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निर्दोष मालिकों की संपत्ति को जब्त करना नहीं है यूएपीए कानून का मकसद, हाई कोर्ट ने पुलिस को दी हिदायत

एक याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने माना कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत किसी स्थान को अधिसूचित करने मकसद यह सुनिश्चित करना है कि इसका उपयोग गैरकानूनी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि उक्त प्रविधान का मकसद निर्दोष मालिकों की संपत्तियों को जब्त करना नहीं है जो न तो गैरकानूनी एसोसिएशन के सदस्य हैं और न ही ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 29 Feb 2024 04:15 AM (IST)
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निर्दोष मालिकों की संपत्ति को जब्त करना नहीं है यूएपीए कानून का मकसद- हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एक याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने माना कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत किसी स्थान को अधिसूचित करने मकसद यह सुनिश्चित करना है कि इसका उपयोग गैरकानूनी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि उक्त प्रविधान का मकसद निर्दोष मालिकों की संपत्तियों को जब्त करना नहीं है जो न तो गैरकानूनी एसोसिएशन के सदस्य हैं और न ही ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं।

अदालत ने कहा कि यूएपीए की धारा-8 केंद्र सरकार को किसी भी स्थान को अधिसूचित करने की शक्ति देती है, उसकी राय में जिसका गैरकानूनी उपयोग किया जाता है।

केंद्र सरकार की अधिसूचना की याचिका पर सुनवाई

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने उक्त टिप्पणी जामिया नगर इलाके में स्थित एक संपत्ति को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल करने की केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए की। सितंबर 2022 में पीएफआई और उसके सहयोगियों को यूएपीए के तहत एक गैरकानूनी संघ घोषित किए जाने के बाद ऐसा हुआ था।

दिल्ली पुलिस के नोटिस को चुनौती दी

याचिकाकर्ता मोहम्मद आरिफ अंसारी ने याचिका दायर कर संपत्ति के संबंध में दस्तावेज की मांग करने संबंधी दिल्ली पुलिस के नोटिस को चुनौती देने के साथ ही इसे डी-सील करने और अनलॉक करने के निर्देश देने की मांग की थी।

संपत्ति का वैध मालिक हूं- याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि संपत्ति के वह वैध मालिक हैं और इसे उन्होंने ग्यारह महीने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को पट्टे पर दिया था। उन्होंने कहा कि वह पीएफआई के सदस्य नहीं थे।

मामले को जल्द से जल्द निपटारा का निर्देश

वहीं, अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि अंसारी के पास यूएपीए की धारा 8(8) के तहत संबंधित जिला न्यायाधीश के समक्ष आवेदन दायर करने का एक वैकल्पिक उपाय था। इस प्रकार पीठ ने अंसारी को जिला न्यायाधीश के समक्ष आवेदन दायर करने की छूट देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। अदालत ने साथ ही जिला न्यायाधीश को मामले का जल्द से जल्द निपटारा करने को कहा।

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