशासनिक ब्लॉक के 100 मीटर के दायरे में कोई भी विरोध-प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके जेएनयूएसयू पदाधिकारियों ने अनिवार्य हाजिरी के मामले पर विरोध करने के लिए हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया।
आरोपों से इन्कारजेएनयू की तरफ से पेश अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने कहा कि छात्रों ने इस साल चार फरवरी, 10, 11, 12,13 व 15 फरवरी को प्रशासनिक ब्लॉक के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। 15 फरवरी को धरना-प्रदर्शन के दौरान उन्होंने दो अधिकारियों का रास्ता भी रोका। जेएनयूएसयू पदाधिकारियों ने आरोपों से इन्कार किया।
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