काजल-बिंदी टैक्स फ्री तो सेनेटरी नैपकिन पर 12 फीसद GST क्यों: हाईकोर्ट
याची ने कहा कि महिलाओं के सिंदूर, चूड़ियां, कुमकुम समेत कंडोम जैसी वस्तुओं पर पूरी तरह जीएसटी में छूट दी गई है। सेनेटरी नैपकिन पर 12 फीसद जीएसटी लगाई जा रही है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। सेनेटरी नैपकिन पर 12 फीसद जीएसटी लगाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि जब काजल-बिंदी टैक्स फ्री हो सकते हैं तो फिर सेनेटरी नैपकिन पर 12 फीसद जीएसटी लगाने के पीछे क्या मंशा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या नैपकिन पर जीएसटी की दर कम करने की कोई गुंजाइश है या नहीं। मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।
महिलाओं की पहुंच से दूर सेनेटरी नैपकिन
याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि जीएसटी रेट तय करने वाली कमेटी में किसी भी महिला को शामिल नहीं किया गया। हाल ही में सरकार ने करीब 200 सामानों पर लगे जीएसटी रेट कम किए, लेकिन सेनेटरी नैपकिन को 12 फीसद जीएसटी के दायरे में रहने दिया। याची का तर्क था कि जीएसटी लगने से महिलाएं इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं। सरकार ने इसे महिलाओं की पहुंच से भी दूर कर दिया है।
कंडोम जैसी वस्तुओं पर पूरी तरह जीएसटी में छूट
याची ने कहा कि महिलाओं के सिंदूर, चूड़ियां, कुमकुम समेत कंडोम जैसी वस्तुओं पर पूरी तरह जीएसटी में छूट दी गई है। जबकि महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वपूर्ण वस्तु सेनेटरी नैपकिन पर 12 फीसद जीएसटी लगाई जा रही है। याची ने 12 प्रतिशत जीएसटी का विरोध करते हुए फैसले को वापस लेने की मांग की।
कच्चा माल आयात होता है
उधर, सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट में दायर अपने जवाब में कहा कि सेनेटरी नैपकिन के लिए कच्चा माल आयात होता है। साथ ही इसके अलावा भी कई व्यावहारिक दिक्कतों के कारण इससे 12 फीसद जीएसटी को हटाना संभव नहीं है।
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